लोकतंत्र के पन्ने: बागपत में बीजेपी मारेगी बाजी या जयंत की होगी जय? जानें क्या कहता है इतिहास 

बागपत लोकसभा सीट को जाटलैंड के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह सीट आरएलडी का गढ़ रहा है। हालांकि यहां से कांग्रेस शुरूआती दौर में पांच बार किला फतह कर चुकी है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

लोकसभा चुनाव 2019 के प्रथम चरण के लिए 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इसी दिन उत्तर प्रदेश के 8 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा। बागपत लोकसभा सीट पर भी पहले चरण में ही वोटिंग होनी है। बागपत लोकसभा सीट को जाटलैंड के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह सीट आरएलडी का गढ़ रहा है। हालांकि यहां से कांग्रेस शुरूआती दौर में पांच बार किला फतह कर चुकी है। वहीं लोकदल, बीएलडी, जनता दल और आरएलडी के झंडे तले चौधरी चरण सिंह व चौधरी अजित सिंह का भी इस सीट पर वर्षों कब्जा रहा है।

बीजेपी भी यहां से दो बार विजयी बनने में कामयाब रही है। 1998 में बागपत से पहली बार बीजेपी के किसी उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। वहीं 2014 के चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार डॉ. सत्यपाल सिंह बागपत से जीते थे। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने यहां से लगातार दूसरी बार इस सीट पर जीत हासिल नहीं की है। 1998 लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी को इस सीट पर 16 साल बाद जीत नसीब हुई।

बागपत लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो अब तक यहां से पांच बार कांग्रेस और 1967 में एक बार निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की है। उसके बाद वर्ष 1977 से वर्ष 2009 तक चौधरी चरण सिंह और चौधरी अजित सिंह का बागपत सीट पर एक छत्र राज रहा है। हालांकि 1998 के लोकसभा के चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी सोमपाल शास्त्री ने चौधरी अजित सिंह को चुनाव हरा दिया था।

उसके बाद यहां से बीजेपी को जीत दर्ज करने में 16 साल लग गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त डॉ. सत्यपाल सिंह को प्रत्याशी बनाया था। डा. सत्यपाल सिंह ने रिकार्ड वोटों से जीत हासिल की थी ।

इस चुनाव में भी बीजेपी ने डा. सत्यपाल सिंह पर दांव खेला है। तो वहीं बीएसपी, एसपी और आरएलडी गठबंधन की ओर से लोकदल के मुखिया अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी मैदान में हैं।

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