जज लोया केस: तीन दिन में नागपुर हाईकोर्ट के तीन जजों ने किया खुद को केस से अलग, नहीं बताया कोई कारण
विशेष सीबीआई जज बी एच लोया की विवादास्पद मौत के मामले में दायर एक याचिका पर पिछले तीन दिनों के अंदर तीन जजों ने सुनवाई से इनकार करते हुए खुद को अलग कर लिया है। याचिका में दावा किया गया है कि जज लोया की मौत रेडियोएक्टिव आईसोटोप के जहर से हुई थी।
विशेष सीबीआई अदालत के जज बीएच लोया की संदिग्ध मौत के मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के तीन जजों ने खुद को अलग कर लिया है। नागपुर हाईकोर्ट में वकील संजय उइके द्वारा दायर इस याचिका पर बुधवार को जस्टिस स्वपना जोशी ने बिना कोई कारण बताए सुनवाई से इनकार कर दिया। इससे दो दिन पहले जस्टिस एस पी शुक्रे और जस्टिस एस एम मोदक ने भी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। सोमवार को जस्टिस शुक्रे और जस्टिस मोदक की पीठ ने भी सुनवाई से इनकार करते हुए कोई वजह नहीं बताई। उन्होंने केवल इतना कहा, “हम सुनवाई नहीं करेंगे।”
इसके बाद मामले को जस्टिस जोशी और जस्टिस पी एन देशमुख की पीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। पिछले हफ्ते हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में सतीश उइके ने दावा किया है कि जज लोया की मौत किसी रेडियोएक्टिव आइसोटोप के जहर से हुई थी। उइके ने याचिका में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रतियों के साथ कई दस्तावेजी साक्ष्य पेश करते हुए लोया की मौत की जांच में बड़े पैमाने पर हेरफेर का दावा किया है।
न्यूज वेबसाइट द प्रिंट के अनुसार, याचिकाकर्ता संजय उइके ने बताया कि सुनवाई से खुद को अलग करने वाले जजों ने कहा कि उनके नाम जज लोया की मौत से जुड़ी घटनाओं में चर्चा में रहा था, इसलिए उनके द्वारा याचिका पर सुनवाई करना उचित नहीं होगा।
अपनी याचिका में उइके ने कहा है कि मार्च 2015 में अपने नागपुर दौरे के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष रतन कुमार सिन्हा से मुलाकात की थी। उन्होंने दावा किया है कि इस मुलाकात के सभी आधिकारिक रिकॉर्ड मिटा दिए गए हैं। उइके के अनुसार शाह की यह मुलाकात इस बात का सबूत है कि लोया की मौत रेडियोएक्टिव जहर से हुई थी।
बता दें कि 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में हुई जज लोया की मौत और उससे पहले की कड़ियों में जस्टिस जोशी, जस्टिस शुक्रे और जस्टिस मोदक के नाम आए थे। जज लोया नागपुर जस्टिस जोशी की बेटी की शादी की पार्टी में शामिल होने गए थे। जस्टिस शुक्रे उन दो जजों में से एक हैं जो नागपुर अस्पताल में लोया की मौत के समय उनके साथ थे। वहीं जज लोया इस पार्टी में शामिल होने जस्टिस मोदक के साथ नागपुर आए थे।
अपनी याचिका में उइके ने कहा है कि कि उनके पूर्व सहयोगी सेवानिवृत्त जिला जज प्रकाश थोंबरे और वकील श्रीकांत खंडलकर ने उन्हें बाताया था कि लोया की मौत रेडियोएक्टिव आइसोटोप के जहर से हुई थी। उसके बाद थोंबरे और खंडलकर की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
उइके का कहना है कि जज लोया की मौत नागपुर के रवि भवन में हुई थी, जबकि उनका पोस्टमॉर्टम नागपुर के गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज में किया गया था, जो कि अलग क्षेत्र में आता है। अपनी मौत से पहले थोंबरे और खंडलकर ने उइके को बताया था कि अपराध के असली गुनाहगारों को बचाने के लिए रवि भवन के रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ की गई थी।
उइके ने ये भी दावा किया है कि अक्टूबर 2014 के दूसरे सप्ताह में थोंबरे और खंडलकर के जरिये लोया ने उनसे कहा था कि सोहराबुद्दीन केस में उनपर दबाव बनाया जा रहा है। लोया ने अक्टूबर 2014 में वीडियो कॉलिंग के जरिये उइके से बात की थी। घटनाओं को याद करते हुए उइके ने कहा कि थोंबरे और खंडलकर की मौजूदगी में वह एक तीसरे शख्स से मिले थे, जिसने लोया से टैब के जरिये बात की थी। उस बातचीत में लोया ने कथित तौर पर उइके को बताया था कि केस में पक्ष में फैसला देने के लिए महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस उनपर दबाव डाल रह हैं। लोया ने उइके को नागपुर के किसी शुभांशु जोशी का नाम भी बताया था, जो उन्हें रिश्वत देता। उइके को लोया ने ये भी कहा था कि उन्हें पहले से अमित शाह को क्लीन चिट देने वाला एक तैयार किया हुआ फैसला दिया जा चुका है।
उस कथित तैयार फैसले के मिलने के बाद थोंबरे और खंडलकर के साथ उइके ने दिल्ली आकर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण से मुलाकात की थी। उनसे मुलाकात में प्रशांत भूषण ने कहा था कि मामले में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं।
गौरतलब है कि इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग को ठुकरा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस मोदक के उस बयान के आधार पर यह फैसला लिया था, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि वह उस समय जज लोया के साथ मौजूद थे जब उन्हें हर्ट अटैक आया था। जस्टिस मोदक उन चार जजों में से एक हैं, जिनके बयानों के आधार पर शीर्ष अदालत ने जांच से इनकार कर दिया था।
बता दें कि मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत के जज बी एच लोया अपनी मौत के समय राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील सोहराबुद्दी शेख के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में 22 अन्य लोगों के साथ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह प्रमुख आरोपी थे।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
- Sohrabuddin Encounter Case
- CBI Judge Loya
- सीबीआई जज लोया
- Nagpur High Court
- Death of Judge Loya
- नागपुर हाई कोर्ट
- सोहराबुद्दीन मुठभेड़ केस
- जज लोया की मौत
- संजय उइके
- Sanjay Uike