अयोध्या विवाद: अंग्रजों के जमाने से हो रही है समझौते की कोशिश,जानिए कब-कब क्या हुआ

राम मंदिर निर्माण पर विवाद आजादी के पहले से चला आ रहा है। बताया जाता है कि 1853 में पहली बार राम मंदिर निर्माण को लेकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा हुई। जिसके बाद अंग्रेजों ने इसका हल निकालना चाहा।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट के 5 सदस्यीय बेंच ने अयोध्या विवाद का हल आपसी पक्षों की मध्यस्थता के जरिए निकालने को कहा है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस विवाद का हल मध्यस्थों के जरिए संभव होगा। क्योंकि पहले भी समझौते की कोशिश हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। हम आपको बताने जा रहे हैं कि कब-कब आयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए समझौते की कोशिश की गई और उसका नतीजा क्या रहा?

अंग्रेजों के जमाने से हो रही है समझौते की कोशिश

राम मंदिर निर्माण पर विवाद आजादी के पहले से चला आ रहा है। बताया जाता है कि 1853 में पहली बार राम मंदिर निर्माण को लेकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा हुई। जिसके बाद अंग्रेजों ने इसका हल निकालना चाहा। इसकी कोशिश कई सालों तक चली आखिरकार 1859 में हिंदू और मुसलमान में एक सहमति बनी। हालांकि इसका कोई दस्तावेज तो मिलता लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक विवादित परिसर के एक हिस्से में राम मंदिर और दूसरे हिस्से में मस्जित की बात तय हो गई थी। लेकिन तभी अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हो गई और अंग्रेज अपनी स्थिति कमजोर होता देख हिंदू-मुस्लिम एकता नहीं चाहते थे। जिसका नतीजा यह हुआ कि अयोध्या विवाद को हल नहीं निकल सका।

आजादी के बाद भी कई बार हुई समझौते की कोशिश

अयोध्या विवाद को सुलझाने की कोशिश 1987 में भी की गई थी। उस वक्त पहले से तय फॉर्मूले के अनुसार हिन्दुओं की ओर से समिति में पांच नाम रखे जाने थे और मुस्लिम समुदाय की ओर से भी पांच स्थानीय लोगों का नाम तय होना था। लेकिन मुस्लिम समुदाय सिर्फ स्थानीय लोगों को समिति में रखना चाहत थी। इसके लिए विश्व हिन्दू परिषद के लोग तैयार नहीं हुए और मामला अटक गया।

1989 में भी अयोध्या विवाद का हल निकालने की कोशिश की गई थी। वीपी सिंह सरकार ने कांग्रेस सरकार की पहल को आगे बढ़ाते हुए इस विवाद को सुलझाने की कोशिश की। लेकिन सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी इसके लिए तैयार नहीं थी। लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर निर्माण के लिए रथ यात्रा पर निकल पड़े और फिर उनकी गिरफ्तारी हुई और वीपी सिंह की सरकार को जाना पड़ा। नतीज ये हुआ की कोशिश बेकार गई और समझौता नहीं हो सका।

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की आत्मकथा “अनपी शर्तों पर” से पता चलता है कि चन्द्रशेखर सरकार में भी राम मंदिर निर्माण पर समझौते की कोशिश हो रही थी। शरद पवार के मुताबिक उन्होंने और बीजेपी के वरिष्ठ नेता भैरो सिंह शेखावत ने समझौते की कोशिश की थी और ये कोशिश पूरी तरह गैर सरकारी थी लेकिन चन्द्रशेखर सरकार को इतना समय ही नहीं मिल पाया की मामले की हल तक पहुंचा जा सके। शरद पवार के मुताबिक समझौते का प्रयास शुरू करने के लिए उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ने ही कहा था।

इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी अयोध्या विवाद को सुलझाने की कोशिश की गई। वायपेयी सरकार ने अयोध्या विवाद का गठन भी किया था। हल निकालने के लिए कई बैठकें की गईं लेकिन मामला सुलझ नहीं सका।

हाल में आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने भी समझौते की कोशिश की लेकिन कोई हल नहीं निकला। हां उनकी इस कोशिश को मीडिया में जगह मिली लेकिन वो इसे किसी मुकाम तक नहीं पहुंचा सके। अब एकबार फिर से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में समझौते की कोशिश की जा रही है। अयोध्या भूमि विवाद को हल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का रास्ता अपनाने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले का हल मध्यस्थता के जरिए निकाला जाए। इसके लिए रिटायर्ड जस्टिस इब्राहिम कलीफुल्ला की अगुवाई में तीन सदस्यीय मध्यस्थता कमेटी गठित की गई है। इसमें श्रीश्री रविशंकर और श्रीराम पंचू शामिल हैं।

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