नयी तकनीक से निगरानी के खतरे बढ़े, अब ‘गाड़ियां’ ही कर रही हैं अपने मालिक की जासूसी
चीन के पब्लिक डाटा कलेक्टिंग, मॉनिटरिंग एंड रिसर्च सेंटर के दफ्तरों में लगी स्क्रीन पर पता चलता रहता है कि लोग कब, कहां और क्या कर रहे हैं। इतना ही नहीं स्क्रीन पर एक बटन दबाकर लोगों की गाड़ियों, उसके मॉडल और बैट्री तक की जानकारी आसानी से मिल जाती है।
आपने जासूसी से जुड़े तमाम किस्से और कहानियां सुने होंगे। लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि आपकी गाड़ी ही आपकी जासूसी कर रही है। चीन में कुछ ऐसा ही हो रहा है चीन के शान चुन्हुआ ने जब एक्स मॉडल वाली सफेद टेस्ला कार खरीदी तो वे बेहद खुश थे, क्योंकि यह एक सुंदर और तेज रफ्तार गाड़ी है, जिसे वह काफी दिनों से खरीदना चाहते थे। लेकिन उन्हें तब यह नहीं पता था कि कार निर्माता कंपनी टेस्ला लगातार उनकी गाड़ी की लोकेशन के बारे में सारी जानकारी चीन सरकार को दे रही है। हालांकि चीन में टेस्ला ही ऐसी एकलौती कंपनी नहीं है, बल्कि वहां की सरकार ने सभी इलेक्ट्रिक गाड़ियों के निर्माताओं को इसी तरह की जानकारी देने को कहा है।
चुन्हुआ कहते हैं, “मुझे इसके बारे में नहीं पता था। टेस्ला इसे जान सकती है, लेकिन कंपनी ये सारी जानकारी सरकार को क्यों दे रही है? ये गोपनीयता का मामला है।’’ समाचार एजेंसी एपी ने अपनी जांच में पाया कि टेस्ला ही नहीं बल्कि फोर्ड, जनरल मोटर्स, निसान, बीएमडब्ल्यू, फॉक्सवैगन समेत 200 कार निर्माता कंपनियां, चीन में लोकेशन समेत अन्य डाटा सरकार समर्थित निगरानी केंद्रों को दे रही हैं।
ऑटो कंपनियों की मजबूरी
ऑटो निर्माताओं का कहना है कि वे केवल स्थानीय कानूनों का पालन कर रहे हैं, जो वैकल्पिक ऊर्जा वाहनों पर लागू होते हैं। वहीं चीन के अधिकारी कहते हैं कि ऐसे डाटा का इस्तेमाल सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार, औद्योगिक विकास और आधारभूत संरचना की योजना बनाने और सब्सिडी कार्यक्रमों में धोखाधड़ी को रोकने के लिए किया जाता है। लेकिन इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल करने वाले अन्य देशों मसलन अमेरिका, जापान और यूरोपीय देशों में रियल टाइम में ऐसा कोई डाटा इकट्ठा नहीं किया जाता।
आलोचक कहते हैं कि इस तरह की जानकारी जुटाने का मकसद न सिर्फ विदेशी कार निर्माताओं के बाजारी मुकाबले को कमजोर करना नहीं है, बल्कि निगरानी करना भी है। सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दौर में चीन में विरोधी स्वरों को दबाया जाता है। आलोचकों का मानना है कि बिग डाटा और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल अधिक से अधिक बेहतर नीति को तैयार करने के लिए किया जा रहा है ताकि सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थिरता से जुड़े संभावित खतरों को आंका जा सके। इस बात पर भी चिंता जताई जा रही है कि नेक्स्ट-जेनरेशन गाड़ियों से जुड़े डाटा शेयरिंग के नियम, भविष्य में और भी अधिक निजी जानकारी साझा करेंगे।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्युरिटी में सेक्रेटरी और ‘एक्सप्लोडिंग डाटा’ किताब के लेखक माइकल शेर्टाफ कहते हैं, “आप लोगों की रोजाना की गतिविधियों के बारे में बहुत कुछ जान रहे हैं, जो इस तरह की कड़ी निगरानी का हिस्सा बन चुका है। आप जो भी कर रहे हैं उसे रिकॉर्ड और सहेजा जा रहा है। संभव है कि ये आपकी जिंदगी और आपकी आजादी को प्रभावित करे।” उन्होंन कहा कि कंपनियों को खुद से भी ये सवाल करना चाहिए कि क्या वे अपने कारोबारी मूल्यों को ताक पर रख कर ये सब करना चाहते हैं?
कैसे हैं निगरानी केंद्र
समाचार एजेंसी एपी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि द शंघाई इलेक्ट्रिक व्हीकल पब्लिक डाटा कलेक्टिंग, मॉनिटरिंग एंड रिसर्च सेंटर का दफ्तर चीन के चियातिंग जिले में बना है। दफ्तर में लगी बड़ी स्क्रीन रियल टाइम में मैपिंग कर रही है। इससे पता चलता है कि शंघाई में लोग कहां, क्या कर रहे हैं, कहां काम करते हैं और कहां पूजा करते हैं। इतना ही नहीं स्क्रीन पर एक बटन दबाकर लोगों की गाड़ियों, उसके मॉडल और बैट्री तक का पता चल जाता है। ये स्क्रीन शंघाई में चलने वाले तकरीबन 2 लाख से ज्यादा यात्री कारों की जानकारी देती है।
रिसर्च सेंटर एक गैर सरकारी संस्था है, जिसे सरकार वित्तीय सहयोग देती है। रिसर्च सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर डिंग शाओहुआ कहते हैं कि हम उपभोक्ताओं से जुड़ा बहुत सारा डाटा सरकार तक पहुंचाते हैं ताकि वह योजना और नीतिगत क्षेत्रों में सुधार कर सकें। ह्यूमन राइट्स वॉच में चीन की वरिष्ठ शोधकर्ता माया वांग के मुताबिक, “सरकार जानना चाहती है कि लोग कब क्या करना चाहते हैं और सरकार भी उतनी तत्परता से जवाब देना चाहती है।” उन्होंने कहा कि सरकारी निगरानी के खिलाफ सुरक्षा शून्य है। व्हीकल ट्रैकिंग इस निगरानी में सबसे अहम हैं।
क्या कहती हैं कार कंपनियां
ऑटो निर्माता कहते हैं कि डाटा की शेयरिंग चीन के नियमों के मुताबिक होती है। चीन में फॉक्सवैगन ग्रुप के प्रमुख कार्यकारी योखेम हाइसमन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे इस बात की गारंटी नहीं दे सकते कि इस डाटा का इस्तेमाल सरकारी निगरानी में नहीं होता है। हालांकि वे इस बात पर जोर देते हैं कि कंपनी निजी डाटा जैसे ड्राइवर की पहचान आदि को अपने सिस्टम में सुरक्षित रखती है।
चीन में ऑटो कंपनी निसान के ऑपरेशंस प्रमुख खोसे मुनोज ने कहा कि जब तक समाचार एजेंसी एपी ने उन्हें नहीं बताया था तब तक उन्हें निगरानी तंत्र के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन वह इस बात पर जोर देते हैं कि कंपनी, चीन के कानून के मुताबिक ही काम करती है। उन्होंने कहा, “बतौर कंपनी हम चीन के बाजार के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं, हम इसे ऐसे बाजार की तरह देखते हैं जहां आगे बढ़ने की अथाह संभावनाएं हैं।” हालांकि फोर्ड, बीएमडब्ल्यू ने इस मामले पर किसी भी टिप्पणी से इनकार कर दिया। वहीं कार उपभोक्ताओं का कहना है कि इस बारे में परेशान होकर भी कोई फायदा नहीं है।
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