श्रीलंका में भारी हिंसा के बीच पूर्व प्रधानमंत्री ने परिवार समेत कोलंबो छोड़ा, नौसैनिक अड्डे में लिया शरण
सोमवार को सरकार समर्थकों की हिंसा के बाद प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास घेर लिया और आवास के बाहर खड़े वाहनों को आग के हवाले कर दिया, जिसके बाद सेना ने फायरिंग की। हिंसा में अब तक एक सांसद समेत पांच लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
श्रीलंका में जारी व्यापक हिंसा में पांच लोगों की मौत के बीच पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार ने मंगलवार को भारी सुरक्षा के बीच राजधानी कोलंबो छोड़ दिया है। राजपक्षे परिवार ने त्रिंकोमाली में एक नौसैनिक अड्डे में शरण ली। रिपोर्ट में पता चला है कि राजपक्षे के दूसरे बेटे, योसिता, जो पूर्व प्रधानमंत्री के सचिव भी थे, उनका परिवार सोमवार को देश छोड़कर चला गया है।
मामले से जुड़े एक सैन्य अधिकारी ने बताया, "राजपक्षे, उनकी पत्नी शिरंथी और उनके सबसे छोटे बेटे रोहिता और उनके परिवार ने मंगलवार की सुबह प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास टेंपल ट्रीज से वायु सेना के हेलीकॉप्टर में सवार होकर प्रस्थान किया और अब भारी सुरक्षा वाले नौसैनिक अड्डे में शरण ली है।"
सोमवार को सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा शुरू की गई हिंसा के बीच राजपक्षे के इस्तीफा सौंपने के बाद सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने टेंपल ट्रीज को घेर लिया और जबरन परिसर में प्रवेश करने की कोशिश की। उनकी सुरक्षा के लिए सेना भेजी गई और हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें कीं।
जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने आवास के बाहर खड़े वाहनों को आग के हवाले कर दिया, जिसके बाद सेना ने हवा में फायरिंग की। हिंसा में एक सांसद समेत कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
श्रीलंका में डॉलर की तंगी और महंगाई के चलते गंभीर वित्तीय संकट के कारण 31 मार्च को शुरू हुआ विरोध पूरे देश में राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर जारी है। भारी विरोध के मद्देनजर कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया लेकिन महिंदा राजपक्षे ने पद छोड़ने से इनकार करते हुए अपने नेतृत्व में एक नई कैबिनेट का गठन किया।
लेकिन इसके बाद ईंधन और गैस की कमी और घंटों बिजली कटौती के कारण लोग सड़कों पर उतर आए और सरकार से तत्काल इस्तीफे की मांग की। इस बीच, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विपक्ष से सर्वदलीय सरकार बनाने का आग्रह किया था, लेकिन राजपक्षे के पद छोड़ने तक उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। राष्ट्रपति से इस्तीफे की मांग को लेकर सोमवार को ट्रेड यूनियनों ने अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुरू कर दी है।
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