दिल्ली: 6 साल की बच्ची से स्कूल बस में छेड़छाड़, परिवार पर केस वापस लेने का दबाव, महिला आयोग ने पुलिस से मांगी रिपोर्ट
6 साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न का खुलासा होने के बाद स्कूल के चेयरमैन, प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल ने कोई पहल नहीं की। उल्टे पीड़ित बच्ची के माता-पिता से शिकायत वापस लेने का दबाव डाला।
देश की राजधानी दिल्ली के एक निजी स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची से यौन उत्पीड़न का सनसनीखेज मामला सामने आया है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस घटना को आरोपी ने स्कूल की बस में ही अंजाम दिया है। यह घटना दिल्ली के बेगमपुर इलाके की है। मामले में दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है।
उधर, 6 साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न का खुलासा होने के बाद स्कूल के चेयरमैन, प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल ने कोई पहल नहीं की। उल्टे पीड़ित बच्ची के माता-पिता से शिकायत वापस लेने का दबाव डाला। अब इस मामले में महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर तलब किया है।
पीड़िता की मां ने बताया कि 23 अगस्त को उनकी बेटी की स्कूल बस ने उसे सोसायटी के गेट पर छोड़ा तो पता चला कि बेटी का बैग पेशाब के कारण गीला हो गया है। उनका आरोप है कि पूछताछ करने पर लड़की ने बताया कि सीनियर क्लास में पढ़ने वाला एक छात्र स्कूल बस में छेड़छाड़ कर रहा था।
बच्ची की मां ने बताया कि वह अपने पति के साथ 24 अगस्त को स्कूल गई। जहां घटना की जानकारी प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल को दी। पीड़िता की मां ने आगे आरोप लगाया कि 25 अगस्त को चेयरमैन ने उन्हें स्कूल में बुलाया और शिकायत वापस लेने को कहा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि स्कूल के चेयरमैन ने बच्चे की पहचान उजागर की।
डीसीडब्ल्यू प्रमुख स्वाति मालीवाल ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर मामले में की गई गिरफ्तारी के विवरण के साथ एफआईआर की एक प्रति मांगी है। उन्होंने यह भी पूछा है कि क्या पुलिस को मामले की सूचना न देने और बच्ची की पहचान उजागर करने के लिए पॉक्सो अधिनियम के तहत अध्यक्ष, स्कूल प्रबंधक, प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और अन्य स्कूल अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है या नहीं? इस मामले में आयोग ने दिल्ली पुलिस से 5 सितंबर तक कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
स्वाति मालीवाल ने कहा कि हमें स्कूल के छह वर्षीय लड़की के साथ एक सीनियर छात्र के यौन उत्पीड़न का एक चौंकाने वाला मामला मिला है। ये बहुत गंभीर है। छह साल की बच्ची से लेकर 85 साल की महिला तक, कोई भी सुरक्षित नहीं है। आरोपियों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। मामले को दबाने की कोशिश करने के लिए स्कूल अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
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