कमलनाथ सरकार के 100 दिन: काम के लिए मिले 75 दिनों में कांग्रेस सरकार ने पूरे किए 83 फीसदी वादे
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के100 दिन पूरे हो गए हैं। इन सौ दिनों में सरकार ने अपने लगभग सभी चुनावी वादे पूरेकिए और राज्य में पार्टी को एक सूत्र में बांधने का काम किया है। इन सौ दिनों मेंसरकार का फोकस किसान और युवा रहे हैं।
डेढ़ दशक बाद मध्य प्रदेश में सत्ता की बागडोर संभालने वाली कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का बुधवार को सौवां दिन है। इस दौरान कमलनाथ सरकार का दावा है कि उसने अपने ज्यादातर चुनावी वादे पूरे किए हैं। हालांकि सरकार को वादे पूरे करने के लिए 100 दिनों में से सिर्फ 75 दिन ही मिले हैं और इसके बाद लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होने के बाद चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। आचार संहिता के चलते बहुत से वादे पूरे होने की प्रक्रिया फिलहाल रुक गई है, लेकिन उन पर जमीनी काम हो चुका है। लेकिन इन 75 दिनों में सरकार ने 83 वादे पूरे किए हैं।
आखिर कितने असरदार रहे वादे, यह सवाल सबके मन में है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 17 दिसंबर केा शपथ ली थी, लेकिन सरकार ने कमान संभाली 25 दिसंबर को जब कमलनाथ सरकार क मंत्रियों का शपथ ग्रहण हुआ। सत्ता संभालते ही सरकार और पार्टी वे सारे वादे पूरे करने में लगी है, जो उसने विधानसभा चुनाव से पहले किए थे।
मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार किसान कर्जमाफी के फैसले की बात कर रहे हैं। उनका दावा है कि राज्य के 50 लाख किसानों में से 22 लाख किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ हो चुका है। बाकी किसानों का कर्ज लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण नहीं हो पाया है, लेकिन चुनाव पूरे होते ही इनके कर्ज भी माफ कर दिए जाएंगे।
कमलनाथ ने सत्ता में आने के बाद सबसे ज्यादा फोकस किसानों पर रखा है, तो दूसरे नंबर पर युवा हैं। कांग्रेस ने युवाओं के लिए 'युवा स्वाभिमान रोजगार योजना' को अमली जामा पहनाया है। इस योजना के तहत युवाओं को साल में 100 दिन उनकी पसंद का प्रशिक्षण दिया जाता है और इस दौरान उन्हें 4000 रुपये प्रति माह का भत्ता (स्टाइपेंड) दिया जाता है।
इस तरह कमलनाथ सरकार ने किसानों और युवाओं पर ध्यान केंद्रित कर राज्य के बड़े वोटबैंक को आकर्षित किया है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कुल 5.04 करोड़ मतदाता है। इनमें 18 से 29 वर्ष आयु वर्ग के 1.53 करोड़ से ज्यादा मतदाता है। इसके अलावा ऐसे किसान जिनका कर्ज माफ होना है उनकी संख्या 55 लाख है। इस तरह देखा जाए तो मध्य प्रदेश के कुल मतदाताओं में किसानों और युवाओं की भागीदारी करीब 40 फीसदी है।
राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस कहते हैं कि कमलनाथ ने राज्य की सत्ता संभालते ही उन वर्गों के लिए किए गए वादों को पूरा करने का अभियान चलाया, जो चुनाव को सीधे प्रभावित करने वाले हैं। विधानसभा चुनाव में किसानों की कर्जमाफी के वादे का असर दिखा था और कांग्रेस को सत्ता मिली। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव से पहले भी कांग्रेस ने किसान और नौजवान से किए वादे सबसे पहले पूरे किए।
कमलनाथ के 100 दिन के कामकाज पर नजर दौड़ाएं तो एक बात तो साफ होती है कि उन्होंने हर वर्ग को अपने वादों से आकर्षित किया है और इन वादों को पूरा करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। सरकार ने पुलिस जवानों को साप्ताहिक अवकाश का प्रावधान किया है, तो गायों के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर गौशाला खोलने का अभियान चलाया है। इतना ही नहीं, बुजुर्गों को धार्मिक स्थलों की यात्रा कराई है। पुजारियों का मानदेय 1000 से बढ़ाकर 3000 रुपये मासिक किया है।
इतना ही नहीं कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में उद्योग संवर्धन नीति में बड़ा बदलाव करते हुए स्थापित होने वाले उद्योग में 70 फीसदी भर्ती में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता का वादा किया है। पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़कर 27 प्रतिशत किया तो गरीब सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि में बढ़ोतरी की।
इतना सब होने पर भी विपक्षी बीजेपी को इसमें खोट नजर आती है। विपक्षी दल का धर्म निभाते हुए बीजेपी के प्रदेश महामंत्री वी़ डी़ शर्मा किसानों की कर्ज माफी को सिर्फ छलावा बताते हैं तो युवाओं को रोजगार के नाम पर ठगने की बात कहते हैं। लेकिन, अपने कार्यकाल क पहले 100 दिन में कमलनाथ ने न सिर्फ अपनी प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया है, बल्कि पार्टी संगठन को भी मजबूत करने में श्रम किया है।
यह कमलनाथ ही थे जिन्होंने मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के 11 महीने के अंदर कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराई। इसके लिए उन्होंने गुटों में बंटी कांग्रेस को एकजुट करने का काम किया तो राज्य के लोगों की आकांक्षओं को गहराई से समझा और चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया।
कांग्रेस के प्रवक्ता सैयद जाफर का कहना है कि कमलनाथ ने पहले संगठन और उसके बाद सत्ता की कमान संभालने के बाद उन विपक्षी नेताओं के मुंह बंद कर दिए जो तरह तरह की बयानबाजी करते थे। कमलनाथ ने पहले कांग्रेस संगठन को एक सूत्र में पिरोने का काम किया तो दूसरी ओर कांग्रेस को सत्ता तक ले जाने का रास्ता तैयार किया। चुनाव से पहले जो वादे किए थे उन्हें पूरा करने का अभियान चलाया।
उन्होंने कहा कि राज्य आर्थिक कंगाली की हालत में था, उसके बाद भी किसान कर्जमाफी से लेकर तमाम वे फैसले हुए, जिन्हें करना दूसरी सरकार के लिए आसान नहीं था।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)
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