बांग्लादेश में छात्रों का हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी, भारत ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की

बांग्लादेश में बेरोजगारी से नाराज छात्र 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। नौकरियों में कोटा 2018 में छात्र आंदोलन के बाद खत्म कर दिया गया था, लेकिन जून में इसे फिर से लागू कर दिया।

बांग्लादेश में छात्रों का हिंसक प्रदर्शन जारी, भारत ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की
बांग्लादेश में छात्रों का हिंसक प्रदर्शन जारी, भारत ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की
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नवजीवन डेस्क

बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के बीच भारतीय दूतावास ने गुरुवार को एक एडवाइजरी जारी की जिसमें देश भर में रह रहे भारतीय छात्रों और नागरिकों से सतर्क रहने को कहा गया है। बांग्लादेश में छात्रों के विरोध प्रदर्शन में अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है।

भारतीय दूतावास की एडवाइजरी में कहा गया है, "बांग्लादेश में मौजूदा हालात को देखते हुए भारतीय समुदाय के सदस्यों और बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय छात्रों, नागरिकों को यात्रा से बचने और अपने रहने की जगह से बाहर कम निकलने की सलाह दी जाती है।" एडवाइजरी में 24 घंटे की आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर भी जारी की गई है और भारतीय नागरिकों से ढाका में उच्चायोग और सहायक उच्चायोग से जरूरत पड़ने पर संपर्क करने को कहा गया है।


गुरुवार को बांग्लादेश के अधिकांश हिस्से में पूर्ण बंद रहा। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में छात्र प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है। आरक्षण विरोधी प्रदर्शनकारियों की देश भर में सत्तारूढ़ अवामी लीग की छात्र शाखा के सदस्यों के साथ झड़पें हुईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ढाका के शोनीर अखरा इलाके में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा अधिकारियों के बीच हुई झड़पों में एक बच्चे समेत छह लोगों की मौत हो गई। आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं देश भर से सामने आई हैं। प्रदर्शनकारियों ने कई जगह टायर, लकड़ी के लट्ठों, मोटरसाइकिल और टोल प्लाजा बूथों में आग लगा दी।

देश में बेरोजगारी की उच्च दर से नाराज बांग्लादेश के छात्र 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण कोटा को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को 2018 में एक बड़े छात्र आंदोलन के बाद खत्म कर दिया गया था, लेकिन जून में एक अदालत ने इसे फिर से लागू कर दिया।

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