दुनियाः 'बच्चों के लिए 'कब्रिस्तान' बन गया गाजा' और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के 40,000 स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर

ऑस्ट्रेलियाई सरकार उन सोशल मीडिया कंपनियों पर करोड़ों डॉलर का जुर्माना लगाएगी जो 16 वर्ष से कम उम्र के नागरिकों को अपनी सर्विस का इस्तेमाल करने से रोकने में नाकाम रहेंगी।

यूएन एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि गाजा बच्चों के लिए 'कब्रिस्तान' बन गया है
यूएन एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि गाजा बच्चों के लिए 'कब्रिस्तान' बन गया है
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नवजीवन डेस्क

बच्चों के लिए 'कब्रिस्तान' बन गया है गाजा: यूएन एजेंसी चीफ

फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी के प्रमुख जनरल फिलिप लाजारिनी ने कहा कि गाजा बच्चों के लिए 'कब्रिस्तान' बन गया है। उन्होंने विश्व बाल दिवस (जो हर साल 20 नवंबर को मनाया जाता है) के अवसर पर एक बयान में कहा, "वे (बच्चे) मारे जा रहे हैं, घायल हो रहे हैं, पलायन करने को मजबूर हैं, सुरक्षा, शिक्षा और खेल से वंचित हो रहे हैं।" समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक लाजारिनी ने कहा, "उनका बचपन छीन लिया गया है, और वे एक खोई हुई पीढ़ी बनने के कगार पर हैं, क्योंकि उन्होंने एक और स्कूल वर्ष खो दिया है।"

नियर ईस्ट में फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए यूएन रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) के चीफ ने कहा कि वेस्ट बैंक के बच्चे लगातार डर और चिंता के साय में जी रहे हैं। बुधवार को, फिलिस्तीनी समूहों ने गाजा और वेस्ट बैंक में बच्चों की सुरक्षा के लिए इंटरनेशनल एक्शन की अपील की। अपील में उन भयावह मानवीय परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया, जिनका बच्चे सामना कर रहे हैं। फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर इस बात पर जोर दिया कि बच्चे इजरायली कार्रवाइयों से सबसे अधिक असुरक्षित और प्रभावित हैं। उन्हें ऐसी भयंकर परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, जो उनके जीवन के अधिकार सहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।

मंत्रालय ने चेतावनी दी कि गाजा में बच्चों को वास्तविक खतरा है, अनुमान है कि लाखों बच्चे भोजन और स्वच्छ पेयजल की भारी कमी से पीड़ित हैं। बयान में इस बात पर भी जोर दिया गया कि वेस्ट बैंक में बच्चों को लगातार एक ही 'आपराधिक' नीति का सामना करना पड़ता है, जैसे कि मनमाने ढंग से हिरासत में लेना और उन पर अवैध मुकदमे चलाना, जो अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत उनके अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन हैं।

इस बीच, फिलिस्तीनी राष्ट्रीय परिषद ने कहा कि गाजा में बच्चे अक्टूबर 2023 से 'भारी कीमत चुका रहे हैं, दुनिया इस नरसंहार को रोकने में असमर्थ है।" परिषद की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि गाजा के बच्चों की जान हमलों के अलावा घेराबंदी के कारण भूख, प्यास और बीमारियों की वजह से भी गई है। हजारों बच्चे अनाथ हो गए हैं।

हड़ताल पर गए कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के 40,000 स्वास्थ्य कर्मी

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूसी) के लगभग 40,000 स्वास्थ्य कर्मचारियों ने दो दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है। अमेरिकन फेडरेशन ऑफ स्टेट ने कहा, "फ्रंटलाइन सर्विस और पेशेंट केयर यूसी कर्मचारी यूसी की सौदेबाजी और अनुचित श्रम प्रथाओं के विरोध में 20 नवंबर और 21 नवंबर को हड़ताल पर हैं।" समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, काउंटी और म्यूनिसिपल एम्प्लॉइज (एएफएससीएमई) लोकल 3,299, एक यूनियन है जो यूसी के 10 परिसरों, पांच चिकित्सा केंद्रों, कई क्लीनिकों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और यूसी हेस्टिंग्स कॉलेज ऑफ लॉ में 35,000 से अधिक सेवा कर्मचारियों, रोगी देखभाल तकनीकी कर्मचारियों, कुशल शिल्प श्रमिकों आदि का प्रतिनिधित्व करती है।

श्रमिक संघ ने एक बयान में कहा कि कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय ने छात्रों और रोगियों की देखभाल करने वाले कर्मचारियों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। यूनियन की कार्यकारी निदेशक लिज पर्लमैन ने फेसबुक पोस्ट में कहा, "हमारे सदस्य वे लोग हैं, जिन्हें आप स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते, क्योंकि परिसर साफ-सुथरे हैं, भोजन पकाया जाता है, छात्रों का ख्याल रखा जाता है।" उन्होंने आगे कहा, "हमें भी ध्यान रखने की आवश्यकता है।"

विश्वविद्यालय प्रणाली के एक अन्य श्रमिक संघ, यूनिवर्सिटी प्रोफेशनल एंड टेक्निकल एम्प्लॉइज (यूपीटीई)-सीडब्ल्यूए लोकल 9119 के लगभग 4,000 सदस्य भी हड़ताल में शामिल हुए। यूसी अधिकारियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि श्रमिक संघ इन मूल्यवान कर्मचारियों को ध्यान में रखते हुए फेयर डील पर पहुंचेंगे, जिससे मरीजों, छात्रों आदि की देखभाल में रुकावट न आए।

यूसी अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में एक बयान में कहा था कि वे एएफएससीएमई की सौदेबाजी से बुनियादी तौर पर असहमत हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में एक बयान जारी करते हुए कहा था कि वे एएफएससीएमई के दावों से असहमत हैं। यूसी अधिकारियों ने कहा, "जनवरी से मई तक, यूसी और एएफएससीएमई टीमों ने 22 बार मुलाकात की और विभिन्न प्रस्तावों पर सामूहिक रूप से चर्चा की।" ''विश्वविद्यालय के प्रस्तावों में श्रमिक संघ के सदस्यों के लिए 700 मिलियन डॉलर की आर्थिक वृद्धि शामिल है तथा श्रमिक संघ द्वारा प्रति घंटे 25 डॉलर न्यूनतम वेतन या सभी कर्मचारियों के लिए 5 प्रतिशत की वृद्धि की मांग शामिल है।''


सिडनी में नहीं बंद होंगी रेल सेवाएं, रेल कर्मचारियों की हड़ताल टली

सिडनी में रेलकर्मियों की होने वाली हड़ताल टल गई है। इसे लेकर लोगों में व्यापक चिंता थी क्योंकि अगर हड़ताल होती तो सिडनी का रेल नेटवर्क कई दिनों तक पूरी तरह ठप हो जाता। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया कि न्यू साउथ वेल्स (एनएसडब्ल्यू) की सरकार ने गुरुवार की शाम को ऐलान किया कि सरकार का रेल, ट्राम और बस यूनियन (आरटीबीयू) के साथ समझौता हो गया है। यह हड़लात रेल कर्मचारियों को प्रभावित करने वाले वेतन विवाद की वजह से बुलाई गई थी।

आरटीबीयू की प्रस्तावित हड़ताल के कारण सिडनी का रेल नेटवर्क शुक्रवार से रविवार के बीच पूरी तरह से बंद होने वाला था। कर्मचारी यूनियन की पहले नेटवर्क शटडाउन गुरुवार से रविवार तक करने की योजना थी। लेकिन राज्य सरकार और यूनियन के बीच बातचीत जारी रहने के कारण इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया। गुरुवार (21 नवंबर) को राज्य सरकार के साथ बैठक के बाद, आरटीबीयू ने दो सप्ताह के लिए कार्य कार्य करने पर सहमति व्यक्त की।

इस दौरान विवाद के स्थायी समाधान पर बातचीत जारी रहेगी। इसके बदले में, न्यू साउथ वेल्स सरकार ने इस सप्ताह के अंत में सीमित 24 घंटे रेल सेवाएं चलाने पर सहमति व्यक्त की। सरकार और यूनियन की बातचीत के दौरान 24 घंटे की रेल सेवा को स्थायी बनाना यूनियन की प्रमुख मांग रही है। लेकिन सरकार ने तर्क दिया है कि ऐसा करने से पूरा नेटवर्क विफल हो सकता है।

एनएसडब्ल्यू के प्रीमियर क्रिस मिन्न्स ने गुरुवार को आरटीबीयू के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि उन्हें सिडनी के रेल नेटवर्क में किसी भी व्यवधान से बचने के लिए अगले दो सप्ताह में एक स्थायी समझौता होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, 'अगले दो सप्ताह में न्यू साउथ वेल्स में सरकार और यूनियनों के बीच गहन चर्चा शुरू हो जाएगी, जिसका उद्देश्य सभी पक्षों से मिलकर राज्य में रेल को कवर करने वाली यूनियनों के बीच एक समझौता करना है, जो कई वर्षों तक चलेगा।"

ऑस्ट्रेलिया में अंडर-16 के लिए सोशल मीडिया बैन

ऑस्ट्रेलियाई सरकार उन सोशल मीडिया कंपनियों पर करोड़ों डॉलर का जुर्माना लगाएगी जो 16 वर्ष से कम उम्र के नागरिकों को अपनी सर्विस का इस्तेमाल करने से रोकने में नाकाम रहेंगी। ऑस्ट्रेलिया की सत्तारूढ़ लेबर पार्टी ने गुरुवार को संसद में एक विधेयक पेश किया, जिसके तहत सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 16 वर्ष निर्धारित की गई है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इस कानून के तहत, न्यूनतम आयु सीमा लागू करने की जिम्मेदारी बच्चों, माता-पिता या अभिभावकों के बजाय सोशल मीडिया कंपनियों पर होगी। जो सोशल मीडिया कंपनियां आयु सीमा का नियम लागू करने में नाकाम रहेंगी। उन्हें 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (32.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर) तक का जुर्माना भरना पड़ेगा।

संचार मंत्री मिशेल रोलैंड ने विधेयक पेश करते हुए संसद को बताया, "इसका उद्देश्य युवाओं की सुरक्षा करना है, उन्हें दंडित या अलग-थलग करना नहीं है, माता-पिता को यह बताना है कि जब उनके बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण की बात आती है तो हम उनके साथ हैं।" रोलैंड ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग को प्रतिबंध से छूट दी जाएगी क्योंकि यह पहले से ही आयु वर्गीकरण योजना द्वारा रेगुलेटेड है और उन्हें शामिल करने से गैरजरूरी ओवरलैप पैदा होगा। उन्होंने कहा कि मैसेजिंग सर्विस को भी इससे बाहर रखा जाएगा। संघीय विपक्ष ने इस कानून के लिए समर्थन जताया है, जिसका मतलब है कि यह संसद के दोनों सदनों में भारी बहुमत से पारित होने वाला है।

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने पहले कहा था कि नया कानून संसद से पारित होने के कम से कम 12 महीने बाद प्रभावी होगा। सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि सोशल मीडिया यूजर्स की उम्र का वेरिफिकेशन किस तरह किया जाएगा, लेकिन कहा कि मई के संघीय बजट में वित्त पोषित 'आयु वेरिफिकेशन तकनीक' के परीक्षण से उसे इसकी जानकारी मिल जाएगी। न्यूनतम आयु सीमा सरकार के ई-सुरक्षा आयुक्त के कार्यालय द्वारा लागू की जाएगी।


इटली में कैदियों को प्रताड़ित करने के आरोप में 11 जेल गार्ड नजरबंद किए गए

इटली में 40 से ज्यादा जेल गार्ड की जांच के बाद कैदियों के खिलाफ अत्याचार और अधिकार के दुरुपयोग के संदेह में बुधवार को 11 जेल गार्ड को उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, कैदियों द्वारा जेल के अंदर लगातार दुर्व्यवहार और हिंसा के बारे में शिकायत की जा रही थी। इसके बाद सिसिली क्षेत्र के ट्रैपानी में अभियोजकों ने तीन साल तक चली जांच के उपरांत यह कार्रवाई की। मामले में कुल 46 जेल अधिकारियों की जांच की जा रही थी। जांचकर्ताओं ने वीडियो फुटेज प्राप्त की, जिसमें कैदियों की शिकायतों की पुष्टि हुई। वीडियो में गार्ड कुछ अलग-थलग सेल में कैदियों को पीटते और उनके साथ दुर्व्यवहार करते हुए दिखाई दे रहे थे।

ट्रैपानी के मुख्य अभियोजक गैब्रिएल पैसी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कैदियों के खिलाफ हिंसा कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। बल्कि जेल के अंदर व्यवस्था सुनिश्चित करने का एक तरीका बन गया। अगस्त की शुरुआत में, इटली की संसद ने कैदियों के जीवन की स्थितियों में सुधार के लिए एक कानून पारित किया था। इस कानून के तहत कैदियों को अधिक फोन कॉल करने की अनुमति दी गई। साथ ही जेल में जल्दी रिहाई या वैकल्पिक उपाय प्राप्त करने के लिए नियमों को सुव्यवस्थित किया गया था। न्याय मंत्रालय ने कहा कि जून के अंत तक इटली में 51,234 क्षमता वाले जेलों में 61,480 कैदी थे। नई सुविधाएं बनाने की किसी योजना की अभी तक घोषणा नहीं की गई है।

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