विश्व मजदूर दिवस पर ‘जनता पागल हो गयी है’ नाटक का हुआ मंचन
सत्ता की पूंजीवादी-भोगवादी संस्कृति के खिलाफ और रंगकर्मियो को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के पक्ष में 1 मई को विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर दिल्ली में प्रसिद्ध नाटक ‘जनता पागल हो गयी है’ का मंचन हुआ।
विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर 1 मई को दिल्ली के मंडी हाउस में प्रसिद्ध नाटक ‘जनता पागल हो गयी है’ का मंचन हुआ। ‘विकल्प सांझा मंच’ के तत्वाधान में नाट्य संस्था ‘सांझा सपना’ के रंगकर्मियों द्वारा इस नाटक का मंचन किया गया। नाटककार शिवराम द्वारा लिखित यह नाटक हिन्दी का पहला नुक्कड़ नाटक माना जाता है। इस नाटक को सबसे ज्यादा मंचित नाटक का भी सम्मान प्राप्त है।
युवा रंगकर्मी आशीष मोदी के निर्देशन में इस नाटक में अभिजीत, महफूज आलम, विक्रांत, रजत जोरया, संदीप, हर्ष, शास्वत और सनी ने मुख्य भूमिकाओं को बखूबी निभाया। वहीं सहायक भूमिकाओं में आशीष मोदी, अपेक्षा और यश ने भी भरपूर साथ दिया।
मंचन के अवसर पर प्रसिद्ध नाटककार राजेश चन्द्र ने दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि मई दिवस दुनिया के मजदूरों-मेहनतकशों के अधिकारों की प्राप्ति के लिये किये गये बहादुराना संघर्षों और शहादतों को याद करते हुए एकजुट होने और उस निर्णायक संघर्ष के लिये संकल्प लेने का दिन है। यह संकल्प तब तक कायम है, जब तक दुनिया में बराबरी कायम नहीं हो जाती और इंसानों द्वारा इंसानों का शोषण संभव नहीं रह जाता है।
रंगकर्मी ईश्वर शून्य ने कहा कि रंगमंच के क्षेत्र में व्याप्त जिस संस्कृति की बात की जा रही है, वह पूंजीवाद और साम्राज्यवाद का ही एक उत्पाद है और उसका काम जनता के बुनियादी अधिकारों के लिये किये जाने वाले आन्दोलनों को तोड़ना और उसके असन्तोष को सहमति में बदल कर शासक वर्गों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि इस तरह देखें तो एक मजदूर और एक रंगकर्मी में बहुत अंतर नहीं है।
इस अवसर पर ‘ट्रस्ट’ संस्था द्वारा राजेश तिवारी के निर्देशन मे ‘कलंक’ नाटक की प्रभावशाली प्रस्तुति के साथ ही ‘अस्मिता थिएटर’ द्वारा प्रसिद्ध रंगकर्मी अरविंद गौड़ के निर्देशन मे क्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुति भी दी गई।
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