निज्जर हत्याकांडः ऑस्ट्रेलियाई खुफिया प्रमुख ने ट्रूडो के दावे पर लगाई मुहर! कहा- विवाद का कोई कारण नहीं
ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा खुफिया संगठन के महानिदेशक माइक बर्गेस ने एबीसी न्यूज चैनल को बताया कि यह एक गंभीर आरोप है और उनके पास इस मामले में कनाडाई सरकार ने जो कहा है उस पर विवाद करने का कोई कारण नहीं है। हालांकि, भारत ने ट्रूडो के आरोप से इनकार किया है।
ऑस्ट्रेलिया के खुफिया प्रमुख माइक बर्गेस ने कहा है कि इस साल जून में सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की भूमिका के कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के दावे पर "विवाद करने का कोई कारण नहीं" है। हालांकि, भारत ने ट्रूडो के आरोप से इनकार किया है, लेकिन दोनों देशों के बीच इसको लेकर राजनयिक विवाद पैदा हो गया है।
ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा खुफिया संगठन (एएसआईओ) के महानिदेशक माइक बर्गेस ने एबीसी न्यूज चैनल को बताया कि यह एक गंभीर आरोप है और उनके पास इस मामले में कनाडाई सरकार ने जो कहा है उस पर विवाद करने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसी भी देश पर उस देश के नागरिक की हत्या का आरोप लगाया जा रहा है, यह एक गंभीर आरोप है, और कुछ ऐसा है जो हम नहीं करते हैं और कुछ ऐसा है जो नहीं करना चाहिए।"
बर्गेस ने ये टिप्पणी कैलिफ़ोर्निया में की। वो फ़ाइव आइज़ ख़ुफ़िया साझेदारों की एक सार्वजनिक सभा में मौजूद थे। इसके सदस्य देशों में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और न्यूज़ीलैंड हैं। ख़ुफ़िया प्रमुख ने इस बात की पुष्टि नहीं की कि सभा में इस मुद्दे पर चर्चा की गई या नहीं, लेकिन एक राष्ट्रीय सुरक्षा सूत्र ने एबीसी को बताया कि बर्गेस को पिछले महीने नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन से पहले इस मामले पर जानकारी दी गई थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने पिछले महीने रिपोर्ट दी थी कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने जानकारी दी जिसके बाद कनाडा ने निज्जर की हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया। ट्रूडो ने भारत से जांच में सहयोग करने का आह्वान किया और कहा था कि उन्होंने अपने दावों को सार्वजनिक करने से पहले भारत के साथ हत्या के सबूत साझा किए थे।
जब बर्गेस से पूछा गया कि क्या ऑस्ट्रेलिया भारतीय एजेंटों का अगला निशाना हो सकता है, तो उन्होंने कहा, "यह यहां होगा या नहीं, मैं अटकलें नहीं लगाऊंगा, मुझे नहीं लगता कि यह उचित है।" उन्होंने एबीसी से कहा, "मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि जब हम पाएंगे कि दूसरे देश की सरकार हमारे देश में हस्तक्षेप कर रही है, या हमारे देश में हस्तक्षेप करने की योजना बना रही है, तो हम उनसे प्रभावी ढंग से निपटेंगे।"
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में भी खालिस्तान का खतरा है। इसी साल करीब आधा दर्जन हिंदू मंदिरों पर एक के बाद एक हमले किए गए। अकेले 12 से 23 जनवरी के बीच मेलबर्न में तीन हिंदू मंदिरों को खालिस्तान समर्थकों ने निशाना बनाया। इस साल जनवरी में प्रतिबंधित खालिस्तान संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा जनमत संग्रह के आह्वान के दौरान मेलबर्न के फेडरेशन स्क्वायर में भारतीयों पर लाठियों से हमला किया गया था। ऑस्ट्रेलिया में करीब 210,000 से अधिक सिख हैं, जो 2021 तक ऑस्ट्रेलिया की आबादी का 0.8 प्रतिशत हिस्सा है, जो देश का पांचवां सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ने वाला धार्मिक समूह है।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia