यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच फंसा पाकिस्तान, पश्चिमी देश इमरान सरकार पर बना रहे दबाव!
लेकिन ऐसा लगता है कि संघर्ष पर पाकिस्तान का रुख पश्चिम को परेशान कर रहा है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इसके परिणामों के बारे में चेताया है।
यूक्रेन में रूस के आक्रमण के कारण चल रहे संघर्ष ने दुनिया को पश्चिम और पूर्व के बीच विभाजित दृष्टिकोण में ला दिया है। नाटो, अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) यूक्रेन में रूस की आक्रामकता की निंदा करने के लिए वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) जैसे वैश्विक मंचों का सहारा ले रहे हैं।
इस मामले पर पाकिस्तान का रुख तटस्थ रहा है, क्योंकि उसने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव के पक्ष में मतदान से परहेज किया था, जिसे अमेरिका द्वारा पेश किया गया था, जिसमें वैश्विक शक्तियों से यूक्रेन में युद्ध छेड़ने के लिए रूस की निंदा करने का आह्वान किया गया था।
लेकिन ऐसा लगता है कि संघर्ष पर पाकिस्तान का रुख पश्चिम को परेशान कर रहा है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इसके परिणामों के बारे में चेताया है। इसलिए तटस्थ रुख अपनाने से इस्लामाबाद की स्थिति क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर प्रभावित हो सकती है।
23 राजदूतों के एक समूह द्वारा हाल ही में एक बयान में, संघर्ष पर पाकिस्तान की स्थिति को 'गैर-राजनयिक' कहा गया था, जबकि अमेरिका ने कहा कि उसने क्षेत्रीय और वैश्विक परिणामों के बारे में पाकिस्तान को पहले ही सूचित किया जा चुका है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, "हमने पाकिस्तान सरकार को यूक्रेन के खिलाफ रूस के अकारण युद्ध के क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी दी है।"
यूरोपीय संघ के दूतों के पत्र पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की हालिया प्रतिक्रिया भी सामने आई है, जिसमें इस्लामाबाद से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करने की मांग की गई थी। उन्होंने क्षेत्रीय ब्लॉक की आलोचना की और उनकी मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने यह सवाल करते हुए उनकी मांग को खारिज किया कि वही देश कहां थे, जब नई दिल्ली ने अंतर्राष्ट्रीय कानून तोड़ा और जम्मू एवं कश्मीर राज्य पर 'कब्जा' कर लिया था। उनका तर्क है कि इससे देश पर कूटनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से बड़े परिणाम होने की उम्मीद है।
खान ने सवाल पूछते हुए कहा, "यूरोपीय संघ के राजदूतों ने पाकिस्तान को एक पत्र लिखा, जिसमें हमें रूस विरोधी बयान जारी करने के लिए कहा। मैं यूरोपीय संघ के राजदूतों से पूछता हूं, क्या आपने वह पत्र भारत को भी लिखा था?"
उन्होंने न केवल यूरोपीय संघ की नवीनतम मांग को खारिज कर दिया, बल्कि पाकिस्तान को उनके साथ शामिल होने और आतंक के खिलाफ युद्ध के माध्यम से पश्चिमी ब्लॉक में शामिल होने के लिए अमेरिका की भी आलोचना की, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने अपने 80,000 नागरिकों को खो दिया। इसके अलावा कम से कम 35 लाख लोगों के विस्थापन (डिस्प्लेसमेंट) के साथ ही 100 अरब डॉलर का नुकसान भी झेलना पड़ा।
पाक पीएम ने आगे कहा, "मैं यूरोपीय संघ के राजदूतों से पूछता हूं, क्या आपने हमें धन्यवाद दिया? क्या आपने कहा कि हमने आपके युद्ध में आपकी मदद की? क्या आपने हमारी सराहना की?"
खान द्वारा दी गई इस मजबूत और कठोर प्रतिक्रिया ने देश के वित्तीय बाजार में अनिश्चितता की लहरें पैदा कर दी हैं, क्योंकि पश्चिमी ब्लॉक के साथ देश के संबंधों के भ्रमित और अनिश्चित भविष्य के कारण शेयर बाजार ने पहले ही नकारात्मक प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है।
कई लोगों के लिए, पश्चिमी ब्लॉक के साथ पाकिस्तान का इनकार यह दर्शाता है कि वह रूस का पक्ष ले रहा है, जहां से इस्लामाबाद आने वाले दिनों में कम से कम 20 लाख मीट्रिक टन गेहूं आयात करने की योजना बना रहा है।
विशेषज्ञ पश्चिमी गुट पर पाकिस्तान के इस सख्त रुख से कई कयास भी लगाने लगे हैं और उन्हें लग रहा है कि इसके परिणाम पाकिस्तान की स्थिति और खान की लोकतांत्रिक सत्ताधारी सरकार के भविष्य और देश के पश्चिम से कूटनीतिक समर्थन हासिल करने के प्रयासों को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा यह पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से खुद को बाहर निकालने को लेकर भी एक बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
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Published: 07 Mar 2022, 8:58 PM