कत्ल और धोखेबाजी के बेशुमार जुर्म करने वाला अपराधी चार्ल्स शोभराज वापस फ्रांस भेजा गया, जेल तोड़ने में थी महारत

शोभराज के पिता भारतीय थे और मां वियतनामी। लेकिन उसकी परवरिश फ्रांस में अपने सौतेले पिता की क्षत्रछाया में हुई। उसके पिता टेक्सटाइल ट्रेडर थे और वियतनाम में उनकी कपड़ों की दुकान थी।

फोटो सौजन्य : संंतोष घिमिरे
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नवजीवन डेस्क

द सर्पेंट, बिकिनी किलर और भी कई नामों से कुख्यात चार्ल्स शोभराज शनिवार सुबह फ्रांस पहुंच गया। 78 साल के इस कातिल और महाठग को नेपाल ने जेल से रिहाई के बाद देश निकाला का आदेश दिया था। 78 साल के चार्ल्स शोभराज का दावा था कि अगर वह चाहे तो नेपाली कस्टम की आंखों में धूल झोंककर एयरपोर्ट से हाथी तक की तस्करी कर सकता है। झांसा देने में माहिर शोभराज भारत की दिल्ली स्थित सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल से 1980 के दशक में फरार हुआ था। उसे गोवा में गिरफ्तार किया गया था।

काठमांडु में जेल से रिहा होने के बाद शुक्रवार को उसने फ्रांसीसी न्यूज एजेंसी एएफपी से बात करते हुए दावा किया था कि वह निर्दोष है और उसे बिना जुर्म के ही इतने साल तक जेल में रखा गया। उसने कहा कि वह नेपाल सरकार पर मुकदमा करेगा और उन लोगों पर अदालती कार्यवाही करेगा जिन्होंने उसे बदनाम किया। चार्ल्स शोभराज को 2003 में काठमांडु के एक कसीनों से गिरफ्तार किया गया था। उस पर दो अमेरिकी पर्यटकों की हत्या का आरोप था। उस समय उसकी उम्र 58 साल थी।

शोभराज के पिता भारतीय थे और मां वियतनामी। लेकिन उसकी परवरिश फ्रांस में अपने सौतेले पिता की क्षत्रछाया में हुई। उसके पिता टेक्सटाइल ट्रेडर थे और वियतनाम में उनकी कपड़ों की दुकान थी। उन्होंने 1943 में एक लावारिस वियतानी महिला से शादी की और अगले साल चार्ल्स शोभराज का जन्म हुआ था। हालांकि बाद में शोभराज के पिता ने दावा किया कि जब वे भारत आए तो उन्हें एक भारतीय लड़की से शादी के लिए मजबूर कर दिया गया। इस तरह भारत-वियतनाम की प्रेम कहानी का पटाक्षेप हो गया।

इसके बाद चार्ल्स की मां ने फ्रांसीसी सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात एक व्यक्ति से शादी कर ली। इस शादी से उन्हें तीन बच्चे हुए। इसके बाद चार्ल्स की मां चार्ल्स को उसके पिता के पास छोड़कर अपने तीन बच्चों और पति के साथ फ्रांस चली गई। कुछ दिन बाद जब वह वियतनाम आई तो उन्होंने देखा कि उनके बेटे की देखभाल ठीक से नहीं हो रही है तो वह उसे अपने साथ फ्रांस ले गईं।


चार्ल्स को फ्रांस पसंद नहीं आया। उसे वियतनाम याद आता था और अपने मौजूदा मां-बाप पर गुस्सा। इसी दौरान उसने छोटे-मोटे अपराध करना शुरु कर दिए। वह कई बार गिरफ्तार भी हुआ। 1963 में उसने एक घर में चोरी की और गिरफ्तार किए जाने पर उसे पैरिस के नजदीक पॉइसी जेल भेज दिया गया। वहां उसने जेल अधिकारियों को इस बात के लिए मना लिया कि उसे साहित्य और विदेश भाषाओं पर किताबें मुहैया हो जाएं। इसी जेल में उसने एक धनी पर्शियन और जेल में सेवा देने वाले फेलिस डीएस्कोन से दोस्ती गांठ ली। जेल से पैरोल पर छूटने पर वह इसी दोस्त के घर रहता था। जेल में रहते हुए चार्ल्स अंडरवर्ल्ड के संपर्क में आया, साथ ही पर्शियन धनी व्यक्ति के साथ रहते हुए वह पर्शिया की हाई क्लास सोसायटी के संपर्क में भी आया।

उसका दावा था कि वह लोगों से साहित्य पर अपने ज्ञान और भाषा पर पकड़ के साथ ही सौम्यता के कारण घुलमिल जाता था। उसे लगातार पैसों की जरूरत होती थी, जिसके लिए वह पर्यटकों को लूटने, घरों में चोरी करने जैसे अपने पसंदीदा अपराधों को अंजाम देता रहता था। इसी दौरान उसकी मुलाकात एक अमीर और युवा पारसी लड़की चेंटल कॉम्पेनॉन से हुई। इस लड़की को चार्ल्स से प्रेम हो गया और दोनों ने शादी कर ली।

1970 के दशक में चार्ल्स और चेंतल मुंबई आए। यहां उन्होंने यूरोप से चुराई हुई कारें बेचने का धंधा शुरु किया। ऐसा लगता है कि पर्यटकों कोलूटने और गहने चुराने में ज्यादा पैसा नहीं बन रहा था, इसीलिए उसने जुआ खेलना शुरु किया और इसमें उसे खूब पैसा मिला। इसके बाद उसने हिप्पियों (नशे के शौकीन पर्यटक) को अपना निशाना बनाना शुरु किया। यह वह समय था जब हिप्पी बड़ी संख्या में आध्यात्म की तलाश में भारत का रुख कर रहे थे। ऐसे में सिर्फ झोला उठाकर घूमने वाले पर्यटकों को निशाना बनाना चार्ल्स के लिए काफी आसान था।

1970 के दशक में ही चार्ल्स शोभराज ने दिल्ली के अशोका होटल में हथियारबंद डकैती डालने की योजना बनाई। उसकी नजर होटल की लॉबी में स्थित ज्वेली शॉप्स पर थीं जहां लाखों के गहने थे। लेकिन इससे पहले ही वह गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में रहते हुए उसने नाटक किया उसे अपेंडिसाइटिस है और पेट में तेज दर्द है। उसे दिल्ली के वेलिंगडन अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से वह गार्ड को नशीला पदार्थ पिलाकर फरार हो गया। बाद में उसे और उसकी पत्नी दोनों को रेलवे स्टेशन से पकड़ा गया और फिर से जेल में डाल दिया गया।


जेल से रिहा होने के बाद चार्ल्स शोभराज और उसकी पत्नी काबुल चले गए, जहां उन्हें भारी मात्रा में हशीश मिली। माना जाता है कि उसने वहां बहुत से पर्यटकों को लूटा। लेकिन एक होटल में बिल का भुगतान न करने पर उसे पकड़ लिया गया। लेकिन वह कानून के शिकंजे से फिर निकल भागा, और अपनी पत्नी को वहीं छोड़ दिया। चार्ल्स की इस हरकत से उसकी पत्नी का दिल टूट गया और वह अपनी बेटी के पास वापस फ्रांस चली गई।

चार्ल्स को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। उसे अपनी लापरवाह जिंदगी जारी रखी जिसमें उसे नशीले पदार्थ उपलब्ध थे और महिलाएं भी मिल जाती थीं। उसने जाली पासपोर्ट के जरिए कई देशों का दौरा किया। वह कई भाषाएं बोल सकता था और उसे नशीले पदार्थों की गहरी पहचान थी। उसकी इस काबिलियत से उसे बहुत फायदा हुआ। 1974 में उसे ग्रीस में गिरफ्तार किया गया, लेकिन जल्द ही वह वहां से भी भाग निकला।

चीर्ल्स शोभराज पर किताब लिखने वाले रिचर्ड नेविल ने लिखा है कि चार्ल्स कहता था कि पुलिस उसे उम्र भर जेल में रखना चाहती है, लेकिन स्वतंत्र रहने की उसकी इच्छा को नहीं हरा सकती।

काठमांडु में जेल से रिहा होने के बाद जब उससे पूछा गया कि अब भविष्य के लिए क्या योजना है, तो उसने कहा कि वह एक किताब लिखना चाहता है, जिसमें अपनी जिंदगी के बारे में लिखेगा। लेकिन क्या वह ऐसा करेगा!

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