6 महीने में हर मोर्चे पर फेल योगी सरकार, कट्टरवादी हिंदू की छवि बरकरार
योगी सरकार जनहित के फैसले नहीं लेती, सबका साथ-सबका विकास के वादे पर खरी नहीं उतरती, अपराध नियंत्रण और विकास के मुद्दों पर फिसड्डी साबित हुई है। यह सब एक ऑनलाइन सर्वे में सामने आया है
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने छह महीने पूरे कर लिए हैं। मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के कामकाज को खुद तो दस में से पूरे दस नंबर दिए हैं। लेकिन एक न्यूज वेबसाइट के सर्वे में उनके कामकाज पर लोगों की राय अलग है। वेबसाइट का दावा है कि उसने एक लाख से ज्यादा लोगों की ऑनलाइन राय ली है।
इस सर्वे से लोगों की जो राय उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार को लेकर सामने आई है उसके मुताबिक योगी सरकार जनहित के फैसले नहीं ले पाई, सबका साथ-सबका विकास के वादे पर खरी नहीं उतरती, अपराध नियंत्रण, नए रोजगार और नौकरियां और विकास के मुद्दों पर फिसड्डी साबित हुई है और उच्च स्तर पर या तो भ्रष्टाचार बढ़ा है या फिर पहले जैसा है जिसकी वजह से आम लोगों को आज भी भ्रष्टाचार से जूझना पड़ रहा है।
सर्वे में लोगों से जब योगी सरकार को उसके काम के आधार पर नबंर देने की बात पूछी गयी तो 62 फीसदी से ज्यादा लोगों ने 10 में से 5 या उससे कम नंबर दिए। इसमें भी करीब 29 फीसदी ने तो योगी सरकार को 10 में से सिर्फ एक नंबर ही दिया। यानी लोगों की उम्मीदों पर किसी भी नजरिए से ये सरकार खरी नहीं उतरी है। गवर्नेंस के मुद्दे पर 44 फीसदी से ज्यादा लोगों की राय यह है कि सरकार लोगों के हित में फैसले नहीं ले रही है। धर्म, मुसलमान जैसे मुद्दों पर 57 फीसदी लोगों की राय है कि योगी आदित्यनाथ की छवि एक कट्टरवादी हिंदू और सिर्फ बातें करने वाले नेता की है। वहीं 46 फीसदी से ज्यादा लोग मानते हैं कि सरकार सबका साथ-सबका विकास नारे पर अमल नहीं करती।
अपराध नियंत्रण पर बड़े बड़े दावे करने वाली योगी सरकार की असलियत भी लोगों ने इस सर्वे में सामने रख दी है। सर्वे में राय देने वाले करीब 50 फीसदी लोगों का मानना है कि क्राइम कंट्रोल, रोजगार और विकास के मुद्दे पर सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। इसके अलावा स्वच्छ और पारदर्शी शासन का दावा भी गलत ही साबित होता नजर आया जब 66 फीसदी से ज्यादा लोगों ने कहा कि उन्हें आज भी भ्रष्टाचार से दो-चार होना पड़ता है। इसके अलावा करीब 54 फीसदी लोगों का मानना है कि रोजगार के मुद्दे पर योगी सरकार रवैया ढुलमुल ही रहा है।
योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार के कामकाज पर लोगों की राय में उनके पांच ऐसे फैसले हैं जो सबसे निराशाजनक साबित हुए हैं। इनमें राज्य की खनन नीति, कावंड़ियों को डीजे बजाने की इजाजत, अखिलेश सरकार की योजनाओं के नाम बदलना और चालू परियोजनाओं को बंद कर जांच बैठाना, गौ-सेवा आयोग बनाना और एंटी रोमियो स्क्वॉ बनाना हैं।
मध्यवर्ग भी योगी सरकार से नाराज ही नजर आ रहा है। प्राइवेट स्कूल में मनमानी फीस के मुद्दे पर योगी सरकार ने कोई ठोस ऐक्शन नहीं लिया है, ऐसा मानने वाले लोगों की तादाद 55 फीसदी से ज्यादा है। रोजगार के मुद्दे पर भी योगी सरकार के रवैये को ढुल
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