जम्मू-कश्मीर के लोग कब्रिस्तानों जैसा सन्नाटा नहीं, बल्कि गरिमा के साथ शांति चाहते हैं: महबूबा मुफ्ती
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने कहा, “हालात ऐसे हैं कि हम अपनी आवाज नहीं उठा सकते, हर जगह डर का माहौल है। ऐसे में जब नए लोग हमसे जुड़ते हैं और हमारी पार्टी को मजबूत करते हैं, तो इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों की आवाज मजबूत होती है।”
पीपुल्स डेमोक्रेटिक्स पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को दावा किया कि जम्मू-कश्मीर पिछले पांच सालों से एक “मुश्किल दौर” से गुजर रहा है और कहा कि उनकी पार्टी “कब्रिस्तानों के सन्नाटे” जैसा अमन नहीं, बल्कि गरिमा के साथ शांति चाहती है।
मुफ्ती ने यहां पीडीपी मुख्यालय में एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की। कार्यक्रम के दौरान राजौरी के पूर्व विधायक चौधरी कमर हुसैन फिर से पार्टी में शामिल हुए।
साल 2020 में, हुसैन और पांच अन्य पीडीपी नेताओं को श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और विदेशी दूतों के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने पर पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
इसके बाद हुसैन जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व वाली अपनी पार्टी में शामिल हो गए थे। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद से न सिर्फ पीडीपी बल्कि पूरा जम्मू-कश्मीर पिछले पांच सालों से “ मुश्किल दौर” से गुजर रहा है।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने कहा, “हालात ऐसे हैं कि हम अपनी आवाज नहीं उठा सकते, हर जगह डर का माहौल है। ऐसे में जब नए लोग हमसे जुड़ते हैं और हमारी पार्टी को मजबूत करते हैं, तो इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों की आवाज मजबूत होती है।”
पीडीपी प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी अमन चाहती है, “कब्रिस्तानों जैसा सन्नाटा नहीं, बल्कि गरिमा के साथ शांति” चाहती है।
एक अलग कार्यक्रम में पीडीपी ने लासजान श्रीनगर से जफर अहमद मीर और पलहालन पट्टन से जाविद इकबाल गनी का भी पार्टी में स्वागत किया।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia