तेलंगाना में जंगली जानवरों को ले जा रहा ट्रक पलटा, हादसे के बाद दो मगरमच्छ भागे, वन विभाग ने पकड़ा
पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान से आठ मगरमच्छ, दो सफेद हाथी, दो बाघ और अन्य जंगली जानवरों को को एक ट्रक बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान ले जा रहा था। अधिकारियों ने सभी जानवरों को दूसरे वाहन में शिफ्ट करवाकर बेंगलुरु की ओर रवाना किया।
पटना से जंगली जानवरों को लेकर बेंगलुरु जा रहा एक ट्रक तेलंगाना के निर्मल जिले में पलट गया और सड़क से नीचे जंगल में जा गिरा। हादसे के बाद ट्रक से दो मगरमच्छ निकल कर भाग गए, जिन्हें कड़ी मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम ने फिर से पकड़ लिया। ट्रक में बाघ और हाथी भी थे, लेकिन गनीमत रही कि उनका पिंजरा सुरक्षित रहा और वे नहीं भागे।
यह घटना निर्मल जिले के मोंडिगुट्टा गांव के पास नेशनल हाईवे 44 पर रात करीब एक बजे हुई। ट्रक पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान से जंगली जानवरों को बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान ले जा रहा था। आठ मगरमच्छ, दो सफेद हाथी, दो बाघ और अन्य जानवरों को ले जा रहे ट्रक के चालक ने वाहन पर से नियंत्रण खो दिया और ट्रक सीमेंट के खंभों से टकरा गया और सड़क से नीचे जंगल में गिरा गया।
हादसे के बाद दो मगरमच्छ ट्रक से भागने में सफल रहे। सूचना मिलने पर घटनास्थल पर पहुंचे पुलिस और वन कर्मियों ने तत्काल दोनों मगरमच्छ को पकड़कर ट्रक में वापस रख दिया। अधिकारियों ने राहत की सांस ली क्योंकि दुर्घटना के बाद कोई अन्य जानवर भाग नहीं सका था। ऐसा माना जा रहा है कि जानवरों के भागने से कोई भी त्रासदी हो सकती थी, लेकिन पुलिस और वन अधिकारियों की तत्काल कार्रवाई से यह संभावित त्रासदी टल गई। ट्रक में दोनों बाघों को उनके पिंजरे में सुरक्षित रखा गया था।
वन अधिकारियों ने पुलिस की मदद से इलाके को सुरक्षित किया, ताकि आगे कोई खतरा न हो। अधिकारियों ने क्रेन की मदद से ट्रक बाहर निकलवाया। उन्होंने बताया की ट्रक में सवार सभी जानवर सुरक्षित हैं। इसके बाद दूसरे वाहन में जनवारों को शिफ्ट किया गया और फिर वाहन बेंगलुरु की ओर निकल गया। पटना का संजय गांधी जैविक उद्यान, मंजूरी के बाद देश भर के चिड़ियाघरों को कुछ दुर्लभ प्रजातियों सहित जंगली जानवरों को उपलब्ध कराता है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण विभिन्न राज्यों के चिड़ियाघरों में जंगली जानवरों को स्थानांतरित करने की अनुमति देता है। संजय गांधी जैविक उद्यान को पटना चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है। यह दुनिया भर की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास कर रहा है।
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