दुनियाः ऑस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों को तुरंत लेबनान छोड़ने को कहा और हंगरी ने पेजर अटैक से संबंध से किया इनकार

गाजा शहर के पूर्व में विस्थापित लोगों को आश्रय देने वाले एक स्कूल पर इजरायली हमले में कम से कम आठ फिलिस्तीनी मारे गए।रूस ने बुधवार को कहा कि वह ‘ब्रिक्स’ में शामिल होने के पाकिस्तान के प्रयास का समर्थन करेगा।

ऑस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों को तुरंत लेबनान छोड़ने को कहा
ऑस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों को तुरंत लेबनान छोड़ने को कहा
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नवजीवन डेस्क

ऑस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों को तुरंत लेबनान छोड़ने की दी सलाह

ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने संचार उपकरणों में विस्फोट के बाद अपने नागरिकों को लेबनान की यात्रा नहीं करने की चेतावनी दोहराई है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, ऑस्ट्रेलियाई सरकार की यह चेतावनी मंगलवार और बुधवार को लेबनान में हिजबुल्लाह द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पेजर और रेडियो में हुए विस्फोटों के बाद आई है। इनमें कम से कम 26 लोग मारे गए और हजारों लोग घायल हो गए। ट्रेजरर जिम चाल्मर्स और विदेश मंत्री पेनी वोंग ने गुरुवार को कहा कि सरकार मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष के बढ़ने की संभावना को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है। चाल्मर्स ने पत्रकारों से कहा, "यह आस्ट्रेलिया वासियों के लिए एक और चेतावनी है कि वे लेबनान की यात्रा नहीं करें।"

ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) रेडियो पर बोलते हुए, वोंग ने सभी ऑस्ट्रेलियाई लोगों से लेबनान छोड़ने की अपील की। उन्होंने कहा, "क्षेत्रीय तनाव के परिणाम स्पष्ट रूप से गंभीर हैं।" वहीं, सरकार की स्मार्टरेवेलर सेवा ने बुधवार को लेबनान के लिए अपनी यात्रा सलाह को अपडेट किया। लेबनान में रह रहे आस्ट्रेलियाई लोगों को कमर्शियल फ्लाइट उपलब्ध रहने तक तुरंत देश छोड़ने की राय दी। स्मार्टरेवेलर सेवा ने चेतावनी दी कि देश में सुरक्षा की स्थिति बहुत कम या बिना किसी सूचना के बिगड़ सकती है और बेरूत एयरपोर्ट बंद हो सकता है। बयान में कहा गया, "ऑस्ट्रेलियाई सरकार ऐसी परिस्थितियों में आपको लेबनान छोड़ने में मदद नहीं कर पाएगी।" ऑस्ट्रेलिया ने अक्टूबर 2023 से लेबनान के लिए "यात्रा नहीं करें" एडवाइजरी लागू की है।

इस बीच फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने लेबनान को निशाना बनाकर किए गए 'आतंकवादी' हमलों की निंदा की। राष्ट्रपति ने निर्दोष नागरिकों को प्रभावित करने वाले 'आतंकवाद' के खिलाफ लेबनानी सरकार और नागरिकों के प्रति फिलिस्तीन की एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के जल्द ठीक होने की कामना की। राष्ट्रपति ने इन हमलों को लेबनान की संप्रभुता का 'उल्लंघन' बताया और कहा कि ये घटना अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करती है। उन्होंने लेबनान की सुरक्षा, स्थिरता और संप्रभुता के प्रति फिलिस्तीनी प्रतिबद्धता पर बल दिया।

हंगरी ने पेजर अटैक से संबंध से किया इनकार

हंगरी ने 'पेजर मुद्दे' में किसी भी तरह से शामिल होने से इनकार किया है। पेजर विस्फोटों के कारण लेबनान में कई लोग हताहत हुए हैं। हंगरी सरकार के प्रवक्ता और अंतरराष्ट्रीय संचार राज्य मंत्री जोल्टन कोवाक्स ने अपने एक्स और फेसबुक अकाउंट पर इस मुद्दे को लेकर देश का पक्ष रखा। कोवाक्स ने कहा, "पेजर मुद्दे को लेकर हंगरी सरकार की स्थिति अधिकारियों ने स्पष्ट की है कि संबंधित कंपनी एक व्यापारिक मध्यस्थ है, जिसकी हंगरी में कोई मैन्युफैक्चरिंग या ऑपरेशनल साइट नहीं है।" कोवाक्स ने कहा, "इसके घोषित पते पर एक मैनेजर रजिस्टर्ड है और संदर्भित डिवाइस कभी भी हंगरी में नहीं थे।" प्रवक्ता ने कहा, "आगे की जांच के दौरान, हंगरी की राष्ट्रीय सुरक्षा सेवाएं सभी प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय साझेदार एजेंसियों और संगठनों के साथ सहयोग कर रही हैं।" कोवाक्स ने अपने संदेश का समापन यह कहते हुए किया कि इस मामले से हंगरी को "कोई राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम नहीं है।" हंगरी सरकार का यह स्पष्टीकरण मंगलवार को लेबनान में हुई घटना के बाद आया। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री फिरास अबियाद ने बुधवार को जानकारी दी कि मंगलवार को एक साथ कई पेजर फटने से 12 लोगों की मौत हो गई, जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं और लगभग 2,800 अन्य घायल हो गए। एक दिन पहले लेबनान में कई वायरलेस कम्युनिकेशन डिवाइस में विस्फोट हुए। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि बुधवार को वायरलेस कम्युनिकेशन डिवाइस में हुए विस्फोटों ने नौ और लोगों की जान ले ली, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हो गए। इस बीच संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने लेबनान में संचार उपकरणों में हुए विस्फोटों को 'चौंकाने वाला' बताया। उन्होंने कहा कि नागरिकों पर इसके प्रभाव को 'स्वीकार' नहीं किया जा सकता है। तुर्क ने इन सामूहिक विस्फोटों की स्वतंत्र, गहन और पारदर्शी जांच की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमलों का आदेश देने और उन्हें अंजाम देने के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।


गाजा के स्कूल पर इजरायली हमले में 8 लोगों की मौत

गाजा शहर के पूर्व में विस्थापित लोगों को आश्रय देने वाले एक स्कूल पर इजरायली हमले में कम से कम आठ फिलिस्तीनी मारे गए। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने फिलिस्तीनी सुरक्षा सूत्रों के हवाले से बताया कि इजरायली विमानों ने बुधवार को शुजाय्या इलाके में विस्थापित लोगों के आश्रय स्थल 'इब्न अल-हैथम' स्कूल पर बमबारी की। गाजा सिविल डिफेंस ने एक प्रेस बयान में कहा, "हमारी टीमों ने इजरायली हवाई हमले के परिणामस्वरूप आठ पीड़ितों के शव बरामद किए हैं, जिनमें पांच बच्चे और दो महिलाएं शामिल हैं।" स्थानीय सूत्रों और प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हवाई हमले से स्कूल परिसर और क्लासरूम को भारी नुकसान पहुंचा। इजरायली सेना ने एक बयान में कहा कि उसकी वायु सेना ने गाजा शहर में कमांड और कंट्रोल सेंटर में हमास आतंकवादियों को निशाना बनाया, जिसे 'इब्न अल-हैथम' स्कूल के नाम से जाना जाता है। बता दें कि 7 अक्टूबर 2023 को फिलिस्तीनी आतंकवादी ग्रुप हमास ने इजरायल में बड़ा हमला किया था। इसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और करीब 250 का अपहरण किया गया था। इसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और गाजा पट्टी में सैन्य ऑपरेशन शुरू किया। इजरायली हमलों में गाजा में बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हुआ है। गाजा स्थित स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुधवार को एक बयान में कहा कि गाजा में जारी इजरायली हमलों में मरने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या बढ़कर 41,272 हो गई है।

पाकिस्तान के ‘ब्रिक्स’ में शामिल होने के प्रयास का समर्थन करेगा रूस

रूस ने बुधवार को कहा कि वह ‘ब्रिक्स’ में शामिल होने के पाकिस्तान के प्रयास का समर्थन करेगा। रूस ने कहा कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार व सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देकर अपने संबंधों को और मजबूत करने का फैसला किया है। रूस के उपप्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के साथ वार्ता के बाद संवाददाताओं से कहा, “हमें खुशी है कि पाकिस्तान ने (सदस्यता के लिए) आवेदन किया है। ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन मित्रवत संगठन हैं। हम इसका समर्थन करेंगे।”

रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने ओवरचुक के हवाले से बताया, “पिछले एक वर्ष में हमने ब्रिक्स का महत्वपूर्ण विस्तार देखा है और दुनिया भर के देश इसमें शामिल होने में बहुत रुचि दिखा रहे हैं।” ब्रिक्स की स्थापना 2006 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन द्वारा की गई थी। दक्षिण अफ्रीका 2011 में इसमें शामिल हुआ था। एक जनवरी, 2024 को मिस्र, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब और इथियोपिया इसके पूर्ण सदस्य बन गए।


UN महासभा में फिलीस्तीन के प्रस्ताव पर मतदान से भारत अनुपस्थित रहा

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में उस प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जिसमें इजराइल से एक साल के भीतर कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र में उसकी अवैध उपस्थिति समाप्त करने की मांग की गई। भारत ने इस बात पर जोर दिया कि वह ‘‘बातचीत और कूटनीति’’ का प्रबल समर्थक है और ‘‘विभाजन को बढ़ाने के बजाय’’ ‘सेतु बनाने’’ का प्रयास किया जाना चाहिए।

इस संबंध में 193 सदस्यीय महासभा ने बुधवार को प्रस्ताव को पारित कर दिया, जिसके पक्ष में 124 देशों ने, विरोध में 14 देशों ने मतदान किया और भारत समेत 43 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। यूएनजीए में ‘पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र में इजराइल की नीतियों और कार्यों तथा कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र में इजराइल की निरंतर अवैध मौजूदगी से उत्पन्न कानूनी परिणामों पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की राय’ शीर्षक से प्रस्ताव पारित किया गया।

जिन देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया, उनमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इटली, नेपाल, यूक्रेन और ब्रिटेन शामिल हैं। इजराइल और अमेरिका ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।प्रस्ताव पर मतदान के संदर्भ में टिप्पणी करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा, ‘‘भारत आज के मतदान से दूर रहा। हमलोग बातचीत और लोकतंत्र के दृढ़ समर्थक रहे हैं। हमारा मानना है कि संघर्ष के समाधान का कोई और रास्ता नहीं है।’’

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