Israel Hamas War: गाजा में सीजफायर का प्रस्ताव UN में पास, 120 देशों ने किया समर्थन, जानें क्या रहा भारत का रुख?

सुरक्षा परिषद द्वारा पिछले दो सप्ताह में चार बार कार्रवाई करने में विफल रहने के बाद महासभा ने मतदान किया। प्रस्ताव पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी।

फोटो: ians
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नवजीवन डेस्क

इजरायल-हमास के बीच जंग जारी है। इस बीच गाजा में मानवीय आधार पर संघर्ष विराम के लिए जॉर्डन की ओर से पेश किया गया प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हो गया। संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट और विरोध में केवल 14 वोट पड़े। वहीं भारत कनाडा जर्मनी और ब्रिटेन समेत 45 देशों ने इस मतदान प्रक्रिया से खुद को बाहर रखा।

सुरक्षा परिषद द्वारा पिछले दो सप्ताह में चार बार कार्रवाई करने में विफल रहने के बाद महासभा ने मतदान किया। प्रस्ताव पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी। प्रस्ताव का उद्देश्य इस युद्ध और लोगों के खिलाफ नरसंहार को रोकना और गाजा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचाना है।

UN की बैठक में इजराइल के राजदूत गिलाद एर्दान ने कहा, हम हमास को इस तरह के अत्याचार करने की इजाजत देकर चुपचाप नहीं बैठेंगे। इजराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। इस अधिकार का मतलब यह सुनिश्चित करना है कि इस तरह के अत्याचार कभी नहीं दोहराए जाएं। ऐसा तभी होगा जब हमास का पूरी तरह से खात्मा हो जाए।


संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा, 'ऐसी दुनिया में जहां मतभेदों और विवादों को बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए, इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसा पर गहराई से चिंतित होना चाहिए। 7 अक्टूबर को इज़रायल में हमले चौंकाने वाले थे और निंदा के लायक थे। बंधक बनाए गए लोगों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं। हम उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करते हैं। आतंकवाद एक घातक रोग है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती...आइए हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस का दृष्टिकोण अपनाएं।'

भारत ने कहा, 'गाजा में जारी संघर्ष के दौरान हो रही मौतें एक गंभीर और निरंतर चिंता का विषय है। नागरिक, विशेष रूप से महिलाएं और बच्चे, अपनी जान देकर इसकी कीमत चुका रहे हैं। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के प्रयासों और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने का स्वागत करते हैं। भारत ने भी इस प्रयास में योगदान दिया हैं। भारत लगातार बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और जारी संघर्ष में आमजन की आश्चर्यजनक क्षति से बहुत चिंतित है...भारत ने हमेशा इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे के लिए बातचीत के जरिए 'दो देश समाधान' का समर्थन किया है। हमें उम्मीद है कि इस महासभा के विचार-विमर्श से आतंक और हिंसा के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश जाएगा और कूटनीति और बातचीत की संभावनाओं का विस्तार होगा।'

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