राफेल सौदे पर 14 मार्च को अगली सुनवाई, तीखी बहस के दौरान सरकारी वकील ने कहा- संयम बरते सुप्रीम कोर्ट
राफेल मामले में दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान एक नया खुलासा हुआ है। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा कि रक्षा मंत्रालय कुछ गोपनीय दस्तावेज चोरी हो गए हैं और इसकी जांच लंबित है।
राफेल सौदे पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तीखी बहस देखने को मिली। इस दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा अगर सीबीआई जांच हुई तो देश को बड़ा नुकसान होगा। साथ ही उन्होंने कोर्ट से इस मामले में संयम बरतने को कहा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी।
इससे पहले सुनवाई के दौरान एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि रक्षा मंत्रालय से कुछ दस्तावेज सरकारी कर्मचारियों द्वारा चुराए गए हैं और इससे संबंधित जांच चल रही है।उन्होंने कहा, “हम रक्षा खरीद जिसमें देश की सुरक्षा शामिल है, उससे निपट रहे हैं। यह बहुत ही संवेदनशील मामला है।” इस दौरान वेणुगोपाल ने कहा कि रक्षा मंत्रालय से जो दस्तावेज चोरी हुए थे, उसी दस्तावेज के आधार पर अखबार में रिपोर्ट छपी थी। अगली सुनवाई 14 मार्च की तारीख तय की गई है।
बता दें कि वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, बीजेपी के बागी नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और वकील एम एल शर्मा ने पुनर्विचार याचिका में कोर्ट से राफेल आदेश की समीक्षा करने के लिए अपील की है। अपील में कहा गया कि सरकार ने राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फैसला लेने की सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया है।
सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि जब प्राथमिकी दायर करने और जांच के लिए याचिका दाखिल की गईं तब राफेल पर महत्वपूर्ण तथ्यों को दबाया गया। जिस पर कोर्ट ने कहा है कि वह ऐसे किसी भी पूरक हलफनामों या कोई और दस्तावेजों पर गौर नहीं करेगा जो उसके समक्ष दखिल नहीं किए गए हैं।
प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि राफेल फैसले में कई सारी गलतियां हैं, जिन तथ्यों पर भरोसा किया गया है। कोर्ट का फैसला सरकार के दिए गलत नोट पर आधारित था। उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने भी अपने नोट में टाइपिंग की भूल मानी थी। इस दौरान प्रशांत भूषण ने अखबार में छपी रिपोर्ट को दिखाया।
वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि अखबार की रिपोर्ट के आधार पर एक पूरक हलफनामा भी दायर किया गया है। इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, “हम कोई पूरक हलफनामा नहीं देखना चाहते। आप लोगों ने जो हमें दिया है उसे हमने पढ़ा है।”
वहीं प्रशांत भूषण के पक्ष पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जिन दस्तावेजों पर वकील भरोसा कर रहे हैं, वे रक्षा मंत्रालय से चुराए गए हैं। राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेजों की चोरी होने के मामले की जांच चल रही है।
रक्षा मंत्रालय से राफेल से जुड़े दस्तावेज चोरी होने पर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा, “चोरी और सीनाजोरी राफेल भ्रष्टाचार को छुपाने के लिये मोदी सरकार का नया राग। ‘हुजूर राफेल की फाइल चोरी हो गई हम केस करेंगे’। हुजूर ने कहा, अब तक केस क्यों नही किया? मोदी सरकार चुप।”
लंच ब्रेक के बाद सुप्रीम कोर्ट में राफेल मुद्दे पर फिर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने सरकार पर आरोप लगाया कि कोर्ट में फैक्ट रखने से रोका जा रहा है और यह अवमानना है। इस दौरान जस्टिस जोसेफ ने वेणुगोपाल को जावब देते हुए कहा ति भले ही चोरी किए गए दस्तावेजों का हवाला दिया जाए और अगर इसे सही पाया जाता है तो भी कोर्ट इस पर गौर कर सकती है।
अटॉर्नी जनरल ने जस्टिस जोसेफ को जवाब देते हुए कहा कि एफ-16 उन्नत किस्म का जहाज है, लेकिन क्या हमें उससे बेहतर जहाज नहीं चाहिए। वैसे मिग ने अच्छा काम किया है जो 1960 का बना है। मामले में सीबीआई जांच से राफेल को लेकर डील में डैमेज होगा। जोकि देशहित में ये ठीक नही है। जिस पर जस्टिस जोसेफ ने जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला रिव्यू में नहीं है। अगर सवाल है कि जांच की मांग पर विचार नहीं हुआ तो फिर आप गंभीर आरोपों की जांच की मांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ लेने की कोशिश कर रहे हैं।
अटॉर्नी जनरल ने आगे को को बताया कि राफेल डील से जुड़े दस्तावेज की चोरी के मामले में अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। अगर हुई होती तो कुछ याची का नाम भी होता। इस पर सीजेआई ने कहा कि मुख्य सवाल यह है कि अगर प्रासंगिकता या भ्रष्टाचार है तो क्या कोर्ट को साक्ष्य या दस्तावेज पर गौर नहीं करना चाहिए। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि यह रक्षा और सीक्रेट्स से संबंधित है।
वहीं, कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय के प्रमुख पर दस्तावेजों की चोरी के संबंध में हलफनामा देने के लिए कहा है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्या रक्षा मंत्रालय प्रमुख राफेल के चोरी हुए दस्तावेज पर हलफनामा दे सकता है कि जो दस्तावेज न्यूज पेपर और न्यूज एजेंसी ने इस्तेमाल किए हैं, वो चोरी किए गए हैं। इस पर अटॉर्नी जनरल ने सहमति जताते हुए गुरुवार तक हलफनामा पेश करने की बात कही।
केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा है कि कोर्ट को इस तरह की कवायद के लिए पक्षकार नहीं बनना चाहिए। इसलिए मैं कोर्ट से अपील करता हूं कि कोर्ट को इस मामले में संयम बरतना चाहिए। उन्होंने कहा कि रक्षा खरीद की न्यायिक जांच नहीं हो सकती है।
बता दें कि 13 दिसंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे में फैसला सुनाया था और कहा था कि इस सौदे में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है। लेकिन इस फैसले के बाद ही सवाल उठने लगे थे कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने सही कागजात पेश नहीं किए इसलिए फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। इस मामले में दो पुनर्विचार याचिका दायर की गईं। पहली याचिका पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण ने दायर की है। वहीं दूसरी याचिका आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की ओर से दायर की गई है।
वहीं दूसरी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पूरा विपक्ष राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि इस रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है। पीएम मोदी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए राफेल डील में गड़बड़ी की है।
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