लोकतंत्र के पन्ने: यूपी के अमरोह लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, जानिए यहां का चुनावी इतिहास
अमरोहा लोकसभा सीट पर भी दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान कराया जाएगा। वैसे तो चुनावी मैदान में 15 कैंडिडेट हैं, लेकिन बीजेपी के मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर, बीएसपी के कुंवर दानिश अली और कांग्रेस के युवा चेहरे सचिन चौधरी पर खासा नजर है।
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए दूसरे चरण की वोटिंग 18 अप्रैल को होगी। इस दौर में उत्तर प्रदेश के 8 लोकसभा सीटों पर भी वोटिंग होगी। अमरोहा लोकसभा सीट पर भी दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान कराया जाएगा। वैसे तो चुनावी मैदान में 15 कैंडिडेट हैं, लेकिन बीजेपी के मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर, बीएसपी के कुंवर दानिश अली और कांग्रेस के युवा चेहरे सचिन चौधरी पर खासा नजर है। इनमें दानिश मुस्लिम, कंवर सिंह तंवर गुर्जर और सचिन चौधरी जाट समाज से हैं। मुस्लिम बहुल इस सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है। यहां जाट समाज भी बड़ी तादाद में है। चुनाव परिणाम का रुख बदलने में उसकी खास भूमिका रहती है।
2014 लोकसभा चुनाव में अमरोहा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार कंवर सिंह तंवर विजयी रहे थे। उन्होंने समाजवादी पार्टी के हुमैरा अख्तर को हराया था। इस चुनाव में कंवर सिंह तंवर को 48.3 फीसदी वोट मिले थे। वहीं एसपी उम्मीदवार हुमैरा अख्तर को 33.8 फीसदी वोटों से संतोष करना पड़ा था। बहुजन समाज पार्टी की उम्मीदवार फरहत हसन को 14.9 फीसदी मतदाताओं का साथ मिला था।
अमरोह लोकसभा सीट का इतिहास
कभी मुरादाबाद का हिस्सा रहे अमरोहा को 15 अप्रैल 1997 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने पहली बार ज्योतिबा फुले नगर नाम से जिले का अस्तित्व प्रदान किया। बाद में समाजवादी पार्टी सरकार ने जिले का नाम बदलकर अमरोहा कर दिया। इस सीट पर सभी दलों को जीत मिली है। बीजेपी, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल के अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भी को भी यहा दो बार जीत मिली है। तो वहीं एक बार निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत का स्वाद चखा है।
1952 के पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मोहम्मद हिफजुर रहमान अमरोह के पहले सांसद बने। मोहम्मद हिफजुर रहमान यहां से लगातार तीन बार सांसद चुने गए। 1957 और 1962 लोकसभा चुनाव में जीत के साथ उन्होंने यहां से हैट्रिक लगाई। वहीं चौथे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अमरोहा से हार का सामना करना पड़ा। साल 1967 के लोकसभा चुनाव में कम्यूनिस्ट पार्टी ने पहली बार अमरोहा में अपना परचम लहराया। पार्टी के उम्मीदवार इशाक संभाली साल 1967-71 में लगातार दो बार यहां से चुनाव जीते। वहीं 1977 के लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल के चंद्रपाल सिंह संसद पहुंचे। साल 1980 में भी वो जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने में कामयाब रहे। तो वहीं 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां से लंबे समय बाद जीत मिली। पार्टी के उम्मीदवार राम पल सिंह चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। जबकि 1989 में जनता दल अमरोहा के जनता के दिल में जगह बनाने में कामयाब रही। पार्टी के उम्मीदवार हर गोविंद सिंह यहां से सांसद बने। वहीं 1991 में हुए दसवीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पहली बार यहां से जीत मिली। क्रिकेटर चेतन चौहान बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने में कामयाब रहे। हालांकि 1996 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का समना करना पड़ा। प्रताप सिंह समाजवादी पार्टी के टिकट पर अमरोहा से संसद पहुंचे। साल 1998 में चेतन चौहान ने पिछले लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला लिया। बीजेपी के टिकट पर वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे। अगले 1999 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार रशीद अल्वी चुनाव जीते। जबकि 2004 में अमरोह की जनता ने निर्दलीय उम्मीवार हरीश नागपाल को संसद भेजा। तो वहीं 2009 में देवेन्द्र नागपाल राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर चुनाव जीतने में कामयाब रहे। फिलहाल बीजेपी के कंवर सिंह तंवर यहां से सांसद हैं।
मतदाताओं की संख्या
अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में कुल 1633188 लाख मतदाता हैं। जिनमें से 764162 लाख महिला और 868915 लाख पुरुष मतदाता हैं। यहां लिंगानुपात 1000:910 है, यानि यहां प्रति 1000 पुरुषों पे 910 महिलाएं हैं। यहां की औसत साक्षरता दर 63.84% है. 74.54% पुरुष यहां साक्षर हैं और 52.10% महिलाएं साक्षर हैं।
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