दुनिया की 5 बड़ी खबरें: पाक सेना ने इन आतंकियों के जरिए की तालिबान की सहायता और जानें कब होगा अफगानिस्तान की नई सरकार का गठन
अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के लिए तालिबान की मदद करने में पाकिस्तान की नापाक भूमिका पाकिस्तान सेना द्वारा प्रशिक्षित और भेजे गए आतंकवादियों की पहचान उजागर होने से स्पष्ट होती जा रही है।
पाक सेना ने तालिबान की सहायता के लिए लश्कर से प्रशिक्षित आतंकियों का किया इस्तेमाल
अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के लिए तालिबान की मदद करने में पाकिस्तान की नापाक भूमिका पाकिस्तान सेना द्वारा प्रशिक्षित और भेजे गए आतंकवादियों की पहचान उजागर होने से स्पष्ट होती जा रही है। उनमें से बड़ी संख्या में पंजाब (पाकिस्तान) से हैं, जिन्हें तालिबान के रैंकों को मजबूत करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा द्वारा चलाए जा रहे शिविरों में थोड़े समय के प्रशिक्षण के बाद सेना द्वारा भेजा गया था। पाकिस्तान का पंजाब प्रांत दो सबसे कुख्यात पाकिस्तानी सेना समर्थित आतंकवादी समूहों - लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का घर है।
हालांकि पंजाबी आतंकियों की सही संख्या, जो कि ज्यादातर लश्कर-ए-तैयबा से हैं, ज्ञात नहीं है, मगर विभिन्न अनुमानों को देखें तो 10,000 से अधिक के आंकड़े की उम्मीद जताई जा रही है।कंधार में लश्कर के कैडरों को तालिबान के साथ मिलकर लड़ते देखा गया। लड़ाई के दौरान लश्कर के काफी कार्यकर्ता या आतंकी मारे भी गए हैं।
अफगानिस्तान की नई सरकार का गठन जल्द पूरा होगा
चाइना मीडिया ग्रुप (सीएमजी) ने 19 अगस्त को अफगानिस्तान तालिबान के प्रवक्ता सोहेल साहिनी के साथ विशेष साक्षात्कार किया। भविष्य में तालिबान के देश निर्माण लक्ष्य की चर्चा में साहिनी ने कहा कि हाल में अफगानिस्तान के विभिन्न पक्ष नयी सरकार के गठन पर चर्चा कर रहे हैं। मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधि मंडल की कंधार प्रांत की यात्रा का मकसद विभिन्न पक्षों के साथ सलाह-मशविरा कर एक खुला और समावेशी इस्लामी सरकार का गठन करना है। अनुमान है कि यह काम जल्द ही पूरा होगा। साहिनी ने कहा कि भविष्य में अफगान सरकार में अफगानिस्तान के जाने-माने व्यक्ति और राजनीतिज्ञ शामिल होंगे। तालिबान के मौजूदा ढांचे के मुताबिक, भविष्य में अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ कमेटी की स्थापना होगी। नयी सरकार के नेता संभवत: तालिबान के नेता होंगे। तालिबान और गैर-तालिबान के लोग संयुक्त रूप से नयी सरकार का गठन करेंगे।
शांघाई सहयोग संगठन के ढांचे के तहत अफगानिस्तान की स्थिरता कायम करें
हाल में अफगान स्थितियों के परिवर्तन पर विश्व का ध्यान आकर्षित किया गया है। क्योंकि अफगान स्थितियों के विकास से आसपास के सभी देशों के हितों को सीधा प्रभाव पड़ेगा। इस के प्रति विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका और पश्चिमी ताकतों के जबरन हस्तक्षेप की तुलना में, अफगानिस्तान को शंघाई सहयोग संगठन के ढांचे के तहत शांति और स्थिरता कायम कराना अधिक उपयुक्त है। 2001 में स्थापित शंघाई सहयोग संगठन का उद्देश्य क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देना और संयुक्त रूप से आतंकवाद का मुकाबला करना है। लेकिन यह इस वर्ष भी था कि अमेरिका ने आतंकवाद विरोधी के बहाने अफगानिस्तान में युद्ध शुरू किया। अब जबकि बीस साल बीत चुके हैं, काबुल हवाई अड्डे से भागने के अराजकता की ²श्य ने अमेरिका की अफगानिस्तान नीति की पूर्ण विफलता की घोषणा की है! उधर शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ ने क्षेत्रीय संघर्षों और आतंकवाद विरोधी अभियानों को हल करने में लगातार सकारात्मक परिणाम हासिल किए हैं। वर्तमान में, भारत और पाकिस्तान की तरह अफगानिस्तान भी शंघाई सहयोग संगठन का एक आधिकारिक सदस्य है। हाल के वर्षों में, शंघाई सहयोग संगठन ने क्षेत्रीय संघर्षों में मध्यस्थता करने, शांतिपूर्ण विकास को बढ़ावा देने और आतंकवादी ताकतों का मुकाबला करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
न्यूजीलैंड ने नेशनल लॉकडाउन का विस्तार किया
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने शुक्रवार को घोषणा की कि जारी टॉप लेवल 4 के नेशनल लॉकडाउन को 24 अगस्त तक बढ़ाया जाएगा। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, समुदाय में डेल्टा संस्करण के 11 नए कोविड -19 मामलों के बाद यह घोषणा की गई, जिससे मौजूदा ऑकलैंड समुदाय के प्रकोप से जुड़े संक्रमणों की कुल संख्या 31 हो गई।
अर्डर्न ने यहां संवाददाताओं से कहा, "हम अभी इस डेल्टा प्रकोप के पूर्ण पैमाने को नहीं जानते हैं।" स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, सभी नए मामलों को पूर्ण पीपीई के उपयोग सहित सख्त संक्रमण रोकथाम और नियंत्रण प्रक्रियाओं के तहत एक प्रबंधित आइसोलेशन सुविधा में सुरक्षित रूप से स्थानांतरित किया जा रहा है। 11 नए मामलों में से आठ ऑकलैंड में और तीन वेलिंगटन में हैं।
अलकायदा ने अफगानिस्तान पर तालिबान की जीत का जश्न मनाया
अलकायदा की यमनी शाखा ने तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा करने पर बधाई दी है। साथ ही ऐसी रिपोर्ट है कि आतंकवादी संगठन ने इस जीत का जश्न भी मनाया है। अल कायदा इन द अरेबियन पेनिनसुला (एक्यूएपी) ने एक बयान में कहा, "इस जीत और सशक्तिकरण से हमें पता चलता है कि जिहाद और लड़ाई शरीयत-आधारित, कानूनी और वास्तविक तरीके से अधिकारों को बहाल करने (और) आक्रमणकारियों और कब्जाधारियों को निष्कासित करने का प्रतिनिधित्व करते हैं।"
वैश्विक स्तर पर आतंकवाद पर नजर रखने वाले एसआईटी इंटेलिजेंस ग्रुप द्वारा दिए गए बयान में कहा गया है, "जहां तक लोकतंत्र के खेल और साधारण शांतिवाद के साथ काम करने की बात है, यह एक भ्रामक मृगतृष्णा, एक क्षणभंगुर छाया और एक दुष्चक्र है जो शून्य से शुरू होता है और इसके साथ समाप्त होता है।"
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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