कोरोना: अमेरिका में 24 घंटे के भीतर 1920 लोगों की मौत, बड़ी संख्या में मृतकों को गुपचुप तरीके से दफनाया गया!
अमेरिकी एबीसी के एक कार्यक्रम में एक रिपोर्ट प्रसारित हुई, जिसमें कहा गया था कि कोविड-19 के मृतकों की संख्या अस्पताल के शवगृह की क्षमता से अधिक हो गई, सरकार को 150 साल के इतिहास वाले अमेरिका के सबसे बड़े कब्रिस्तान हार्ट आइलैंड में खाई खोदकर लावारिस शवों को दफनाना पड़ा।
दुनिया भर में कोरोना वायरस का कहर जारी है। अमेरिका में सबसे ज्यादा बुरा हाल है। यहां पर 24 घंटे के भीतर 1920 लोगों की मौत हो गई है। अमेरिका में कोरोना से अब तक 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 5 लाख 32 हजार से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं।
अमेरिकी एबीसी के एक कार्यक्रम में एक रिपोर्ट प्रसारित हुई, जिसमें कहा गया था कि कोविड-19 के मृतकों की संख्या अस्पताल के शवगृह की क्षमता से अधिक हो गई, सरकार को 150 साल के इतिहास वाले अमेरिका के सबसे बड़े कब्रिस्तान हार्ट आइलैंड में खाई खोदकर लावारिस शवों को दफनाना पड़ा।
अमेरिका में 10 अप्रैल तक कोविड-19 के मामलों की संख्या 5 लाख और मृतकों की संख्या 18 हजार से अधिक हो गयी। न्यूयॉर्क स्टेट में पुष्ट मामलों की संख्या दुनिया के किसी भी देश से अधिक है। वॉक्स की रिपोर्ट के अनुसार 4 अप्रैल को अमेरिकी गैर-लाभकारी ट्रम संस्थान द्वारा जारी एक सर्वेक्षण से पता चला कि कोविड-19 के प्रकोप के पहले महीने में अमेरिका भर में कुल 43 हजार चिकित्सा कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया था। यह घटना बेहद असामान्य है। ऐतिहासिक आंकड़ों से पता चला है कि जब आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है, तो आम तौर पर बड़ी संख्या में चिकित्सा कर्मचारियों को बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए। वर्तमान महामारी में बेरोजगार चिकित्सा कर्मियों की संख्या लगभग 30 वर्षो में एक नए उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
न्यूयॉर्क टाइम्स आदि मीडिया के विश्लेषण के अनुसार इसका अस्पताल की वित्तीय कठिनाइयों से संबंधित है। कोविड-19 की बढ़ती गंभीरता के साथ-साथ अमेरिका के दर्जनों स्टेटों ने अस्पतालों को निर्देश दिया है कि कोविड-19 से संक्रमित रोगियों को अधिक चिकित्सा संसाधनों को देने के लिए गैर-आपातकालीन सर्जरी को स्थगित करने की आवश्यकता है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिकी लोग सरकार के अगले कदम पर ध्यान दे रहे हैं। लेकिन मामलों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ अमेरिकी चिकित्सा प्रणाली को और भी अधिक गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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