सीएम योगी और मायावती नहीं कर पाएंगे चुनाव प्रचार, चुनाव आयोग ने लगाया बैन
योगी आदित्यनाथ और मायावती ना ही कोई रैली को संबोधित कर पाएंगे, ना ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर पाएंगे और ना ही किसी को इंटरव्यू दे पाएंगे। इन दोनों पर यह रोक 16 अप्रैल सुबह 6 बजे शुरू होगा।
चुनाव आयोग ने बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामले कड़ी कार्रवाई की है। आयोग ने योगी आदित्यनाथ को 72 घंटे और मायावती को 48 घंटे के लिए चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी है। चुनाव आयोग की ये रोक 16 अप्रैल से शुरू होगी।
इस दौरान योगी आदित्यनाथ और मायावती ना ही कोई रैली को संबोधित कर पाएंगे, ना ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर पाएंगे और ना ही किसी को इंटरव्यू दे पाएंगे। इन दोनों पर यह रोक 16 अप्रैल सुबह 6 बजे शुरू होगा।
चुनाव आयोग के इस आदेश के बाद योगी आदित्यनाथ 16, 17 और 18 अप्रैल को कोई प्रचार नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा मायावती 16 और 17 अप्रैल को कोई चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगी।
इससे पहले सोमवार (15 अप्रैल, 2019) को मायावती और योगी आदित्यनाथ पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से नाराजगी जताई और इन दोनों नेताओं पर कार्रवाई न किए जाने को लेकर चुनाव आयोग (ईसी) को तलब किया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने ईसी के प्रतिनिधियों से मंगलवार (16 अप्रैल, 2019) से पहले हाजिर होने के लिए कहा है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में नेताओं द्वारा अपने चुनावी भाषणों में जाति और धर्म का जिक्र कर घृणा फैलाने वाली टिप्पणियों के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में ऐेसे नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई थी। इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा, “यह चुनावी पैनल की जिम्मेदारी है और वह ऐसे मसलों पर आंखों बंद कर के नहीं बैठ सकता है।”
वहीं कोर्ट के सवाल के जवाब में चुनाव आयोग ने बताया था कि उसके पास बेहद सीमित शक्तियां होती हैं और वह सिर्फ नोटिस जारी कर सकता है, सलाह दे सकता और आदर्श आचार संहिता का उलंल्घन करने पर पार्टियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है।
ईसी ने कोर्ट के समक्ष कहा था, “हमारे पास इससे अधिक शक्तियां नहीं है। हम लोगों को अयोग्य नहीं घोषित कर सकते हैं।” वहीं, कोर्ट ने इस पर कहा था- आपको इस तरह के बयान आने पर कार्रवाई करनी चाहिए।
बता दें कि आचार संहिता के उल्लंघन पर चुनाव आयोग द्वारा सख्त कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर उसकी आलोचना हो चुकी है। खासकर सीएम योगी के ‘मोदी की सेना’ वाले बयान के बाद, जिसमें उन्होंने भारतीय सेना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सेना करार दिया था। ईसी ने इस पर सिर्फ कहा था, “भविष्य में आप इस बाबत सावधान और सतर्क रहें।”
वहीं बीएसपी प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश के देवबंद में चुनावी सभा के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों से वोटों के लिए अपील की थी। मायावती ने अपने संबोधन में कहा था कि मुस्लिम समुदाय के लोग अपना वोट बंटने ना दें और सिर्फ महागठबंधन के लिए वोट दें।
वहीं इसके जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अगर विपक्ष को अली पसंद है, तो हमें बजरंग बली पसंद हैं। दोनों नेताओं के इन बयानों पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया था और दोनों नेताओं को हिदायत दी थी।
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