सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल से अमेठी की दीवारों पर दिख रहीं स्मृति, लेकिन लोगों के दिलों में तो राहुल ही हैं
अमेठी की महिलाएं तक गांधी परिवार से बड़ी आत्मीयता महसूस करती हैं। वहां की महिलाओं ने कहा कि राहुल तो अमेठी का बेटा है। उनके पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी ने चार दशकों से भी अधिक समय़ तक हमारा बहुत ख्याल रखा है।
कच्चा मकान हो या पक्का, अमेठी के हर घर की खिड़कियां और दीवारें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी के रंगीन पोस्टर से अटी हुई हैं। ऐसे ही पोस्टर लगे प्रचार वाहन यहां की गलियों में चक्कर काट रहे हैं। क्या बच्चे क्या बूढ़े और क्या जवान, कमल के फूल वाली टी-शर्ट पहने लोग चारों ओर दिख रहे हैं।
आखिर माजरा क्या है? गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र को हुआ क्या है? अमेठी ऐसा निर्वाचन क्षेत्र रहा है जहां भगवा टोपी और स्कार्फ पहने बीजेपी कार्यकर्ताओं का बड़ी संख्या में देखा जाना एक अनूठी घटना है। सोलन ब्लॉक के तीन गांवों का दौरा करने के दौरान इस संवाददाता को अंदर की बात पता चली।
इन गांवों के ग्राम प्रमुखों ने बताया, “सभी पटवारियों, लेखपालों, शिक्षामित्रों, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने-अपने इलाकों में बीजेपी का प्रचार सामग्री बांटने और चिपकाने का काम सौंपा गया है।” इन्हीं लोगों का ‘प्रताप’ है कि अमेठी के घर-घर पर मोदी-स्मृति के पोस्टर लगे हैं। दरअसल बीजेपी ने पूरे सरकारी अमले को इस काम में लगा रखा है।
अमेठी के गांवों में जाति-आधारित बस्तियां हैं। ब्राह्मणों और ठाकुरों की बस्तियों से लेकर यादवों, जाटवों, पासियों और ऐसी ही करीब एक दर्जन पिछड़ी जातियों की अलग-अलग बस्तियां। हर बस्ती का एक मुखिया है, जिसकी बात आम तौर पर समुदाय के लोग मानते हैं। अमेठी के लोगों से स्मृति ईरानी का निजी संपर्क तो है नहीं, ऐसे में उनके चुनाव प्रबधंक इन मुखियाओं को ‘मिलाकर’ चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। जिस मुखिया के पास जितनी संख्या, उसी के हिसाब से उसका ‘मोल’।
इनके अलावा, बेशक कथित ऊंची जाति के ठाकुर और ब्राह्मण संख्या में काफी कम हैं, लेकिन रजवाड़े के समय से ही यहां की ज्यादातर जमीन इन्हीं जातियों के पास हैं और अन्य जातियों पर उनका वर्चस्व रहा है। कुछ ही समय पहले कांग्रेस का हाथ थामने वाले वामपंथी छात्र संगठन आईसा के पूर्व कार्यकर्ता और दिल्ली यूनिवर्सिटी के रिसर्च छात्र सुधांशु वाजपेयी कहते हैं, “हम इस भय से ब्राह्मणों और ठाकुरों की बस्तियों में कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं कर पा रहे हैं कि कहीं हम पर हमला न हो जाए।’
सुधांशु बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और गोरखपुर यूनिवर्सिटी से आईसा के उन आठ छात्रों में से एक हैं जो हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए और अमेठी में राहुल गांधी के लिए प्रचार कर रहे हैं। आफताब आलम कहते हैं, “मोदी और शाह की जोड़ी ने भारत के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ढांचे को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है और हमारा मानना है कि सिर्फ कांग्रेस ही बीजेपी को रोक सकती है।”
सुधांशु, आफताब, दिनेश सरोज, दीपक सिंह उस टीम का हिस्सा हैं जो दस दिन से अमेठी में प्रचार कर रही है और ये लोग अब तक 120 गांवों में घूम चुके हैं। यह पूछे जाने पर कि स्मृति ईरानी के लिए प्रचार करते बीजेपी कार्यकर्ता क्यों नहीं दिख रहे हैं। सुधांशु ने कहा, “बीजेपी और संघ कार्यकर्ता इस बार अलग तरह की रणनीति पर काम कर रहे हैं। वे अपना काम रात में कर रहे हैं और उनका पूरा ध्यान सांप्रदायिक दुराव पैदा करने और कांग्रेस को मुस्लिम समर्थक दिखाने पर है।”
यहां बीजेपी पासी वोटरों को बता रही है कि कभी इस इलाके पर पासी राजा का शासन था जिसे मुगलों ने पलट दिया और कांग्रेस अब उन्हीं मुगलों के हितों को पूरा करना चाह रही है। सुधांशु बताते हैं कि बीजेपी का प्रचार तंत्र फोटोशॉप की हुई फर्जी तस्वीरों के जरिये नेहरू-गांधी परिवार की छवि बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है। अल्ताफ कहते हैं, “पिछली बार बीजेपी युवा वोटरों को लुभाने में सफल रही थी, लेकिन इस बार वे ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि उनके झूठ का पर्दाफाश हो चुका है।”
बुजुर्ग पासी महिला मूर्तिदेवी कहती हैं, “राहुल अमेठी का बेटा है। उनके पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी ने चार दशकों से भी अधिक समय़ तक हमारा बहुत ख्याल रखा है।” वैसे भी अमेठी की महिलाएं गांधी परिवार से बड़ी आत्मीयता महसूस करती हैं क्योंकि 2002 में राजीव गांधी महिला विकास परियोजना के तहत महिलाओं के स्व-सहायता समूह बनाए गए और आज 10 लाख से भी ज्यादा महिलाएं सशक्तीकरण के इस अभियान से जुड़ी हुई हैं।
हालांकि बीजेपी ने यहां अपना पूरा जोर लगा दिया है। इसी के तहत पार्टी ने यहां बड़ी संख्या में कमल छाप वाली टी-शर्ट बांटी है। इस बारे में एक अधेड़ व्यक्ति ने कहा, “हमने टी-शर्ट और जूते ले लिए हैं। अगर वे पैसा वगैरह भी देते हैं तो उसे भी हम ले लेंगे, लेकिन वोट तो कांग्रेस को ही देंगे।”
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