ऐसा रहा 2018ः बिहार की राजनीति में साल भर होता रहा उलटफेर, कई दोस्त बने दुश्मन और दुश्मन हो गए दोस्त

गुजर रहे साल 2018 को बिहार में न सिर्फ सियासी समीकरणों के उलटफेर के लिए याद किया जाएगा, बल्कि इस एक साल को राजनीतिक दोस्ती के परिवारिक संबंध बनने और उसके टूटने की कवायद के रूप में भी याद किया जाएगा।

फोटोः सोशल मीडिया
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मनोज पाठक, IANS

बिहार में साल 2018 राजनीतिक उठा-पटक के रूप में याद किया जाएगा। साल के शुरुआत से नये सियासी समीकरण बनने-बिगड़ने का खेल साल के अंत तक जारी रहा, जिसकी वजह से पुराने सियासी दोस्त दुश्मन बन गए और कई सियासी दुश्मन गलबहियां करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में खत्म होने के कगार पर खड़े इस साल के सियासी समीकरणों ने देश में भी सुर्खियां बटोरीं।

साल 2018 की शुरुआत में ही बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को झटका देते हुए हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गठबंधन का साथ छोड़ने का ऐलान कर दिया। बाद में वह आरजेडी और कांग्रेस के गठबंधन में शामिल हो गए हैं। मांझी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराजगी के बाद खुद अपनी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा बना ली थी और एनडीए के साथ हो लिए थे।

वैसे, गौर से देखा जाए तो बिहार में यह एक साल एनडीए के लिए शुभ साबित नहीं हुआ। बिहार में ऐसे तो एनडीए की सरकार चलती रही, मगर एक-एक कर उसके घटक साथ छोड़ते रहे। साल की शुरुआत में अगर मांझी आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ हो लिए तो साल का अंत आथे-आते एनडीए के साथ लंबा सफर तय करने वाले केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी ने भी एनडीए से बाहर होने की घोषणा कर दी। कुशवाहा ने न केवल केंद्रीय मंत्री के पद इस्तीफा दे दिया, बल्कि एनडीए के विरोधी खेमे महागठबंधन में शामिल होने का ऐलान कर दिया।

कुशवाहा पहले से ही बिहार की लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर तरजीह नहीं दिए जाने से नाराज चल रहे थे, लेकिन उन्होंने एनडीए में सम्मान नहीं दिए जाने का आरोप लागते हुए उसका साथ छोड़ दिया। वैसे, नीतीश कुमार की जेडीयू के आरजेडी से नाता तोड़ एनडीए में शामिल होने के बाद से ही कुशवाहा एनडीए में असहज महसूस कर रहे थे। ऐसे में बीजेपी द्वारा जेडीयू के साथ सीट बंटवारे की चर्चा करना आरएलएसपी को रास नहीं आया और कुशवाहा ने एनडीए से अलग राह पकड़ ली।

साल के आखिर में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाने वाले और पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए का साथ देने वाले मुकेश सहनी ने भी महागठबंधन में जाने की घोषणा कर बीजेपी को झटका दे दिया। 'सन ऑफ मल्लाह' के नाम से चर्चित मुकेश सहनी को शुरुआत से ही बीजेपी के साथ माना जा रहा था, मगर साल के अंत में इस सियासी घटना को बिहार की राजनीति में बड़ा उल्टफेर माना जा रहा है।

वैसे, इस साल बिहार की राजनीति की सुर्खियों में पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा राय की पोती ऐश्वर्या राय और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र और राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव की शादी भी रही। इस शादी के बाद बिहार के दो राजनीतिक परिवारों के बीच पारिवारिक संबंध बन गए। लेकिन इसी बीच शादी के कुछ ही दिनों के बाद तेजप्रताप ने पटना की एक अदालत में तलाक की अर्जी देकर पत्नी ऐश्वर्या से नाता तोड़ने का ऐलान कर सबको हैरत में डाल दिया। बहरहाल, अभी यह मामला अदालत में चल रहा है, मगर यह मामला पूरे देश में सुर्खियां बटोरता रहा।

बहरहाल, इस एक साल में बिहार की राजनीति में बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच, अब सभी की नजर नए साल पर है, जहां कौन-कौन से नये समीकरण बनेंगे और पुराने बिगड़ेंगे। अब आने वाले साल में राजनीति का महाकुंभ होने जा रहा है, जिसकी बिहार में सारी तैयारी साल 2018 में ही हो गई।

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