ट्रंप ने किम से मिलने के लिए वियतनाम ही क्यों चुना?
कम्युनिस्ट देश वियतनाम में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की मुलाकात होनी तय हुई है। फरवरी के अंत में होने वाली मुलाकात के लिए वियतनाम को चुनने की कुछ खास वजहें हैं।
ट्रंप-किम की दूसरी मुलाकात के लिए वियतनाम को चुना जाना काफी हद तक सांकेतिक कदम माना जा सकता है। इसके पहले जून 2018 में दोनों नेता सिंगापुर में मिले थे। सिंगापुर की ही तरह वियतनाम के भी दोनों पक्षों, अमेरिका और उत्तर कोरिया के साथ राजनयिक संबंध हैं। उत्तर कोरिया का हनोई में एक उच्चायोग है और हाल ही में सामने आई रिपोर्टों से पता चलता है कि किम विएतनाम के आर्थिक और राजनीतिक मॉडल को अपनाने में दिलचस्पी रखते हैं।
पिछले नवंबर में विदेश मंत्री के नेतृत्व में एक उत्तर कोरियाई दल हनोई गया था। इस दल ने वियतनाम सरकार के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और इस दौरान वियतनाम से कोरियाई प्रायद्वीप में हो रहे सकारात्मक बदलावों पर खुशी जताते हुए अपने सामाजिक-आर्थिक विकास के अनुभवों को उनसे साझा करने की बात कही थी।
रोल मॉडल है वियतनाम
सन 1950 से ही उत्तर कोरिा और वियतनाम के बीच राजनयिक संबंध रहे हैं। हालांकि दोनों के बीच व्यापार के कई पहलुओं को लेकर मतभेद होते रहे लेकिन वियतनाम ने संबंधों को कभी कोई बड़ा झटका नहीं लगने दिया।
अमेरिका के साथ 10 साल तक चले और कुल मिलकार दो दशकों के युद्ध के बाद सन 1975 में बर्बाद हालत में पहुंच चुके वियतनाम को तमाम पश्चिमी देश एक बहिष्कृत कम्युनिस्ट देश के रूप में देखते थे। दरिद्र देश के सामने आर्थिक पाबंदियों का पहाड़ भी खड़ा था, जिसे पार कर उसे अपने पैरों पर खड़ा होना था।
तब वियतनाम ने 'डोई मोई' यानि आर्थिक सुधारों की एक पूरी श्रृंखला की शुरुआत की। इसी की मदद से देश की अर्थव्यवस्था सुधरी और यह दक्षिण एशियाई देश इलाके की कुछ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया। अभी बीते साल ही वियतनाम में जीडीपी की विकास दर करीब सात फीसदी रही। ऐसे में वियतनाम उत्तर कोरिया के लिए एक अच्छा उदाहरण हो सकता है क्योंकि उसने उदार लोकतंत्र बने बगैर आर्थिक रूप से सफलता पाई है।
वियतनाम में अब भी एक-पार्टी की सरकार का मॉडल काम कर रहा है, और उसके कारण पूरे विश्व से व्यापारिक संबंध बनाने में उसे कोई परेशानी नहीं आती है। हाल के सालों में वियतनाम ने कई अरब डॉलर का विदेशी निवेश अर्जित किया है और यूरोपीय संघ समेत ट्रांस-पैसिफिक साझेदारी जैसे संघों के साथ मुक्त व्यापार समझौते किये हैं।
दक्षिण कोरिया की मीडिया की मानें तो व्यक्तिगत रूप से किम जोंग उन खुद भी वियतनाम के उभार से काफी प्रभावित हैं। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेइ इन से एक मुलाकात में उत्तर कोरियाई नेता ने कथित तौर पर चीन के बजाए वियतनाम के आर्थिक मॉडल की तारीफ की थी। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे कई जटिल आर्थिक मामले हैं जिनके बारे में उसे चीन और वियतनाम दोनों ही से सीख लेनी चाहिए।
सबके लिए सही
ट्रंप के लिए भी वियतनाम एक सुरक्षित ठिकाना है। बीते सालों में अमेरिका-वियतनाम के संबंध भी काफी सुधरे हैं। वियतनामी सरकार के प्रतिनिधियों ने ट्रंप और उनके पहले राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा के साथ भी कई वार्ताएं की हैं। मई 2017 में वियतनाम के प्रधानमंत्री का व्हाइट हाउस में खुद ट्रंप ने स्वागत किया था। इसके बाद साल के अंत में ट्रंप भी वियतनाम गए थे। दोनों देशों के बीच अहम व्यापारिक संबंध भी हैं, जो कि अमेरिका-चीन की कारोबारी खींचतान के इस दौर में और भी अहम हो जाते हैं।
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