झारखंड: रिम्स में ‘जूनियर डॉक्टर्स’ और ‘नर्सों’ की हड़ताल से 14 मरीजों की मौत
झारखंड के रिम्स में जूनियर डॉक्टरों और नर्सों की हड़ताल की वजह से 14 मरीजों की मौत हो गई। अस्पताल से बिना इलाज कराए ही करीब 1500 मरीज लौट चुके हैं। इस दौरान मरीजों और उनके तीमारदारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
झारखंड के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में जूनियर डाक्टरों और नर्सों की हड़ताल के कारण कम से कम 14 मरीजों की मौत हो गई। मरीज के परिजनों के द्वारा अस्पताल कर्मचारी पर हमले के कारण डाक्टरों और नर्सों ने यह हड़ताल की थी। इस दौरान इमरजेंसी के साथ ओपीडी सेवा ठप करा दी गई। नर्सों ने अतिगंभीर मरीजों को इमरजेंसी में घुसने तक नहीं दिया। कई मरीज बिना इलाज के लौट गए। हद तो तब हो गई जब इलाज बिना हटिया की नीरू शर्मा ने इमरजेंसी गेट पर दम तोड़ दिया।
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रविवार को रिम्स की घटना पर संज्ञान लिया और मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी और स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रबंशी को डाक्टरों और नर्सों से बात करने के लिए कहा है। उनके बातचीत के बाद हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों और नर्सों ने हड़ताल को वापस ले ली गई।
1 जून की रात एक नर्स के इंजेक्शन देने के बाद मरीज गीता देवी की मौत हो गई। इसके बाद गीता देवी के परिजनों ने नर्स के साथ बदसलूकी और मारपीट की। 2 जून की सुबह जूनियर डाक्टर और नर्स हड़ताल पर चले गए और नए मरीजों की भर्ती रोक दी। जो मरीज पहले से भर्ती थे उन्हें दवा और उपचार नहीं दी गई। इसकी वजह से 14 मरीजों की मौत हो गई। रिम्स में शनिवार और रविवार को दो हजार से अधिक मरीजों को बिना इलाज वापस लौटना पड़ा। कई परिजनों ने पहले से भर्ती अपने मरीजों को दूसरे अस्पताल ले गए।
(आईएन के इनपुट के साथ)
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Published: 04 Jun 2018, 9:30 AM