वायनाड भूस्खलन में अब तक 93 मौत, सीएम विजयन ने बताया दिल दहला देने वाली आपदा, लोगों से की मदद की अपील
वायनाड में भूस्खलन आज तड़के हुआ जिससे अपने घरों में सो रहे लोगों को बचने का मौका भी नहीं मिला। भूस्खलन से कई मकान जमींदोज हो गए, कई पेड़ उखड़ गए और नदियां उफान पर हैं। कई लोग लापता हैं। त्रासदी में मारे गए लोगों की सही संख्या का पता लगाना मुश्किल है।
केरल के वायनाड में भूस्खलन के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। मृतकों की संख्या बढ़कर 93 हो गई है। अब तक 128 लोग घायल हुए हैं। वायनाड जिले में आए विनाशकारी भूस्खलन के कारण मलबे में फंसे लोगों को बचाने के लिए युद्धस्तर पर अभियान जारी है। ऑपरेशन में पुलिस, अग्निशमन बल, राज्य आपदा बल, एनडीआरएफ, सेना और वायुसेना की भी मदद ली जा रही है। इस बीच वायनाड में आई आपदा, राहत और बचाव अभियान और ताजा हालात को लेकर राज्य के सीएम पिनाराई विजयन ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर विस्तार से जानकारी दी।
वायनाड भूस्खलन पर केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा कि वायनाड में भूस्खलन एक दिल दहला देने वाली आपदा है। यहां बहुत भारी बारिश हुई है। पूरा इलाका तबाह हो गया है। हमने अब तक 93 शव बरामद किए हैं, लेकिन संख्या बदल सकती है। 128 लोग घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है। कल रात सोने गए कई लोग आपदा में बह गए हैं।
सीएम पिनाराई विजयन ने कहा कि हमने घायलों के लिए सर्वोत्तम संभव उपचार की व्यवस्था की है। कई लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं। हमने वायनाड में 45 राहत शिविर और पूरे राज्य में कुल 118 शिविर खोले हैं, जिनमें 5,531 लोग रह रहे हैं। अग्निशमन बल, एनडीआरएफ और पुलिस मिलकर काम कर रहे हैं। सेना और नौसेना के विभिन्न डिवीजन बचाव कार्यों का समन्वय कर रहे हैं।"
सीएम पिनाराई विजयन ने कहा कि वायनाड में अग्निशमन बल के 321 सदस्यों को तैनात किया गया है। सेना की सेवाएँ भी उपलब्ध कराई गई हैं। 60 सदस्यों वाली एनडीआरएफ की टीम वायनाड पहुँच चुकी है और बेंगलुरु से 89 सदस्यों वाली टीम वहाँ पहुँचने वाली है। आपदा की जानकारी मिलने पर प्रधानमंत्री और राहुल गांधी समेत विभिन्न पार्टी के कई नेताओं ने मदद की पेशकश की है। उन्होंने हमें भरोसा दिलाया है कि हम इस संकट से निपटने के लिए मिलकर काम करेंगे।"
विजयन ने कहा कि अतिरिक्त कानिव 108 एम्बुलेंस मंगाई गई हैं। अकेले वायनाड में 3,069 लोग राहत शिविरों में हैं। पांच मंत्री प्रयासों का समन्वय कर रहे हैं। प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण, लोगों को स्थानांतरित कर दिया गया था, और एक नारंगी अलर्ट घोषित किया गया था। बचाव कार्यों के लिए एक डॉग स्क्वायड पहुंचेगा। अधिकारियों के निर्देशों का ठीक से पालन किया जाना चाहिए। स्थानीय प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है कि शिविरों में रहने वालों को पीने का पानी, भोजन और अन्य आवश्यक चीजें उपलब्ध कराई जाएं। उत्तरी रेंज के आईजी, डीआईजी और कानून और व्यवस्था के अतिरिक्त डीजी ऑपरेशन का समन्वय करेंगे। सभी को ऐसी स्थितियों से बचना चाहिए जहां लोग आपदा स्थलों पर केवल दर्शक बने रहें। विभिन्न सरकारी विभागों के तहत नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। मैंने निर्देश दिया है कि आवश्यक सेवाओं में लगे अधिकारी भारी बारिश की स्थिति के कारण तैयार और स्टैंडबाय पर रहें।"
सीएम पिनाराई विजयन ने कहा कि भोजन और आवश्यक आपूर्ति पहुंचाने के लिए अभियान शुरू कर दिए गए हैं। 20,000 लीटर पीने का पानी ले जाने वाले दो वाहन आपदा क्षेत्र में पहुंचेंगे। वर्तमान में छुट्टी पर गए स्वास्थ्य कर्मचारियों को तुरंत ड्यूटी पर लौटने का निर्देश दिया गया है। प्रियजनों या संपत्तियों के नुकसान की भरपाई कोई नहीं कर सकता, लेकिन हमें अपना समर्थन देना चाहिए और प्रभावित लोगों को उठाना चाहिए। वायनाड में भूस्खलन के मद्देनजर, हमें पीड़ितों की सहायता के लिए एक साथ आना चाहिए। क्षेत्र के पुनर्निर्माण के लिए और अधिक सहायता की आवश्यकता है। मैं सभी से मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष (CMDRF) में योगदान करने और सहायता प्रदान करने का आग्रह करता हूं। जो लोग दान कर सकते हैं उन्हें दान करना चाहिए। अनावश्यक वाहनों के आने से काफी रुकावटें आ रही हैं और इनसे सख्ती से बचना चाहिए। सभी को सहयोग करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
वायनाड में भूस्खलन की घटनाएं मंगलवार तड़के हुईं जिससे अपने घरों में सो रहे लोगों को बचने का मौका भी नहीं मिल पाया। भूस्खलन ने तबाही के निशान छोड़े हैं। कई मकान जमींदोज हो गए हैं, नदियां उफान पर हैं और कई पेड़ उखड़ गए हैं। पुलिस, अग्निशमन, सेना, नौसेना और एनडीआरएफ के बचाव दल खराब मौसम के बीच पीड़ितों की तलाश कर रहे हैं।सूत्र ने बताया कि बचावकर्मियों को नदियों और कीचड़ से लोगों के अंग बरामद हो रहे हैं, इसलिए इस त्रासदी में मारे गए लोगों की सही संख्या का पता लगाना मुश्किल है। उसने बताया कि मृतकों में कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं और उनकी पहचान तथा पोस्टमार्टम के लिये के लिये शवों को विभिन्न अस्पतालों के मुर्दाघरों में ले जाया जा रहा है।
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