चुनाव जीतने के लिए ट्रंप ने मांगी थी चीन से मदद, पूर्व सहयोगी के दावों से खुली अमेरिकी राष्ट्रपति की पोल 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने अपनी आने वाली किताब में ट्रंप के खिलाफ कई चौंकाने वाले दावे किए हैं। अमेरिकी सरकार ने बोल्टन को किताब प्रकाशित करने से रोकने के लिए उन पर मुकदमा कर दिया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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DW

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने दावा किया है कि ट्रंप ने दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मदद मांगी थी। बोल्टन ने ट्रंप पर इसके साथ-साथ और भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनका जिक्र उन्होंने उनके द्वारा लिखी अपनी अप्रकाशित किताब ‘द रूम वेयर इट हैपेंड: ए व्हाइट हाउस मेमॉयर’ में किया है। किताब के कुछ अंश अमेरिका के सभी प्रमुख अखबारों में छपे हैं।

बोल्टन विदेश नीति के एक पुराने विशेषज्ञ हैं जिसकी वजह से ट्रंप ने उन्हें अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था, लेकिन मतभेदों की वजह से ट्रंप ने उन्हें सितंबर 2019 में बर्खास्त कर दिया था। बोल्टन ने अब अपनी किताब में यह दावा भी किया है कि ट्रंप ने कुछ आपराधिक मामलों में जांच रुकवाने की इच्छा भी जाहिर की थी, ताकि वो "अपनी पसंद के तानाशाहों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचा सकें।"

चीन के राष्ट्रपति शी के साथ ट्रंप की बातचीत के बारे में बताते हुए बोल्टन ने लिखा है, “ट्रंप ने अचानक बातचीत को अमेरिका में आने वाले राष्ट्रपति चुनावों की तरफ मोड़ दिया और चीन की आर्थिक क्षमता की बात करते हुए सीधे निवेदन कर दिया कि उनकी जीत सुनिश्चित करें।”

बोल्टन ने यह भी कहा कि वैसे तो ट्रंप प्रशासन चीनी सरकार द्वार मुस्लिम उइगुर अल्पसंख्यकों और दूसरे मुस्लिम समुदायों के लोगों को बड़ी संख्या में कैद रखे जाने की कड़ी आलोचना करता रहा है, लेकिन ट्रंप ने शी को जून 2019 में जापान के ओसाका में हरी झंडी दिखा दी थी। बोल्टन ने लिखा है, "हमारे अनुवादक के अनुसार ट्रंप ने कहा कि शी को उन शिविरों को बनाने के काम में आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि ट्रंप के अनुसार वो एक सही कदम था।"

यह ट्रंप का उनके किसी भी पूर्व करीबी सहयोगी द्वारा सबसे नुकसानदेह चित्रण है। ट्रंप ने भी बोल्टन पर पलटवार किया है और एक साक्षात्कार में उन्हें "झूठा" कहा है। एक और साक्षात्कार में उन्होंने यह भी कहा कि बोल्टन ने अत्यंत गोपनीय जानकारी को अपनी किताब में शामिल कर कानून भी तोड़ा है। कुछ समीक्षकों का मानना है कि इन अंशों में जो आरोप हैं, वो उन आरोपों से भी ज्यादा गंभीर हैं जिनकी वजह से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने पिछले साल उनके खिलाफ महाभियोग चलाया था।

बोल्टन के आलोचकों ने कहा कि उन्होंने ने महाभियोग के पहले हाउस द्वारा बिठाई गई जांच में गवाही देने से मना कर दिया था। ट्रंप के महाभियोग का नेतृत्व करने वाले कैलिफोर्निया के डेमोक्रेट सांसद एडम शिफ्फ ने बोल्टन की निंदा करते हुए बताया कि उन्होंने उस समय कहा था कि अगर उनके नाम उपस्थिति-पत्र जारी हुआ तो वो मुकदमा कर देंगे। शिफ्फ ने ट्विट्टर पर लिखा, "इसकी बजाय, उन्होंने वो सब अपनी किताब के लिए बचा के रख लिया। हो सकता है बोल्टन एक लेखक हों, पर वो कोई देशभक्त नहीं हैं।

अमेरिकी सरकार ने बोल्टन को किताब प्रकाशित करने से रोकने के लिए उन पर मुकदमा कर दिया है और शुक्रवार को अदालत में सुनवाई की मांग की है। प्रकाशक साइमन एंड शुस्टर ने आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि किताब की "लाखों प्रतियां" बांटी भी जा चुकी हैं।वहीं चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाओ लीजियांग ने इस बारे में एक प्रश्न के जवाब में कहा कि चीन का अमेरिका के चुनावों या उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है।

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