दुनियाः कमला हैरिस के पार्टी उम्मीदवार बनने का रास्ता साफ और मुसलमानों से माफी मांगेगी श्रीलंकाई सरकार

कनाडा में अल्बर्ट राज्य की राजधानी एडमोंटन में एक हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया। मंदिर में तोड़फोड़ की गई और भारत विरोधी नारे भी लिखे गए। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने वाशिंगटन दौरे पर गाजा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों के परिवार से मुलाकात की।

कमला हैरिस के पार्टी उम्मीदवार बनने का रास्ता साफ
कमला हैरिस के पार्टी उम्मीदवार बनने का रास्ता साफ
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नवजीवन डेस्क

कमला हैरिस के पार्टी उम्मीदवार बनने का रास्ता साफ

कमला हैरिस ने राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की संभावित उम्मीदवार बनने के लिए पर्याप्त ‘डेलीगेट’ (प्रतिनिधि) का समर्थन हासिल कर लिया है। इससे पहले अमेरिकी उपराष्ट्रपति को संभावित प्रतिद्वंद्वियों, सांसदों, गवर्नर और प्रभावशाली समूहों से समर्थन मिला था। सीएनएन की खबर के मुताबिक, भारतीय-अफ्रीकी मूल की हैरिस को 1976 ‘डेलीगेट’ का समर्थन मिल गया है जो राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार बनने के लिए जरूरी संख्या से ज्यादा है।

हैरिस ने कहा, “ जब मैंने राष्ट्रपति पद के लिए अपने अभियान की घोषणा की थी, तो मैंने कहा था कि मैं यह नामांकन हासिल करना चाहती हूं। आज रात, मुझे इस बात पर गर्व है कि मुझे हमारी पार्टी का उम्मीदवार बनने के लिए आवश्यक समर्थन मिल गया है।” हैरिस ने कहा, “ मैं जल्द ही औपचारिक रूप से नामांकन स्वीकार करने की आशा करती हूं।”

राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को घोषणा की कि वह राष्ट्रपति पद का आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके साथ ही उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के तौर पर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के नाम का अनुमोदन किया। बाइडन के राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर होने के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख नेता हैरिस के समर्थन में तत्काल खड़े हो गए। अमेरिका में इस साल पांच नवंबर को चुनाव होने हैं।

हैरिस ने कहा कि वह राष्ट्रपति बाइडन और डेमोक्रेटिक पार्टी के सभी लोगों की आभारी हैं जिन्होंने उन पर अपना विश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव दो अलग-अलग दृष्टिकोणों के बीच एक स्पष्ट विकल्प प्रस्तुत करेगा। डोनाल्ड ट्रम्प हमारे देश को उस दौर में वापस ले जाना चाहते हैं जब हममें से कई लोगों को पूर्ण स्वतंत्रता और समान अधिकार नहीं थे।” हैरिस का जन्म प्रवासी माता-पिता (एक अश्वेत पिता और एक भारतीय मां) से हुआ। उनके पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के थे और उनकी मां श्यामला गोपालन चेन्नई की एक कैंसर शोधकर्ता और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता थीं।

कोविड पीड़ितों के जबरन दाह संस्कार पर मुसलमानों से माफी मांगेगी श्रीलंकाई सरकार

श्रीलंका की सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह कोविड-19 से जान गंवाने वाले मुस्लिम व्यक्तियों के जबरन दाह संस्कार के लिए देश के मुस्लिम समुदाय से औपचारिक रूप से माफी मांगेगी। श्रीलंकाई सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण कोरोना महामारी के दौरान विवादित शवदाह नीति लागू की थी। वर्ष 2020 में कोविड-19 पीड़ितों के दाह संस्कार का अनिवार्य आदेश जारी किया गया था जिससे मुसलमानों सहित कई अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को उनके धार्मिक अधिकारों से वंचित होना पड़ा था। हालांकि, बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बीच फरवरी 2021 में इस आदेश को रद्द कर दिया गया था।

एक कैबिनेट नोट के अनुसार, श्रीलंकाई मंत्रिमंडल ने सोमवार को एक बैठक में मार्च 2020 में थोपे गए आदेश के लिए मुस्लिम समुदाय से माफी मांगने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसमें कहा गया है कि मंत्रिमंडल ने सरकार की ओर से सभी समुदायों से माफी मांगने का फैसला किया है।मंत्रिमंडल ने ऐसे विवादास्पद कदमों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कानून लाने का भी निर्णय लिया। बयान में कहा गया है कि मंत्रिमंडल ने धर्म के आधार पर शवों को दफनाने या दाह संस्कार पर एक प्रस्तावित कानून को भी मंजूरी दे दी है। इसमें एक कानून लाने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है जो किसी खास व्यक्ति या रिश्तेदारों को मृत व्यक्ति को दफनाने या उसका दाह संस्कार के चयन की अनुमति देगा।

मुस्लिम समुदाय ने जबरन दाह संस्कार नीति का विरोध किया था और कुछ ने तो अपने प्रियजनों के शवों को अस्पताल के मुर्दाघरों में छोड़ दिया था। समुदाय के सदस्यों ने कहा था कि या तो उन्हें शव जलाने की अनुमति देने के लिए मजबूर किया गया था या उनकी जानकारी के बिना ऐसा किया गया था। इस्लाम में शव दाह वर्जित है। फरवरी 2021 में देश के रद्द किये जाने से पहले श्रीलंका में 276 मुस्लिमों का दाह संस्कार किया गया। श्रीलंका की सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देकर दफनाने की अनुमति देने की मांग का विरोध किया था।


कनाडा के मंदिर में तोड़फोड़, लिखे भारत-विरोधी नारे

कनाडा में अल्बर्ट राज्य की राजधानी एडमोंटन में एक हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया। मंदिर में तोड़फोड़ की गई और भारत विरोधी नारे भी लिखे गए। यह घटना कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हाल ही में हुए हमलों की श्रृंखला में शामिल हो गई है। कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में की गई तोड़फोड़ पर चिंता जताई। उन्होंने एक्स प्लेटफॉर्म पर अपने पोस्ट में लिखा, ''पिछले कुछ सालों के दौरान ग्रेटर टोरंटो एरिया, ब्रिटिश कोलंबिया और कनाडा के अन्य स्थानों पर हिंदू मंदिरों में भारत विरोधी नारे के साथ तोड़फोड़ की जा रही है।''

लिबरल पार्टी के नेता आर्य ने इसके पीछे खालिस्तानी चरमपंथियों का हाथ होने की ओर इशारा करते हुए कहा कि पिछले साल सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने सार्वजनिक रूप से हिंदुओं से भारत वापस जाने का आह्वान किया था। पन्नू ने भारत को आतंकवादी घोषित कर रखा है। खालिस्तान समर्थकों ने ब्रैम्पटन और वैंकूवर में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का सार्वजनिक रूप से जश्न मनाया और घातक हथियारों की तस्वीरें लहराईं। सांसद आर्य ने आगे कहा, ''जैसा कि मैं हमेशा से कहता रहा हूं, खालिस्तानी चरमपंथी नफरत और हिंसा की अपनी सार्वजनिक बयानबाजी से आसानी से बच निकलते हैं। मैं इसे फिर से दोहराना चाहता हूं। कनाडा में रहने वाले हिंदू सच में परेशान हैं।'' उन्होंने आगे कहा, ''मैं फिर से कनाडा की कानून प्रवर्तन एजेंसियों से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने का आह्वान करता हूं। इससे पहले कि ये बयानबाजी हिंदू कनाडाई लोगों के खिलाफ हमलों में तब्दील हो जाए।''

बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर की दीवारों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी नारे लिखे गए। पिछले साल नवंबर में कनाडा-इंडिया फाउंडेशन नामक एक संस्था ने देश के राजनेताओं से अपनी चुप्पी तोड़ने और कट्टरपंथियों पर लगाम लगाने को कहा था, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। हालांकि, कनाडाई राजनेताओं और मीडिया ने इस मामले को नजरअंदाज तक दिया। जिसके बाद उन्होंने एक ओपन लेटर भेजा और लिखा, "हम इस बात से और भी निराश हैं कि हमारे राजनीतिक नेताओं ने इस गंभीर मुद्दे पर पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है। आतंकवाद और खतरों से निपटने के लिए यह दृष्टिकोण असुरक्षा का माहौल पैदा करेगा।"

'डिजिटल आतंकवाद' फैलाने के आरोप में इमरान की पीटीआई पर कसा शिकंजा

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सूचना सचिव रऊफ हसन की गिरफ्तारी के बाद सत्तारूढ़ शहबाज शरीफ सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान पार्टी पर अपना शिकंजा और मजबूत कर सकते हैं। विश्वसनीय सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि "डिजिटल आतंकवाद, झूठा प्रचार और फर्जी अकाउंट के जरिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने" के आरोप में पीटीआई नेताओं और कार्यकर्ताओं की और गिरफ्तारियां होने वाली हैं। पार्टी के सोशल मीडिया विंग के खिलाफ आगामी कार्रवाई के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि पीटीआई के ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की एक लंबी सूची है, जो अपने मोबाइल फोन, पार्टी कार्यालय और इंटरनेट का उपयोग पाकिस्तानी सशस्त्र बलों द्वारा हाल ही में शुरू किए गए आतंकवाद विरोधी अभियान 'अज़्म-ए-इस्तेहकाम' और पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर के खिलाफ सोशल मीडिया ट्रेंड चलाने के लिए कर रहे हैं।

सूत्र ने कहा, ''विश्वसनीय जानकारी इस बात की पुष्टि करती हैं कि पीटीआई नेता और उनके सदस्य अपने पार्टी कार्यालयों में बैठकर झूठे फर्जी प्रचार को बढ़ावा देते हैं और उन्हें विदेश में पीटीआई सोशल मीडिया टीम के साथ शेयर करते हैं ताकि पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अभियान चलाया जा सके।'' उन्होंने बताया,''इसके बाद पीटीआई की सोशल मीडिया टीम द्वारा विदेशों में दुर्भावनापूर्ण प्रचार अभियान चलाया जाता है। हाल ही में पीटीआई नेताओं पर छापेमारी और गिरफ्तारी के बाद उनके इलेक्ट्रॉनिक सामान के साथ कंप्यूटर भी जब्त किया गया।''

सूत्रों का मानना ​​है कि सोमवार की छापेमारी और गिरफ्तारी पीटीआई नेताओं, कार्यकर्ताओं और इमरान खान तथा पीटीआई के समर्थकों के खिलाफ अभियान की शुरुआत मात्र है। उन्होंने कहा कि डिजिटल आतंकवाद बिल्कुल यही है, और पीटीआई सोशल मीडिया इसमें सबसे आगे है। उनकी सोशल मीडिया टीमें पाकिस्तान के बाहर से काम करती हैं और फर्जी खबरें फैलाने में लगी रहती हैं। उनमें से ज्यादातर के पास फर्जी आईडी और बिना पहचान वाले सोशल मीडिया अकाउंट हैं।

जेल में बंद पीटीआई के संस्थापक इमरान खान पर पहले से ही कई केस हैं। वह जनरल मुनीर, सैन्य प्रतिष्ठान और सत्तारूढ़ सरकार को अब भी निशाना बना रहे हैं। हाल ही में अदियाला जेल से दिए गए एक बयान में खान ने कबूल किया कि पिछले वर्ष उन्होंने गिरफ्तारी की स्थिति में रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन का आह्वान किया था, लेकिन उन्होंने अपने समर्थकों से हिंसक होने या सैन्य मुख्यालय पर हमला करने के लिए नहीं कहा था। उन्होंने कहा, "मैंने केवल जीएचक्यू रावलपिंडी के बाहर शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन का आह्वान किया था।" इमरान खान के इस बयान से पीटीआई के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर सत्तारूढ़ सरकार को बड़े पैमाने पर मदद मिलने की उम्मीद है। इसमें पार्टी पर प्रतिबंध लगाने के साथ खान पर बड़े स्तर के राजद्रोह का मामला दर्ज किया जा सकता है। सरकार पहले ही खान और पीटीआई पर राज्य विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा चुकी है।


वाशिंगटन में इजरायली-अमेरिकी बंधकों के परिवारों से मिले नेतन्याहू

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका की यात्रा पर हैं। वाशिंगटन में उन्होंने मंगलवार को उन परिवार वालों से मुलाकात की जिनके सदस्य हमास की हिरासत में गाजा में हैं। मुलाकात के बाद नेतन्याहू ने कहा, "मैं आवश्यक मानवीय उद्देश्य और बंधकों को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हूं। मैं इजरायल के अस्तित्व को भी बचाए रखूंगा।'' उन्होंने कहा, ''हमास पर जीत जरूरी है। अगर हम इस लड़ाई में हार मान लेते हैं तो हम खतरे में पड़ जाएंगे, हमारा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।'' इस मुलाकात में इजरायली प्रधानमंत्री के साथ वाशिंगटन जाने वाले बंधकों के परिवारों के कई सदस्य शामिल थे। साथ ही पिछले साल 7 अक्टूबर को हुए हमले के दौरान लड़ने वाले सैनिकों ने भी भाग लिया।

इस बैठक में नेतन्याहू की पत्नी सारा भी शामिल थीं। इस मुलाकात में उन परिवारों के सदस्य भी शामिल थे, जिन्होंने गाजा और पश्चिमी नेगेव में लड़ाई में अपने बेटों को खो दिया है। नेतन्याहू ने कहा, ''हम सभी बंधकों को वापस लाने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। हम इस ओर काम कर रहे हैं। इसके लिए हम हमास पर बहुत कड़ा दबाव डाल रहे हैं। हम एक निश्चित बदलाव देख रहे हैं और मुझे लगता है कि यह आगे बढ़ेगा।'' इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी अमेरिका यात्रा एक महत्वपूर्ण यात्रा है, जिससे अमेरिकी लोगों के प्रतिनिधियों और अमेरिकी लोगों को उनके समर्थन के महत्व को सामने लाने का अवसर मिलेगा। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के निदेशक, प्रधानमंत्री कार्यालय के महानिदेशक, कैबिनेट सचिव, प्रधानमंत्री के सैन्य सचिव और बंधकों और लापता लोगों के परिवारों सहित इजरायल के शीर्ष अधिकारियों ने भी भाग लिया।

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