मोदी ने नहीं सुनी बीएचयू की छात्राओं की मांग

वाराणसी दौरे पर गए पीएम मोदी ने 1000 करोड़ रुपये की 17 परियोजनाओं की घोषणा तो की, लेकिन बीएचयू में लाइट लगाने और सीसीटीवी कैमरे के लिए पैसे नहीं निकले उनके पिटारे से।

बीएचयू में आंदोलन करती छात्राएं/फोटोः Facebook
बीएचयू में आंदोलन करती छात्राएं/फोटोः Facebook
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भाषा सिंह

देश के प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी बनारस से सांसद हैं और अपने संसदीय क्षेत्र को चमकाने के लिए करोड़ों रुपये (जनता के पैसे) खर्च कर रहे हैं। अभी  22 सितंबर, 2017 को अपनी यात्रा के दौरान भी उन्होंने 1000 करोड़ रुपये की 17 परियोजनाओं का एक साथ उद्घाटन किया। ठीक उसी समय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की सैंकड़ों छात्राओं ने मुख्य गेट के बाहर इसलिए जाम लगा रखा था ताकि घोषणाओं की झड़ी लगाने वाले उनके सांसद और देश के प्रधानमंत्री अपने काफिले के साथ यहां आएं और उनकी मांगे सुनें। लेकिन काफिले ने अपना रास्ता ही बदल दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में ऐतिहासिक लड़ाई में उतरी हजारों छात्राओं की सीधी सी मांग नहीं सुनाई दी, जो जोर-जोर से चिल्ला रही हैं, हमें सुरक्षा चाहिए, हमें न्याय चाहिए, हमें आजादी चाहिए। ये छात्राएं मांग कर रही हैं कि उनके कैम्पस को छेड़खानी से मुक्त किया जाए और सुरक्षा के नाम पर उन्हें दड़बों में न कैद किया जाए। वे पूरे गुस्से में कह रही हैं कि प्रशासन सुरक्षा नहीं दे पा रही है और सुरक्षा के नाम पर हमसे 6 बजे कमरों में जाने को कहा जाता है। ‘क्यों, क्यों हम जाएं और लड़के घूमते रहें। ये हमें कत्तई बर्दाश्त नहीं है। विश्वविद्यालय प्रशासन स्ट्रीट लाइट क्यों नहीं लगवाता, सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगवाता?’



मोदी ने नहीं सुनी बीएचयू की छात्राओं की मांग

इन सारी मांगों को लेकर बीएचयू की छात्राएं सड़कों पर उतरी हुई हैं, भूख-हड़ताल पर बैठ रही हैं, लेकिन ट्विटर और सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुप्पी साध रखी है।

सवाल है कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की छात्राओं की ऐसी क्या मांग है जिसे न वहां के कुलपति, न ही प्रॉक्टर और न ही वहां के सांसद नरेंद्र मोदी सुन पा रहे हैं और न समझ पा रहे हैं। 22 सितंबर की शाम से इन छात्राओं ने चक्का जाम कर रखा है, बीएचयू के गेट पर पोस्टर लगा दिया है - ‘जब लड़की बचेगी, तभी न लड़की पढ़ेगी’, इसे सीधे-सीधे प्रधानमंत्री के ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ नारे से जोड़ कर देखा जा रहा है।

बीएचयू की लड़कियां गुहार लगा रही हैं कि कैम्पस में उनकी सुरक्षा की गारंटी की जाए। यह मांग क्या 1000 करोड़ रुपये की 17 परियोजनाओं से भी बड़ी है, जिसे न योगी सरकार और न मोदी सरकार और न ही बीएचयू का प्रशासन पूरा कर पा रहा है।



मोदी ने नहीं सुनी बीएचयू की छात्राओं की मांग

बीएचयू प्रशासन का छात्राओं के प्रति भीषण भेदभावपूर्ण रवैया लंबे समय से निशाने पर है। कल जब शाम को 6 बजे एक छात्रा से छेड़खानी की घटना हुई और वह शिकायत करने गई, तो उसकी शिकायत को लेकर जो सामंती और पितृसत्तात्मक रवैया था, उसने छात्राओं के गुस्से को हवा दे दी। छात्राओं की सबसे बुलंद आवाज निधि का कहना है, ‘बीएचयू प्रशासन ने कहा कि वह शाम 6 बजे क्यों बाहर थी। इसके बाद प्रशासन ने कहा कि अब लड़कियों को शाम 6 बजे अंदर जाना होगा।’ इसने आग में घी डालने का काम किया। छात्राएं बड़ी संख्या में जमा हो गईं और प्रशासन से सुरक्षा और आजादी की मांग करने लगीं। प्रॉक्टर बहुत देर बाद मजबूर होकरआए और बिना कोई आश्वासन दिये चले गए। वाइस चासंलर नदारद हैं। प्रशासन सुलह-समझौते की बजाय लड़कियों के इस आंदोलन को तोड़ने की सारी जुगत कर रहा है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्रशासन पिछले कुछ समय से छात्राओं के प्रति भेदभावपूर्ण फैसलों की वजह से अपनी खासी बदनामी करा चुका है। हॉस्टल में सात बजे तक छात्राओं की वापसी और मांसाहार भोजन का न दिया जाना आदि ऐसे ही कुछ पितृसत्तात्मक सोच वाले फैसले हैं, जिसने उन्हें आक्रोशित करना शुरू किया था।

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Published: 23 Sep 2017, 10:41 PM