राजस्थानः योग के बहाने बीजेपी का प्रचार कर रहे थे रामदेव, अफसर ने हड़काया तो भूल गए अनुलोम-विलोम
बीजेपी के राज्यवर्धन राठौर के नामांकन में जयपुर पहुंचे रामदेव कलेक्ट्रेट में ही योग कलाओं के प्रदर्शन के बहाने रिटर्निंग ऑफिसर के कमरे के बाहर भाषण देने लगे। जब रिटर्निंग ऑफिसर ने कार्रवाई करने की चेतावनी दी, तब जाकर रामदेव रुके।
जिन लोगों को लग रहा था कि पतंजलि के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स के विज्ञापनों के जरिये हर टीवी स्क्रीन पर, बस, थोड़ी-थोड़ी देर पर प्रकट हो जाने वाले बाबा रामदेव इस बार चुनावों से गायब हैं, तो उनको बता दें कि ये सिर्फ उनका भ्रम है। क्योंकि अपने को योग गुरु कहलवाना पसंद करने वाले रामदेव इस लोकसभा चुनाव में राजस्थान में ज्यादा सक्रिय तौर पर नजर आ रहे हैं।
पिछले चुनाव से करीब दो-ढाई साल पहले से रामदेव इसी तरह देश भर में सक्रिय थे। इस युवा भगवाधारी ने यूपीए सरकार के कामकाज को लेकर धरना-प्रदर्शन तक किया था। तब उनका नारा था- ऐसी सरकार चाहिए, जो काला धन खत्म करे। इसके लिए उनका नुस्खा थाः ‘बड़े नोट बंद कर देने चाहिए’।
पता नहीं कितना सच है, लेकिन शायद इससे ही प्रेरणा लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की थी और करोड़ों लोगों को बेरोजगार कर दिया था। खैर, रामदेव ने राष्ट्रीयता के नाम पर अपने उत्पादों की जबर्दस्त मार्केटिंग की और आज तो पतंजलि अराबों-खरबों का सालाना व्यापार करती है।
हालांकि, पिछले चुनाव में बेहद मुखर रहे रामदेव इस बार चुनावों में परदे के पीछे ज्यादा सक्रिय हैं और खासकर राजस्थान में। बताया जा रहा है कि राजस्थान में सीकर सीट से स्वामी सुमेधानंद और अलवर से बाबा बालकनाथ को बीजेपी टिकट दिलाने में उन्हीं की भूमिका रही है। रामदेव को मालूम है कि जनता का ध्यान कैसे आकर्षित किया जाए, इसलिए जब वह राज्यवर्धन राठौर का नामांकन पत्र दाखिल करवाने जयपुर आए, तो कलेक्टोरेट में ही योग कलाओं का प्रदर्शन करने लगे।
हाल यह हुआ कि बाबा ने अनुलोम-विलोम तो किया ही, वह रिटर्निंग ऑफिसर के कमरे के बाहर अपने उद्गार भी व्यक्त करने लगे। वह तब ही रुके जब रिटर्निंग ऑफिसर ने कार्रवाई करने की एक तरह से चेतावनी दी। मौके पर मौजदू राज्यसभा सदस्य किरोड़ीलाल मीणा ने कहा भी कि अगर बाबा नहीं रुकते, तो हमें रिटर्निंग ऑफिसर का कोपभाजन बनना पड़ता और संभव है चुनाव आयोग का नोटिस मिल जाता।
अपनी इस तरह की हरकतों पर रामदेव का कहना था कि “हम लोग कोई राजनीति पर तो बातचीत कर नहीं रहे थे। मैं योग कर रहा था जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। मैं तो राठौर को शुभाशीर्वाद देने आया था।” रामदेव जब जयपुर में थे, तब दोनों बाबा प्रत्याशी- स्वामी सुमेधानंद और बाबा बालकनाथ भी वहीं थे। कर्नल राठौर के घर के पास ही वैशाली नगर इलाके में इन दोनों ने भी रामदेव का आशीर्वाद लिया। कर्नल राठौर को रामदेव ने छोटे भाई-जैसा बताया और कहा कि वे दोनों दो-तीन दिनों में एकबार बात जरूर करते हैं।
राजस्थान की चुनावी राजनीति में पहले भी साधु-संत सक्रिय रहे हैं। लेकिन रामदेव तो हाल के वर्षों में देश भर में किसी-न-किसी बहाने बीजेपी के लिए सक्रिय रहे हैं। इस बार वह जोधपुर भी गए जहां उन्होंने गांधी मैदान में आयोजित सत्संग में भाग लिया। वहां भी उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा कि मोदी को उनका आशीर्वाद प्राप्त है। उन्होंने यह तक कहा कि कोई भी मोदी से बेहतर व्यक्ति ले आए, वह उसे भी अपना आशीर्वाद देंगे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जोधपुर में कांग्रेस प्रत्याशी हैं। इस सीट से केंद्रीय मंत्री और निवृत्तमान सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत बीजेपी प्रत्याशी हैं। राजस्थान में रामदेव ने पाली से बीजेपी उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी के प्रति भी अपना समर्थन जताया। यहां से पूर्व मंत्री बद्रीनारायण जाखड़ कांग्रेस प्रत्याशी हैं।
हालांकि, पतंजलि भले खरबों की कंपनी बन गई हो, लेकिन रामदेव कभी ये कहना नहीं भूलते कि वह तो, बस, फकीर हैं, न तो उन्हें धन की जरूरत है, न सत्ता-शक्ति की।
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