आखिर किसे बचा रहा है देविंदर और कौन हैं उसके मददगार, मोदी सरकार की चुप्पी पर कांग्रेस ने की सवालों की बौछार
हिजबुल मुजाहिदीन के तीन आतंकियों को दिल्ली लाने के दौरान पकड़े गए डीएसपी देविंदर सिंह को लेकर हो रहे खुलासों से गंभीर सवाल खड़े होते हैं। इन खुलासों में पकड़े गए डीएसपी के तार बीते साल पुलवामा में हुए आतंकी हमले से लेकर 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले से जुड़ रहे हैं।
जम्मू और कश्मीर पुलिस के विवादित डीएसपी देविंदर सिंह के कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के तीन आतंकियों के साथ पकड़े जाने के मामले पर केंद्र की मोदी सरकार की गहरी चुप्पी पर सवाल उठने लगे हैं। आतंकी संगठन हिजबुल के तीन आतंकियों को दिल्ली लेकर आने के दौरान डीएसपी के पकड़े जाने के बाद सामने आ रहे खुलासे कई गंभीर सवाल खड़े करते हैं। इन खुलासों में पकड़े गए डीएसपी के तार बीते साल पुलवामा में हुए आतंकी हमले से लेकर 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले से जुड़ते हैं।
इस मामले को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गंभीर सवाल उठाते हुए कहा, “डीएसपी देविंदर सिंह ने अपने घर पर 3 खूंखार आतंकवादियों को शरण दी और उन्हें दिल्ली ले जाते हुए पकड़ा गया। इसकी सुनवाई 6 महीने के भीतर एक फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा की जानी चाहिए और अगर दोषी पाया जाता है तो भारत के खिलाफ देशद्रोह के लिए सबसे कठोर संभव सजा दी जानी चाहिए।” साथ ही उन्होंने पूछा कि देविंदर सिंह पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आखिर चुप क्यों हैं?
इस मामले पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट में कहा है, “जम्मू-कश्मीर में डीएसपी देविंदर सिंह की गिरफ्तारी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर सवाल खड़े करती है। यह बहुत अजीब है कि वह ना सिर्फ बचने में कामयाब रहा बल्कि मौजूदा हालात में जम्मू-कश्मीर दौरे पर गए विदेशी राजदूतों को एस्कॉर्ट करने जैसा अत्यंत संवेदनशील काम भी उसे सौंपा गया था। वह किसके आदेश के तहत काम कर रहा था? मामले की पूरी जांच होनी चाहिए। भारत पर हमले की योजना बनाने में आतंकवादियों की मदद करना राजद्रोह है।
इससे पहले इन्हीं सवालों को लेकर कांग्रेस ने गुरुवार को मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए खामोशी पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने ट्वीट कर सवाल पूछा है, “आतंकी हमलों में देविंदर सिंह की संदिग्ध भूमिका का खुलासा हुआ है। इसके बावजूद उसे किसकी शह पर सम्मान मिलता रहा और बड़ी जिम्मेदारियां मिलती रहीं। या तो बीजेपी सरकार का सूचना तंत्र विफल था या फिर देविंदर सिंह के पीछे मजबूत सहारा था! देश इन सवालों के जवाब जानना चाहेगा।”
एक अन्य ट्वीट में कांग्रेस ने कहा कि “देविंदर सिंह को हाल ही में आतंकवादियों की मदद करते पकड़ा गया है। यह चौंकाने वाला है कि 2001 के संसद हमले में भी उसका नाम आया था। इतने गंभीर मामले पर बीजेपी पूरी तरह से चुप क्यों है? या फिर उनका गुस्सा केवल चयनात्मक होता है?” एक अन्य ट्वीट में कांग्रेस ने कहा है कि “अगर बीजेपी सरकार देश के वीर जवानों और शहीदों का सम्मान करती है, तो डीएसपी देविंदर सिंह मामले की तहकीकात करे। देश को वक्तव्य दे और संसद हमले से लेकर पुलवामा तक का सच सामने रखे। क्योंकि, सेना के सम्मान से कोई समझौता नहीं होना चाहिए।”
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी डीएसपी देविंदर सिंह के मामले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में पूछा है, “आतंकवाद, घूस और जबरन वसूली का आरोपी, संसद हमला, पुलवामा मुठभेड़ में भी शामिल, फिर कौन था वो? - जिसने उसको आगे बढ़ाया, जिसने उसे पुरस्कार से सम्मानित करवाया, जिसने उसकी मदद की, जिसकी उसने मदद की, पुलवामा हमले में भी उसकी भूमिका है? कौन करेगा जांच?”
आतंकियों के साथी डीएसपी देविंदर सिंह के मामले पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सवाल उठाए हैं। कमलनाथ ने ट्वीट में कहा, “जम्मू कश्मीर में पदस्थ डीएसपी देविंदर सिंह को आतंकवादियो के साथ पकड़ा गया। देविंदर सिंह की संसद हमले और पुलवामा कांड में भी संदिग्ध भूमिका की बातें निरंतर सामने आ रही हैं। यह एक बड़ी खुफिया विफलता का मामला है, इस पर कई सवाल उठ रहे हैं। इसकी पूरी जांच होना चाहिए।”
वहीं वरिष्ठ कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी डीएसपी देविंदर सिंह को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि क्या देविंदर सिंह अकेले काम कर रहा था या उसे किसी की मदद मिल रही थी? उसे जम्मू-कश्मीर में इतने लंबे समय तक प्रतिष्ठित और संवेदनशील पोस्टिंग के जरिये पदोन्नत, सम्मानित और संरक्षित क्यों किया गया? क्या वह संसद (2001) और पुलवामा (2019) आतंकी हमलों में शामिल था? आखिर इस मामले पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और एनएसए चुप क्यों हैं?”
बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी देवेंद्र सिंह को 11 जनवरी को कुलगाम जिले के काजीगुंड इलाके में मीर बाजार के पास से हिजबुल के दो आतंकियों नवीद बाबू और आसिफ रादेर के साथ एक गाड़ी में तब पकड़ा गया था, जब तीनों दिल्ली के रास्ते में थे। बताया जा रहा है कि जिस सफेद रंग की मारूती कार से इन लोगों को पकड़ा गया उस कार में से 2 एके-47 और कुछ हैंडग्रेनेड भी बरामद किए गए थे। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने आतंकवादियों से साठगांठ के आरोप में देवेंद्र सिंह को बर्खास्त करते हुए उससे शेर-ए-कश्मीर पुलिस मेडल को वापस लेने के आदेश दिए हैं।
लेकिन इतने सारे सनसनीखेज खुलासे सामने आने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह डीएसपी देविंदर और उसकी संदिग्ध भूमिकाओं पर अब तक संदिग्ध रूप से खामोश हैं। राष्ट्रवाद और देश पहले की बात करने वाली बीजेपी सरकार की ये गहरी खामोशी कई सवालों को जन्म दे रही है, जिनके जवाब नहीं आने से कई नए सवाल जन्म ले रहे हैं।
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