सुकन्या समृद्धि योजना में पैसा लगाने वालों के लिए जरूरी खबर! नियमों में हुए हैं ये बदलाव
साल 2015 में केंद्र सरकार द्वारा लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लाए गए सुकन्या समृद्धि योजना में कुछ बदलाव किए हैं। अगर आप भी इस योजना में निवेश करते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहज जरूरी है। आइए जानते हैं वो कौन से बदलाव हैं जो इस योजना में किए गए हैं।
बेटियों की शादी और पढ़ाई की चिंता करने वाले माता-पिता के लिए जो सरकारी योजना काफी मददगार साबित हुई है, उसमें कई बदलाव किए गए हैं। अगर आप भी सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश कर रहे हैं या फिर करते हैं तो ये खबर आपके लिए जाननी बेहद जरूरी है।
लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई सुकन्या समृद्धि योजना में कुछ बदलाव किए गए हैं। नए नियमों के अनुसार, अगर खाते को दोबारा एक्टिव नहीं किया जाता है तो मैच्योर होने तक डिफॉल्ट अकाउंट पर स्कीम के लिए लागू दर से ब्याज मिलता रहेगा। जबकि पहले डिफॉल्ट खातों पर पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट के लिए लागू दर से ब्याज मिलता था। आपको बता दें, इस योजना के तहत खाता खुलवाने के लिए महज 250 रुपये की जरूरत होती है। खाते को एक्टिव रखने के लिए हर साल न्यूनतम 250 रुपये जमा कराने होते हैं। अगर न्यूनतम राशि भी खाते में जमा नहीं हो सकी तो ऐसे खाते को डिफॉल्ट अकाउंट माना जाता है।
नए नियमों के अनुसार बेटी की मौत की स्थिति में या अनुकंपा के आधार पर सुकन्या समृद्धि खाते को समय से पहले बंद करने की इजाजत दी गई है। अनुकंपा में खाताधारक की जानलेवा बीमारी का इलाज या अभिभावक की मौत जैसी स्थितियां शामिल हैं। इससे पहले खाता सिर्फ दो ही परिस्थितियों में बंद किया जा सकता था, पहला, बेटी की मौत होने
पर और दूसरा, उसके रहने का पता बदलने की स्थिति में।
पुराने नियमों के अनुसार बेटी को 10 साल की उम्र से खाते को ऑपरेट करने की इजाजत थी लेकिन नए नियमों के मुताबिक बेटी 18 साल के होने पर ही अब खाता ऑपरेट कर सकेगी। तब तक अभिभावक खाते को ऑपरेट करेंगे। बेटी के 18 साल का होने पर उस बैंक/पोस्ट ऑफिस में आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे जहां खाता खुला है। स्कीम के तहत दो बेटियों के लिए खाता खुलवाया जा सकता है। हालांकि, एक बेटी के जन्म के बाद दो जुड़वा बेटी हो जाती हैं तो उन सभी के लिए खाता खुल सकता है। नए नियमों के अनुसार, अगर दो से ज्यादा बेटियों का खाता खुलना है तो जन्म प्रमाणपत्र के साथ एफिडेविट भी जमा करना पड़ेगा। जबकि पहले अभिभावक को सिर्फ मेडिकल सर्टिफिकेट जमा करने की जरूरत पड़ती थी।
नए नियमों में खाते में गलत इंटरेस्ट डालने पर उसे वापस पलटने के प्रावधान को हटाया गया है। इसके अलावा नए नियमों के तहत खाते में ब्याज वित्त वर्ष के अंत में क्रेडिट किया जाएगा। बता दें साल 2015 में केंद्र सरकार ने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य बेटियों की पढ़ाई और उनकी शादी पर आने वाले खर्च को आसानी से पूरा करना है।
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