न्यूजीलैंड हमला: डोनाल्ड ट्रंप को हीरो मानता है हमलावर, हमले के वक्त था फेसबुक पर लाइव
अंग्रेजी अखबार ‘दि सन’ के मुताबिक हमलावर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपना हीरो मानता है। उसने अपने मैनिफेस्टो ‘दि ग्रेट रिप्लेसमेंट’ में लिखा है कि, ‘आक्रमणकारियों को दिखाना है कि हमारी भूमि कभी भी उनकी भूमि नहीं होगी।
न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में शुक्रवार की सुबह एक बंदूकधारी हमलावर ने अंधाधुंध गोलीबारी कर 49 लोगों को मौत के घाट उतार दिया, जबकि 40 लोग घायल हैं। बताया जा रहा है कि हमले के वक्त मस्जिद में भारी संख्या में लोग मौजूद थे। मीडिया रिपोर्ट्स में हमलावर की जानकारियां समाने आईं हैं। हमलावर का नाम ब्रेंटन टैरेंट है जो ब्रिटिश मूल का है और ऑस्ट्रेलिया में रहता है। हमले से पहले टैरेंट ने एक मैनिफेस्टों भी लिखा था। इस मैनिफेस्टो में उसने आतंकी हमलों में मारे गए हजारों यूरोपिय नागरिकों के मौत का बदला और श्वेत वचर्स्व को कायम करने के लिए दूसरे देश से आए लोगों को बाहर निकालने की बात की है।
अंग्रेजी अखबार ‘दि सन’ के मुताबिक हमलावर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपना हीरो मानता है। उसने अपने मैनिफेस्टो ‘दि ग्रेट रिप्लेसमेंट’ में इस हमले को अंजाम देने की वजह भी लिखा है। उसने लिखा है कि, 'आक्रमणकारियों को दिखाना है कि हमारी भूमि कभी भी उनकी भूमि नहीं होगी। हमारे घर हमारे अपने हैं और जब तक एक श्वेत व्यक्ति रहेगा, तब तक वे कभी जीत नहीं पाएंगे। ये हमारी भूमि और वे कभी भी हमारे लोगों की जगह नहीं ले पाएंगे। परिभाषा के हिसाब से यह एक आतंकवादी हमला है। लेकिन मेरा मानना है कि यह कब्जे वाली ताकत के खिलाफ एक कार्रवाई है।'
मैनिफेस्टो में ब्रेंटन टैरैंट ने खुद को साधारण श्वेत शख्स' बताया है, जिसका जन्म ऑस्ट्रेलिया में एक निम्न आय वाले परिवार में हुआ था। 'हमला क्यों किया' इस शीर्षक के तहत उसने लिखा है कि यह 'विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा हजारों लोगों की मौत' का बदला लेने के लिए है।
हमलावर ब्रेंटन टैरेंट ने अपने मैनिफेस्टो में तुर्की को नाटों देशों में शामिल किए जाने पर भी आपत्ति जताई है। उसका मानना है कि तुर्की विदेश है और वो यूरोप का दुश्मन है। हमलावर को फ्रांस के उदारवादी राष्ट्रपति भी पसंद नहीं हैं। वो उन्हें अंतरराष्ट्रीयतावादी, वैश्विक और श्वेत विरोधी बताता है। उसने लिखा है कि यूरोपीय देशों पर हुए आतंकी हमले ने उसे बहुत प्रभावित किया है और उसके बाद उसने तय किया है कि लोकतांत्रिक, राजनीतिक हल के बजाए वो हिंसक क्रांतिकारी रास्ता अपनाना ही सही है।
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