कंगाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान को अब वर्ल्ड बैंक ने दिया बड़ा झटका, बढ़ी और मुश्किलें
गंभीर आर्थिक संकट में घिरे पाकिस्तान को आईएमफ से बेलआउट पैकेज की तत्काल जरूरत है, लेकिन अब तक उसे बेलआउट पैकेज नहीं मिल पाया है। पाकिस्तान की सरकार 1.1 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के लिए कोशिश कर रही है।
कंगाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान को अब वर्ल्ड बैंक ने बड़ा झटका दिया है। पाकिस्तान की ग्रोथ रेट में वर्ल्ड बैंक ने कटौती की है। विश्व बैंक ने पाकिस्तान की ग्रोथ रेट को 2 प्रतिशत से घटाकर 0.4 प्रतिशत कर दिया है। 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व बैंक ने कहा है कि विभिन्न आर्थिक झटकों की वजह से इस वित्त वर्ष में करीब 40 लाख पाकिस्तानी गरीबी की चपेट में आ गए हैं।
विश्व बैंक ने पाकिस्तान को एक अहम सलाह दी है। वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान को 'पब्लिक कर्ज संकट' से बचने के लिए तुरंत नए विदेशी कर्ज की व्यवस्था करने की सलाह दी है। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और वर्ल्ड बैंक की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार वॉशिंगटन जाने वाले थे। लेकिन उन्होंने अपनी यात्रा को रद्द कर दिया था।
गंभीर आर्थिक संकट में घिरे पाकिस्तान को आईएमफ से बेलआउट पैकेज की तत्काल जरूरत है, लेकिन अब तक उसे बेलआउट पैकेज नहीं मिल पाया है। पाकिस्तान की सरकार 1.1 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के लिए कोशिश कर रही है। इसके लिए उसने आईएमएफ की सभी शर्तें भी मानीं। लेकिन उसे अब तक फंड नहीं मिला। पाकिस्तान साल 2019 में मंजूर हुई 6.6 अरब डॉलर की रकम में से 1.1 अरब डॉलर का फंड प्राप्त करने की कोशिश में जुटा है।
एक तरफ आईएमएफ से बेलआउट पैकेज मिलने में दे रही हो रही है। वहीं, दूसरी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत 284 पर पहुंच गई है। पाकिस्तान में गहराते आर्थिक संकट के बीच महंगाई ने भी अपना पांच दशक का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मार्च के महीने में महंगाई दर 35.37 फीसदी पर पहुंच गई। वहीं, इस संकट के बीच पाकिस्तान से बड़ी कंपनियां अपना कारोबार समेटती जा रही है। इससे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
पाकिस्तान में हर रोज हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। महंगाई तमाम रिकॉर्ड तोड़कर 48 साल के सबसे हाई लेवल पर पहुंच चुकी है। ऐसे में आम जनता का जीना मुश्किल हो गया है। वहीं, कम हो रहे विदेशी मुद्रा भंडार के चलते पाकिस्तान को जरूरत की तमाम चीजें आयात करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को आटा, चावल जैसी रोजमर्रा के सामान नहीं मिल पा रहे हैं। अगर मिल भी रहे हैं, तो उन्हें सामान्य से कई गुना ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।
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Published: 08 Apr 2023, 10:38 AM