चीन की नापाक साजिश! विवादित भूटान क्षेत्र में गांवों का निर्माण कर रहा चीन, सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ खुलासा
डोकलाम पठार 2017 में सुर्खियों में था, जब भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) 70 दिनों से अधिक समय तक आमने-सामने थी। भारतीय सैनिकों की ओर से इस क्षेत्र में डटे रहने के बाद चीनियों को अंतत: क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा था।
चीन विवादित भूटान क्षेत्र में गांवों का निर्माण कर रहा है, जो डोकलाम पठार से 30 किमी से भी कम दूरी पर हैं। यह रहस्योद्घाटन हाई-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों के सुरक्षा प्रतिष्ठानों के सामने आने के बाद हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि भूटान में विवादित क्षेत्र के भीतर चीनी गांवों का इस्तेमाल सैन्य और नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए किए जाने की संभावना है।
डोकलाम पठार 2017 में सुर्खियों में था, जब भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) 70 दिनों से अधिक समय तक आमने-सामने थी। भारतीय सैनिकों की ओर से इस क्षेत्र में डटे रहने के बाद चीनियों को अंतत: क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा था।
डोकलाम भारत, चीन और भूटान के बीच ट्राइजंक्शन पर एक पठार और एक घाटी से युक्त 100 वर्ग किमी का क्षेत्र है। पठार तिब्बत की चुंबी घाटी, भूटान की हा घाटी और भारत के सिक्किम से घिरा हुआ है।
2017 में चीन डोकलाम में ढांचागत विकास कार्य कर रहा था, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई थी। चीन ने तब दावा किया था कि भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद है और जिस पर भारत का कोई दावा नहीं है।
हालांकि, भारत ने 73 दिनों तक चीनी सैनिकों की तैनाती की बराबरी करते हुए इसका खंडन किया और अपनी जमीन पर खड़ा रहा।
चीन द्वारा यह कहते हुए गतिरोध शुरू किया गया था कि वह अपने क्षेत्र में एक सड़क का निर्माण कर रहा है। इसका भारत द्वारा विरोध किया गया था, जिसने कहा था कि चीनी सड़क निर्माण स्थल भूटानी क्षेत्र है।
पिछले साल अक्टूबर में, चीन और भूटान ने अपने सीमा विवादों को हल करने के लिए तीन-चरणीय रोडमैप पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि वह इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है।
भूटान और चीन के बीच सीमा वार्ता 1984 में शुरू हुई थी और दोनों पक्षों ने विशेषज्ञ समूह स्तर पर 24 दौर की बातचीत और 10 दौर की बैठक की जा चुकी है।
इससे पहले भूटान अपनी जमीन पर चीनी घुसपैठ को लेकर कई बार आपत्ति जता चुका है।
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