तकनीक बनी अभिशाप: बायोमेट्रिक के बिना नहीं मिला राशन, और भूखमरी से हो गई सकीना की मौत
उत्तर प्रदेश के बरेली में सिस्टम की मार की वजह सकीना की भूखमरी से मौत हो गई। इशहाक के मुताबिक कोटेदार ने बायोमेट्रिक मशीन पर पत्नी की फिंगर प्रिंट लेने की मांग की और राशन नहीं दिया।
बीजेपी के डिजिटल तंत्र को देश में क्रांति की तरह देखा जा रहा है, लेकिन इसी डिजिटल तंत्र में खामियों की वजह लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ रही है। यूपी के बरेली में सिस्टम की मार की वजह से सकीना की भूखमरी से मौत हो गई। मृतक सकीना के पति इशहाक के मुताबिक उसकी पत्नी पांच दिनों से बीमार थी। उसने कहा कि राशन दुकादार के सामने राशन के लिए कई बार गिड़गिड़ाया, लेकिन कोटेदार ने कहा कि जब तक बायोमेट्रिक मशीन पर पत्नी (सकीना) के फिंगर प्रिंट नहीं होंगे, तब तक उसे राशन नहीं दिया जाएगा।
इशहाक ने बताया कि राशन के लिए पहली तारीख से कोटेदार के पास चक्कर लगा रहा था, लेकिन उसने यह कहकर वापस भेज दिया जाता था कि बायोमीट्रिक मशीन में उसकी पत्नी के फिंगर प्रिंट चाहिए। इशहाक ने कोटेदार को बताया कि, उसकी पत्नी की हालत ऐसी नहीं है कि राशन की दुकान पर ले जाया जा सके। पत्नी की बीमारी का हवाले देने के बाद भी कोटेदार ने कहा कि बायोमीटिक मशीन में कार्ड धारक का फिंगर प्रिंट अनिवार्य है। जब तक उसमें अंगुली नहीं लगेगी, तब तक राशन नहीं मिलेगा।
इशहाक ने कहा कि पिछले महीने भी कोटेदार के द्वारा राशन को लेकर इसी तरह की आनाकानी की गई थी। पिछले महीने जब घर का राशन खत्म हुआ था तब किसी तरह बीमार पत्नी सकीना को रिक्शे पर बैठाकर राशन डीलर के पास ले गए थे, तब जाकर उन्हें राशन मिला था। पिछले कुछ दिनों से उनकी पत्नी की हालत ज्यादा खराब हो गई थी।
सकीना का परिवार काफी गरीब है और अंत्योदय राशन कार्ड भी बना हुआ है। सकीना के परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रहने के लिए ना ही घर मिला और ना ही किसी योजना के तहत शौचालय बनवाया गया, रहने के लिए उनके पास सिर्फ छोटी सी झोपड़ी है। मौके पर पहुंचे एसडीएम राम अक्षय वर और डीएसओ सीमा त्रिपाठी ने भी माना सकीना का परिवार काफी गरीब है और पूरे मामले की जांच कर रहे है।
सकीना की मौत के बाद अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह ने एसडीएम मीरगंज से मामले की रिपोर्ट मांगी और कहा कि मामले की रिपोर्ट के आधार पर ही दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले भी यूपी की राजधानी लखनऊ में राशन नहीं देने का मामला सामने आया था। लखनऊ से महज 25 किलोमीटर दूर बंथरा गांव चार महीने की गर्भवती पूजा के पास आधार कार्ड, वोटर कार्ड और राशन कार्ड भी था लेकिन उसके बावजूद राशन नहीं दिया गया। नतीजतन पूजा और उसके बच्चे 4 दिनों तक भूखे रहे थे। पूजा ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और समाजसेवी संगठनों ने राजधानी के सभी आला अफसरों से गुहार लगाई, लेकिन कोई उसकी मदद को सामने नहीं आया। आखिरकार इन्हीं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चंदा जमा करके उसे राशन मुहैया कराया।
इस साल देश में भूखमरी से मरने का यह तीसरा मामला है। इससे पहले दो मामले झारखंड से सामने आए थे। जहां राशन कार्ड से आधार कार्ड लिंक नहीं था, जिसकी वजह से राशन नहीं मिला और एक युवक और एक 11 साल की बच्ची की भूख से मौत हो गई। झारखंड के सिमड़ेगा में 11 साल की एक बच्ची की 8 दिन से खाना न मिलने के कारण 28 सितंबर को भूख से मौत हो गई थी। छह महीने पहले बच्ची के परिवार का सरकारी राशन कार्ड रद्द कर दिया गया था क्योंकि उसे आधार से लिंक नहीं कराया गया था। हालांकि, सरकार ने इसे मानने से इंकार कर दिया था कि उनकी मौत भूख से हुई है और सरकार ने सभी राशन दुकानों से कहा था कि आधार कार्ड नहीं होने पर भी राशन के लिए मना ना किया जाए।
12 अक्टूबर को जारी हुई वैश्विक भुखमरी सूचकांक (जीएचआई) की रिपोर्ट के अनुसार भुखमरी सूचकांक में भारत और नीचे आ गया है। 119 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत सबसे बुरी हालत वाले 19 देशों में शामिल है। भारत की स्थिती म्यामांर और बांग्लादेश से भी ज्यादा खराब हैं। 2016 में भारत इस सूचकांक (इंडेक्स) में 97वें पायदान पर था। अब 100चें पायदान पर है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट-2017 के मुताबिक इस मामले में भारत उत्तर कोरिया, बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों से भी पीछे है।
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