मुजफ्फरनगरः चुनाव के बाद ईवीएम की सुरक्षा बनी चुनौती, लाठी-डंडे के साथ पहरेदारी कर रहा विपक्ष
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में चुनाव के बाद से ही स्ट्रॉंग रूम के बाहर चौधरी अजित सिंह के समर्थक लाठी-डंडों के साथ डेरा जमाए हुए हैं। उनका कहना है कि उन्हें सरकार की चौकीदारी पर भरोसा नही है, इसलिए वे अपने सामान की खुद हिफाजत कर रहे हैं।
मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र में संपूर्ण विपक्ष 13 दिन से ईवीएम की पहरेदारी कर रहा है। 11 अप्रैल को मुजफ्फरनगर में हुए मतदान के बाद से ही गठबंधन के उम्मीदवार चौधरी अजित सिंह के समर्थकों ने यहां डेरा जमा दिया था। इस लोकसभा सीट पर चुनाव के बाद ईवीएम मशीन नई मंडी कुकड़ा में रखी गई हैं। यही नहीं बिजनौर लोकसभा के प्रत्याशी मलूक नागर की भी एक टीम यहां पहरेदारी कर रही है। बिजनौर सीट में आने वाले दो विधानसभा क्षेत्र इसी जनपद का हिस्सा हैं। 23 मई को मतगणना यहीं होगी।
चुनाव संपन्न होने के बाद से ही स्टरॉंग रूम के बाहर दो दर्जन से ज्यादा लोग जुटे हुए हैं। यहां पर युवाओं की ड्यूटी तय की गई है। रात और दिन के लिए अलग-अलग टीम हैं। यहां हुक्का चारपाई और खाने की सब व्यवस्था है। आरएलडी के जिलाध्यक्ष अजित राठी इनका नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि बीएसपी और एसपी के कार्यकर्ता भी मौजूद रहते हैं। यहां मौजूद लोगों के मुताबिक उन्हें सरकार की चौकीदारी पर भरोसा नहीं है, इसलिए वे अपने सामान की खुद हिफाजत कर रहे हैं।
जिस स्ट्रॉंग रूम में ईवीएम मशीनें रखी गई हैं, उसके सामने सड़क की एक ओर टेंट लगाकर हुक्का गुड़गुड़ा रहे अजित राठी कहते हैं कि उन्हें सरकार की नीयत पर भरोसा नहीं है। चौकीदार ईमानदार नही है, ईवीएम बदली जा सकती हैं। इसीलिए वे खुद हिफाजत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मतदान के दौरान प्रशासन ने बीजीपी प्रत्याशी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की और कई जगह उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। राठी ने कहा, “हम प्रशासन की नीयत को समझ गए हैं। वे चौधरी साहब (अजित सिंह) को हराना चाहते हैं जबकि उनके पक्ष में भारी मतदान हुआ है और वह चुनाव जीत गए हैं। अब मशीनों की गड़बड़ी से उन्हें हराया जा सकता है, इसलिए हम पहरा दे रहे हैं।”
मंडी स्थल कुकड़ा में पहरेदारी कर रहे लोगों में अधिकतर किसान हैं। यहां पिछले 12 दिन से डटे सिसौली के किसान भगत सिंह के अनुसार सरकार निक्कमी है। इस समय खेतों में गेंहू कटाई और गन्ना बुआई का काम चल रहा है, लेकिन फिर भी वह यहां जुटे हैं, क्योंकि मोदी सरकार ने किसानों को बर्बाद करके रख दिया है। उन्होंने कहा, “यह किसी तरह भी गड़बड़ कर सकते हैं। ईवीएम मशीन बदली जा सकती है, उनमें गड़बड़ी की जा सकती है, इसलिए हम खुद पहरा दे रहे हैं और किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।”
मेजर सिंह कहते हैं, "चौधरी अजित सिंह एक निहायत ही शरीफ आदमी हैं, मगर बीजेपी में बड़े-बड़े शातिर हैं और ये सभी चौधरी साहब को बेईज्जत करना चाहते हैं। मतदान के दौरान भी गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश की गई और कुछ जगह फर्जी मतदान भी हुआ। लेकिन हम अब कोई गड़बड़ नहीं होने देंगे।" बीएसपी के जिलाध्यक्ष सतपाल कटियार भी यहीं जमे हैं।
एक और किसान राजेन्द्र सिंह के अनुसार "किसान कभी नहीं चाहता कि यह सरकार वापस आए। इन्होंने गन्ने की कीमत नहीं बढ़ाया है। ये लोग सत्ता हासिल करने के लिए गलत तरीका अपना रहे हैं। 2014 में इन्होंने हिंदू-मुस्लिम को लड़वा दिया। अब इनसे पूछा जाना चाहिए कि तीन किविंटल आरडीएक्स कश्मीर में कहां से आया। हमें इन्हें इस बार नहीं आने देंगे।”
खास बात ये है कि अपना घर-बार छोड़ यहां डटे लोगों को उनके परिवार का भी पूरा समर्थन है। यहां मौजूगद एक युवक अजय बताता है, "परिवार के लोग तो कहते हैं कि वहीं रहो, रखवाली करो, लेकिन ये सरकार दोबारा नहीं आनी चाहिए। इन्होंने सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई सबकी इज्जत खराब कर दी। जब इतनी भारी सुरक्षा में राफेल की फाइल गायब हो सकती है तो ईवीएम भी बदली जा सकती है। ये बेईमान लोग हैं। इनका कोई भरोसा नहीं है।”
बिजनौर लोकसभा के बलबीर सिंह नागर भी यहां तैनात हैं। वह बताते हैं कि बिजनौर लोकसभा क्षेत्र की दो विधानसभा मुजफ्फरनगर जनपद में लगती है, जिनकी ईवीएम भी यहां है और वह यहां उन्हीं की पहरेदारी के लिए है, क्योंकि सरकार का कोई भरोसा नहीं है।"
आरएलडी के प्रवक्ता अभिषेक चौधरी के मुताबिक चुनाव आयोग ने मीडिया को मुजफ्फरनगर में 66.66 फीसद मतदान होने की जानकारी दी थी। लेकिन निर्वाचन कार्यालय से यह आंकड़ा 68.22 हो गया है। अपनी टीम के साथ यहां डटे आरएलडी की छात्र सभा के जिलाध्यक्ष पराग चौधरी कहते हैं, “2 फीसद वोट की यह बढ़ोतरी 30 हजार वोट बनती है। यह सभी लाइन में लगे हुए लोग सिर्फ बीजेपी समर्थित बूथों पर ही क्यों थे। जाहिर है अपनी हार देखकर फर्जी मतदान करवाया गया और इसमें प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत थी।”
हालांकि प्रशासन का कहना है कि कई जगहों पर 6 बजे के बाद भी लोग लाइन में लगे हुए थे इसलिए इन्हें वोट डालने दिया गया, जिसकी वजह से ये आंकड़ा बढ़ गया। मुजफ्फरनगर के डीएम आलोक पांडे ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि मतदान निष्पक्ष हुआ है और ईवीएम की सुरक्षा करने में प्रशासन पूरी तरह सक्षम है।
बता दें कि चौधरी अजित सिंह मुजफ्फरनगर से संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला बीजेपी के संजीव बालियान से है। संजीव बालियान 2014 में चार लाख मतों से चुनाव जीते थे, मगर इस बार विपक्ष की एकजुटता की वजह से उनकी कश्ती डावांडोल नजर आ रही है।
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Published: 24 Apr 2019, 5:00 PM