रेलमंत्री के अनुसार श्रमिक ट्रेनों में 97 लोगों की हुई मौत, फिर भी सरकार के पास मजदूरों की मौत का आंकड़ा नहीं

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन की ओर से राज्यसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में रेलमंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी देते हुए कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा करते हुए 9 सितंबर तक 97 लोगों की मौत की सूचना है।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को राज्यसभा को बताया कि लॉकडाउन के दौरान एक मई से 9 सितंबर के बीच श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा के दौरान 97 लोगों की मौत हो गई। खास बात ये है कि कुछ दिनों पहले ही मोदी सरकार की ओर से संसद में कहा गया था कि प्रवासी मजदूरों की मौत का कोई आंकड़ा नहीं है। बयान के दौरान रेल मंत्री ने ये भी दावा किया कि रेलवे ने प्रवासियों से इसके लिए कोई किराया नहीं लिया।

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में बताया कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए एक मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ था, जिसके द्वारा कुल 63 लाख 19 हजार लोगों को उनके गृह राज्य पहुंचाया गया। गोयल ने कहा, "राज्य सरकारों या उनके प्रतिनिधियों द्वारा किराये के भुगतान पर श्रमिक स्पेशल बुक की गई थी। उनके पास से 31 अगस्त तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए 433 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया गया। इन ट्रेनों में 63.19 लाख श्रमिक (फंसे हुए) यात्रियों ने सफर किया।"

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन की ओर से राज्यसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में रेलमंत्री पीयूष गोयल ने यह जानकारी देते हुए कहा, "राज्य पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर कोविड-19 संकट के दौरान श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा करते हुए 9 सितंबर तक 97 लोगों की मौत की सूचना है।"

गोयल ने कहा कि पुलिस अप्राकृतिक मौतों के मामलों में सीआरपीसी की धारा 174 के तहत एफआईआर दर्ज करती है और कानूनी प्रक्रिया का पालन करती है। गोयल ने कहा, "इन 97 मौतों में से राज्य पुलिस ने 87 शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। संबंधित राज्यों की पुलिस से अब तक 51 पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट हासिल हुई हैं। इनमें मौतों की वजह कार्डिअक अरेस्ट, दिल की बीमारी, ब्रेन हेमरेज, लंग और लीवर डिजीज है।"

रेलवे ने फंसे हुए प्रवासी कामगारों, छात्रों, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए एक मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें शुरू कीं थी, जिसके बाद लाखों लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। रेलवे ने राष्ट्रव्यापी बंद के कारण 25 मार्च को यात्री, मेल और एक्सप्रेस ट्रेन सेवाओं को निलंबित कर दिया था।

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन फिर से शुरू करने के बाद, रेलवे ने 12 मई से 15 जोड़ी स्पेशल वातानुकूलित ट्रेनों का संचालन शुरू किया और एक जून से 100 जोड़ी टाइम-टेबिल ट्रेनों का परिचालन शुरू किया। 12 सितंबर से रेलवे ने 40 से अधिक जोड़ी ट्रेन सेवा को भी शुरू किया।

गोयल ने कहा, "रेलवे में पोलिसिंग राज्य का मुद्दा है, अपराध की रोकथाम, केस रजिस्टर करना, उनकी जांच और रेलवे परिसरों के साथ चलती गाड़ियों में कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी)/ जिला पुलिस की ओर से यह व्यवस्था संभाली जाती है। जीआरपी/जिला पुलिस के प्रयासों में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स की ओर से मदद की जाती है ताकि यात्रियों को बेहतर सुरक्षा मिल सके।"

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