यूक्रेन के बूचा से आ रही तस्वीरों ने यूरोप को किया परेशान, अत्याचारों की तस्वीर देख बिफरे पश्चिमी देश
यूक्रेन के बूचा से आ रही तस्वीरों ने यूरोप को काफी परेशान किया है। पश्चिमी देश और अमेरिका इससे खासे नाराज हैं और रूस पर नए प्रतिबंधों के साथ ही उसके खिलाफ कुछ और कार्रवाई करने की तैयारी में हैं।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन का कहना है कि रूस ने जान बूझ कर यूक्रेन के बूचा में अत्याचारों को अंजाम दिया। ब्लिंकेन ने इनकी जांच कर रहे यूक्रेनी अधिकारियों को मदद देने की भी बात कही है। ब्रसेल्स में नाटो के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने आए ब्लिंकेन ने कहा, "जो हमने बूचा में देखा है वो किसी शरारती यूनिट की अचानक से की हुई कार्रवाई नहीं है। यह जानबूझ कर हत्या, बलात्कार और अत्याचार के लिए चलाया गया अभियान है।" रूस आम लोगों पर अत्याचारों की खबर को झूठ बता रहा है और उसमें अपनी सेनाओं की भागीदारी से साफ इनकार कर रहा है। उसका कहना है कि उसकी सैन्य कार्रवाई को बदनाम करने के लिए यूक्रेन यह सब कर रहा है।
नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग ने आशंका जताई है कि रूसी फौज के पीछे हटने के बाद आम लोगों पर उनके और ज्यादा अत्याचार सामने आ सकते हैं। स्टोल्टेनबर्ग ने मंगलवार को कहा, "हमने सब कुछ अभी नहीं देखा है क्योंकि बहुत से हिस्सों पर अभी रूस का ही नियंत्रण है, लेकिन जब और अगर वे अपनी सेनाएं पीछे हटाते हैं और यूक्रेनी सेना उन पर नियंत्रण करती है तो मुझे डर है कि हम और ज्यादा सामूहिक कब्रें, अत्याचार और युद्ध अपराध के उदाहरण देखेंगे।" स्टोल्टेनबर्ग का यह भी कहना है कि उन्हें कई स्रोतों से इन अत्याचारों की जानकारी मिली है।
पश्चिमी देशों ने बूचा से आ रही तस्वीरों पर कड़ी प्रतिक्रिया दिखाई है और बड़ी संख्या में रूसी राजनयिकों को उनके देश वापस भेजा जा रहा है। इटली के विदेश मंत्रालय का कहना है कि रूस के 30 राजनयिकों को देश छोड़ने का हुक्म दिया जा रहा है। यूक्रेन में रूसी सेना के हाथों हुए कथित नरसंहार की खबरों के बाद यूरोप के कई और देशों ने ऐसी घोषणा की है। मंगलवार को ही स्पेन के विदेश विभाग ने भी कहा कि 25 राजनयिकों और दूतावासकर्मियों को स्पेन छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। इससे पहले सोमवार को जर्मनी ने 40 और रूस ने 35 राजनयिकों के निष्कासन का आदेश दिया। मंगलवार को डेनमार्क ने 15 खुफिया अधिकारियों को देश से निकलने का हुक्म दिया। ये अधिकारी कोपेनहेगेन के रूसी दूतावास में काम कर रहे थे।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को आम लोगों के नरसंहार के बारे में जानकारी देंगे। रूस के पास वीटो का अधिकार होने से सुरक्षा परिषद कुछ खास तो नहीं कर सकेगा। अभी यह तय नहीं है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति का भाषण सुनने के लिए सुरक्षा परिषद के कितने सदस्य देश वहां मौजूद रहेंगे।
मारियोपोल को मदद की उम्मीद
यूक्रेन का कहना है कि मारियोपोल के बंदरगाह पर एक नागरिक जहाज डूब रहा है। इस जहाज पर रूसी सैनिकों ने सागर से गोलीबारी की थी। फायरिंग के कारण जहाज के इंजिन में आग लग गई। जहाज के चालक दल के सदस्यों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। इनमें से एक घायल है। जहाज पर डोमिनिकन रिपब्लिक का झंडा लगा था और यह मालवाहक जहाज था। अभी यह नहीं बताया गया है कि इस पर कितने लोग सवार थे।
मारियोपोल में जाने की कोशिश में जुटे अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस की टीम ने अब यह उम्मीद छोड़ दी है। उन्हें पुलिस ने मारियोपोल से पश्चिम में 20 किलोमीटर पहले ही पूरी रात रोक कर रखा. रेड क्रॉस की टीम शुक्रवार से ही मारियोपोल में दाखिल होने की कोशिश कर रही है जिससे कि वहां फंसे लोगों को निकालने में और राहत पहुंचाने में मदद दी जा सके। यह पता नहीं चल सका है कि पुलिस कहां की थी लेकिन जहां इन्हें रोक कर रखा गया वो इलाका रूसी नियंत्रण में है।
यूक्रेन की उप प्रधानमंत्री इरेना वेरेशचुक ने कहा है कि मंगलवार को लोगों को निकालने के लिए सात मानवीय गलियारे खोले जाएंगे। इनमें मारियोपोल के अलावा रूसी नियंत्रण वाले बेर्दयांस्क भी शामिल हैं। उप प्रधानमंत्री का कहना है कि ये लोग अपनी गाड़ियों से इन गलियारों के जरिए जापोरिझिया तक जा सकते हैं। गलियारे सेवेरोदोनेत्स्क, लिसिचांस्क, पोपासना और लुहांस्क के हिर्स्के से भी बनाए जाएंगे। वेरेशचुक का कहना है कि रूसी सेना राहत पहुंचाने वालों को मारियोपोल में नहीं घुसने दे रही है।
संगठित हो रही है रूसी सेना
यूक्रेन की सेना ने मंगलवार को खबर दी है कि रूस अपनी सेनाएं संगठित कर डोनबास में हमले की तैयारी कर रहा है। सेना के फेसबुक पेज पर डाली गई पोस्ट में कहा गया है, "लक्ष्य डोनेत्स्क और लुहांस्क के इलाके में पूरा नियंत्रण हासिल करना है।"
यूरोपीय और अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं ने यूक्रेन के पड़ोसी देश मोल्दोवा को 69.5 करोड़ यूरो की आर्थिक सहायता देने का फैसला किया है। मोल्दोवा यूरोप के सबसे गरीब देशों में है और वहां फिलहाल एक लाख से ज्यादा शरणार्थी रह रहे हैं। यूक्रेन युद्ध के दौर में ऊर्जा की बढ़ती कीमतों के बीच यूरोपीय देशों के लिए हालात मुश्किल हैं। बर्लिन में दानदाताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने कहा कि उनका देश मोल्दोवा को रूसी ऊर्जा की सप्लाई से मुक्त होने में मदद करेगा।
मोल्दोवा की आबादी महज 30 लाख है फिर भी उसने कई बड़े यूरोपीय देशों की तुलना में ज्यादा शरणार्थियों को जगह दी है और आने वालों का स्वागत कर रहा है। यूक्रेन की तरह मोल्दोवा भी सोवियत संघ का पूर्व सदस्य देश है। उसके कुछ इलाकों पर रूस समर्थित अलगाववादियों का कब्जा है।
यूरोपीय संघ ने मंगलवार को रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों का प्रस्ताव रखा है। इसमें रूस से कोयले के आयात पर पाबंदी और रूसी जहाजों को यूरोपीय बंदरगाहों से गुजरने देने की पर रोक लगाना सबसे प्रमुख हैं। 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला होने के बाद से यह पांचवें दौर के प्रतिबंध हैं. अभी इस पर सदस्य देशों को सर्वसम्मति से फैसला लेना है।
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