पश्चिमी देशों और यूरोपीय संघ ने चुनाव में देरी की आशंका पर पाकिस्तान को दी चेतावनी, कहा- परिणाम भुगतने होंगे
पश्चिमी चिंताओं और चेतावनी ने इस्लामाबाद में खतरे की घंटी बजा दी है, क्योंकि पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने नई डिजिटल जनगणना 2023 के अनुसार नए परिसीमन कार्यक्रम की घोषणा की है, जिससे आम चुनाव कम से कम फरवरी 2024 तक आगे बढ़ जाएंगे।
पाकिस्तान के आम चुनावों में संभावित देरी और कार्यवाहक सरकार के कार्यकाल को उसके अनिवार्य 90 दिनों से बढ़ाने के बारे में चल रही अटकलों और बहस के बीच पश्चिमी देशों और यूरोपीय संघ (ईयू) ने कड़ी आपत्ति जताते हुए चेतावनी दी है कि चुनाव स्थगन की स्थिति में इस्लामाबाद को परिणाम भुगतने होंगे।
राजनयिक सूत्रों ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन सहित प्रमुख पश्चिमी देशों ने इस मामले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और चेतावनी दी है कि चुनाव में देरी के परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों का दर्जा कम करना भी शामिल है। अमेरिका और यूरोपीय संघ का मानना है कि चुनाव किसी भी प्रगतिशील लोकतांत्रिक समाज का सार है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान में चुनाव में देरी और कार्यवाहक व्यवस्था के 90 दिन से ज्यादा बने रहने की स्थिति में केवल प्रतिकूल परिणाम होंगे।
पश्चिमी चिंताओं और चेतावनी ने इस्लामाबाद में खतरे की घंटी बजा दी है, क्योंकि पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने नई डिजिटल जनगणना 2023 के संदर्भ में और उसके अनुसार नए परिसीमन कार्यक्रम की घोषणा की है, जिससे चुनाव कम से कम फरवरी 2024 तक आगे बढ़ जाएंगे। हालांकि, पाकिस्तान के संविधान के अनुसार, विधानसभाओं के विघटन के 90 दिनों के भीतर चुनाव होने चाहिए।
शहबाज शरीफ की पिछली सरकार के दौरान काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स (सीसीआई) की आखिरी बैठक में नई डिजिटल जनगणना को मंजूरी दी गई थी और सभी गठबंधन राजनीतिक दलों द्वारा इस बात पर परस्पर सहमति व्यक्त की गई थी कि चुनाव नई जनगणना और परिसीमन के अनुसार किए जाने चाहिए।
ईसीपी का कहना है कि वह अगले चुनावों से पहले निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए कानून द्वारा बाध्य है। उसका कहना है कि इसमें 14 दिसंबर 2023 तक का समय लगेगा।परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही चुनाव कराने की तैयारी शुरू होगी, जिसमें दो से तीन महीने का समय लगने की बात कही गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तथ्य के बावजूद कि पश्चिम अपनी चिंताओं और परिणामों की चेतावनी दे रहा है, देरी का तकनीकी तर्क पाकिस्तान के पक्ष में काम कर सकता है।
हालांकि, यदि चुनाव में फरवरी 2024 से अधिक देरी होती है, तो इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है। एक राजनयिक सूत्र ने कहा, “अगर चुनावों में अगले साल फरवरी से अधिक देरी होती है तो इससे देश पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। स्पष्ट रूप से, यदि चुनाव फरवरी 2024 से अधिक विलंबित होते हैं, तो हमारे लिए पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय जुड़ाव के वर्तमान स्तर को बनाए रखना बेहद मुश्किल होगा।”
वहीं, इस समय पाकिस्तान अमेरिका के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों में कोई भी अड़चन बर्दाश्त नहीं कर सकता है, क्योंकि इस संबंध में किसी भी नकारात्मक प्रभाव का सीधा असर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित अमेरिका के नेतृत्व वाले वित्तीय संस्थानों के साथ उसके संबंधों पर पड़ेगा, जिनसे पाकिस्तान लगातार आर्थिक सहायता ले रहा है।
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