45 साल बाद चीनी सीमा पर हुए भारतीय जवान शहीद, अक्सर होने वाली झड़प पहली बार हुई खूनी
इससे पहले भी कई बार एलएसी पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच हल्की-फुल्की झड़प होती रही है। लेकिन कभी ये झड़प हिंसक नहीं हुई और किसी सैनिक की जान नहीं गई। लेकिन अब करीब 45 साल बाद हुई यह खूनी झड़प आने वाले समय में गंभीर समस्याओं की ओर इशारा करती है।
भारत और चीन के बीच लद्दाख में लाईन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर पिछले कई दिनों से जारी तनाव में उस वक्त खूनी मोड़ आ गया, जब सोमवार रात गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इस झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी और दो जवान शहीद हो गए। सूत्रों के हवाले से खबर है कि इस झड़प में कुछ चीनी सैनिकों की भी मौत हुई है।
लेकिन चीनी सैनिकों के साथ झड़प में भारतीय जाबांजों की शहादत हो चुकी है और ऐसा करीब 45 साल में पहली बार हुआ है। सत्तर के दशक के बाद पहली बार चीन के साथ झड़प में एलएसी पर भारतीय जवानों की शहादत हुई है। इससे पहले 1962 में भारत और चीन के बीच जबरदस्त युद्ध के बाद साल 1975 में एलएसी पर फायरिंग हुई थी, जिसमें चार भारतीय जवान शहीद हुए थे। उसके बाद से एलएसी पर झड़प में कभी किसी भारतीय जवान की मौत नहीं हुई। करीब 45 साल बाद एलएसी पर चीनी सैनिकों के साथ झड़प में सेना के उच्च अधिकारी के साथ दो जवान शहीद हो गए हैं।
पिछले लंबे समय से लद्दाख में पड़ने वाली सीमा को लेकर भारत और चीन में विवाद जारी है। बीते दिनों चीन की सेना (पीएलए) ने सीमा पर यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया और भारतीय क्षेत्र में घुस आई। चीन की सेना श्योक नदी और गलवान नदी के मुहाने तक आ गई थी। इसका भारतीय सैनिकों ने विरोध किया और चीनी सेना को वापस जाने के लिए कहा। उसके बाद से वहां गतिरोध जारी था। इस तनाव को हल करने के लिए दोनों तरफ से बातचीत जारी थी और दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता चल रही थी, लेकिन अब ये नई घटना हो गई।
गौरतलब है कि बीते कुछ सालों से भारत के लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में पड़ने वाली सीमाओं पर चीनी सेना की ओर से लगातार दुस्साहस की कोशिशें जारी हैं। इससे पहले अरुणाचल प्रदेश के डोकलाम में भारतीय क्षेत्र में बड़ी संख्या में चीनी सैनिक घुस आए थे और अपना ठिकाना बना लिया था। भारतीय सेना द्वारा विरोध के बाद कई महीने तक गतिरोध की स्थिति कायम रही थी। फिर लंबी बातचीत के बाद चीनी सेना पीछे हटी थी। लेकिन इस दौरान भी किसी सैनिक की जान नहीं गई थी।
इससे पहले भी कई बार दोनों प्रदेशों में पड़ने वाली सीमा पार कर चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे। दोनों देशों के सैनिकों के बीच इसे लेकर सीमा पर हल्की-फुल्की झड़प भी हुई थी। लेकिन कभी ये झड़प हिंसक नहीं हुई। कभी ऐसी झड़पों में किसी सैनिक की जान नहीं गई। अब करीब 45 साल बाद चीन की सीमा पर झड़प में तीन जांबाज सैनिकों की जान गई है। यह आने वाले समय में गंभीर समस्याओं की ओर इशारा करता है। इस पर केंद्र सरकार को जल्द कोई स्थायी समाधान का कदम उठाना पड़ेगा।
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