दुनियाः कुवैत अग्निकांड में एक और भारतीय की मौत, 46 हुई संख्या और पुतिन इस शर्त पर यूक्रेन से बातचीत को तैयार

अमेरिका की कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी, लॉस एंजिल्स ने गाजा में चल रहे इजरायल-हमास संघर्ष को लेकर रात भर हुए प्रदर्शनों के बाद अगली सूचना तक विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में संचालित होने वाली सभी कक्षाओं को ऑनलाइन करने की घोषणा की है।

कुवैत अग्निकांड में एक और भारतीय की मौत, 46 हुई मृतकों की संख्या
कुवैत अग्निकांड में एक और भारतीय की मौत, 46 हुई मृतकों की संख्या
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नवजीवन डेस्क

कुवैत अग्निकांड में एक और भारतीय की मौत, 46 हुई मृतकों की संख्या

कुवैत में एक इमारत में लगी भीषण आग में एक और कामगार की मौत के बाद मरने वाले भारतीयों की संख्या बढ़कर 46 हो गई है। वहीं अधिकारियों ने कहा कि इमारत के भूतल पर गार्ड के कमरे में बिजली के ‘शॉर्ट सर्किट’ के कारण आग लगी। इस अग्निकांड में कुल 50 लोगों की मौत हो गई है। कुवैत के दक्षिणी अहमदी प्रांत में बुधवार तड़के छह मंजिला इमारत में जब आग लगी तब लोग सो रहे थे इसलिए ज्यादातर लोगों की मौत धुएं के कारण दम घुटने से हुई। इमारत में 196 प्रवासी मजदूर रहते थे, जिनमें से ज्यादातर भारतीय थे।

कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्ला अल-याह्या ने पत्रकारों को बताया कि एक घायल की रात में मौत हो गई, जिसके साथ ही मरने वाले भारतीयों की संख्या बढ़कर 46 हो गई है। कुवैत के टाइम्स समाचार पत्र ने शुक्रवार को दी खबर में कहा कि तीन अन्य मृतक फिलीपींस के निवासी है और एक मृतक की अब तक शिनाख्त नहीं हो सकी है। अग्निशमन विभाग की जांच टीम ने गुरुवार को बताया था कि आग इमारत के गार्ड के कमरे में बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण लगी और अन्य जगहों पर भी फैल गई। गार्ड का कमरा भूतल पर है।

सुरक्षा सूत्रों का हवाला देते हुए समाचार पत्र ने कहा कि जब इमारत में आग लगी तब 179 कामगार वहां थे जबकि 17 बाहर थे। इमारत में रह रहे 196 लोगों में से 175 भारतीय, 11 फिलीपींस और अन्य थाइलैंड, पाकिस्तान और मिस्र के निवासी हैं। एक अधिकारी के अनुसार जान बचाकर भागने के दौरान ज्यादातर पीडि़तों की दम घुटने से मौत हुई, क्योंकि सीढियों पर धुआं भरा हुआ था। साथ ही उन्होंने कहा कि पीड़ित छत पर नहीं जा सके क्योंकि दरवाजा बंद था।

पुतिन इस शर्त पर यूक्रेन से बातचीत को तैयार

स्विट्जरलैंड में यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन से पहले, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को कहा कि अगर यूक्रेन डोनबास, खेरसॉन और जापोरिज्जिया से अपने सैनिकों को पूरी तरह से वापस बुला ले, तो रूस उसके साथ बातचीत को तैयार है। आरटी के मुताबिक पुतिन ने विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, "कीव द्वारा सैनिकों की वापसी की घोषणा करने और नाटो में शामिल होने की योजना को छोड़ने पर हम उसके साथ संघर्ष विराम और बातचीत शुरू कर देंगे।"

रूसी राष्ट्रपति ने चेतावनी दी कि यदि पश्चिम देश और यूक्रेन फिर से उसके शांति प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं, तो भविष्य में रक्तपात के लिए वे खुद जिम्मेदार होंगे। उन्होंने कहा कि रूस अस्थायी युद्ध विराम नहीं, बल्कि स्थायी शांति चाहता है। पुतिन ने कहा कि यूक्रेन को परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। राष्ट्रपति पुतिन ने जोर देकर कहा कि यूक्रेन की सरकार को देश की रूसी भाषी आबादी के अधिकारों और स्वतंत्रता की भी गारंटी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन सभी समझौतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी जानी चाहिए और रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों को हटाया जाना चाहिए।


फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के बाद कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में कक्षाओं का संचालन बंद

अमेरिका की कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी, लॉस एंजिल्स ने गाजा में चल रहे इजरायल-हमास संघर्ष को लेकर रात भर हुए प्रदर्शनों के बाद अगली सूचना तक विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में संचालित होने वाली सभी कक्षाओं को ऑनलाइन करने की घोषणा की है। लॉस एंजिल्स स्कूल ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर जारी अलर्ट में कहा, "कृपया मुख्य परिसर में न आएं।"

फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने बुधवार दोपहर विश्वविद्यालय के छात्र सेवा भवन पर कब्जा कर लिया, जिसमें यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट का कार्यालय भी है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, विश्वविद्यालय ने कर्मचारियों से जहां हैं, वहीं सुरक्षित रहने का आग्रह किया था। इसके बाद कुछ स्कूल प्रशासक कथित तौर पर इमारत के अंदर फंस गए थे। सोशल मीडिया पोस्ट में प्रदर्शनकारियों को रात में इमारत के बाहर अपने बैरिकेड्स को मजबूत करते हुए दिखाया गया। वे यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट बेरेनेसिया जॉनसन इनेस के साथ बातचीत का इंतजार कर रहे थे। समूह गुरुवार सुबह तक इमारत से तितर-बितर हो गया था, लेकिन इमारत को उसने अंदर और बाहर से काफी नुकसान पहुंचाया है।

स्थानीय केएबीसी टेलीविजन चैनल ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने ग्राउंड फ्लोर पर कई खिड़कियों पर फिलिस्तीन समर्थक चित्र बना दिये हैं। अंदर से वीडियो में टूटी हुई खिड़कियां, और कई चित्र तथा मलबा बिखरा हुआ दिखाई दे रहा था। विश्वविद्यालय में पुलिस द्वारा सोमवार को 25 फिलिस्तीनी समर्थक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किए जाने के दो दिन बाद यह घटना सामने आई है। छात्रों ने 1 मई को विश्वविद्यालय में "गाजा सॉलिडेरिटी एनकैंपमेंट" स्थापित किया, जिसमें विश्वविद्यालय और उसके भागीदारों से इजरायल के साथ संबंध तोड़ने का आह्वान किया गया। विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अनुसार, इसके 23 परिसरों में लगभग 4.58 लाख छात्र, और 53 हजार फैकल्टी तथा कर्मचारी हैं। यह अमेरिका में सबसे बड़ा सार्वजनिक विश्वविद्यालय है।

पाकिस्तान: PTI वार्ताकार ने नवाज और जरदारी से वार्ता की इच्छा जताई

पाकिस्तान के सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ वार्ता का नेतृत्व करने के लिए इमरान खान की पार्टी द्वारा चुने गए पश्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (पीकेएमएपी) के अध्यक्ष महमूद खान अचकजई ने शुक्रवार को पीएमएल-एन के अध्यक्ष नवाज शरीफ और पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी के साथ बातचीत करने की इच्छा व्यक्त की। शुक्रवार को मीडिया में आई एक खबर में यह जानकारी दी गई है। ‘जियो न्यूज’ की खबर के अनुसार, इस सप्ताह की शुरुआत में जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने विपक्षी गठबंधन के मंच तहरीक-ए-तहफ्फुज आईन (टीटीएपी) के माध्यम से वार्ता का नेतृत्व करने के लिए अचकजई को चुना था।

अचकजई ने एक कार्यक्रम में कहा कि पाकिस्तान को एक "मजबूत सेना" की जरूरत है और स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन सेना के खिलाफ नहीं है। मार्च में सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के उम्मीदवार के रूप में आसिफ अली जरदारी के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले अचकजई ने चेतावनी दी कि यदि "जरदारी और नवाज शरीफ ने हमसे वार्ता नहीं की, तो एक समय ऐसा आएगा जब वे अपने घरों से बाहर कदम नहीं रख पाएंगे।” पीकेएमएपी प्रमुख ने महंगाई को लेकर जनता के बीच बढ़ती हताशा के बारे में बात की और कहा, "लोग गुस्से में हैं। उन्हें दो वक्त की रोटी जुटाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।"


अमेरिका ने भारत की चुनाव प्रक्रिया का माना लोहा

अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि भारत के चुनाव किसी भी देश की तुलना में चुनावी मताधिकार की सबसे बड़ी कवायद है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने कहा,‘‘ हम भारत में हुए चुनाव से बेहद प्रभावित हैं। यह इतिहास में किसी भी देश में चुनावी मताधिकार की सबसे बड़ी कवायद थी।’’

मिलर ने भारत में हुए चुनावों और भारतीय संसद में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व पर पूछे गए सवाल के जवाब में यह बात कही। मिलर ने हालांकि स्पष्ट तौर पर सवाल का जवाब देने से परहेज किया और कहा कि इस पर भारत के लोगों को निर्णय करना है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत में हुए चुनाव के संबंध में कुछ भी नहीं कहूंगा सिवाय उसके जो हमने पहले कहा था कि चुनाव से जुड़े मुद्दों के बारे में निर्णय भारत की जनता को लेना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम चुनाव के कुछ खास परिणामों के बारे में टिप्पणी नहीं करते।’’

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