पटनाः क्या बीजेपी-जेडीयू द्वारा प्रायोजित था ‘दीन बचाओ-देश बचाओ कान्फ्रेंस’
पटना में आयोजित दीन बचाओ-देश बचाओ कान्फ्रेंस के फौरन बाद इसके संयोजक खालिद अनवर को जेडीयू द्वारा एमएलसी का टिकट दिए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इससे इमारत ए शरिया पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 15 अप्रैल को आयोजित दिन बचाओ-देश बचाओ कान्फ्रेंस को लेकर वही बात सामने आई, जिसका पिछले काफी समय से कई मुस्लिम सामाजिक संगठनों के साथ-साथ पढ़े-लिखे वर्ग द्वारा भी अंदेशा जताया जा रहा था। दावा किया जा रहा था कि ये कान्फ्रेंस दिखाने के लिए तो मुसलमानों को एकजुट करने की कोशिश है, लेकिन पर्दे की पीछे इसमें एक खास पार्टी का राजनीतिक फायदा छुपा हुआ है। यह दावा काफी हद तक सच भी नजर आने लगा है। कांन्फ्रेंस के तुरंत बाद ही इसके संयोजक और उर्दू अखबार ‘हमारा समाज’ के संपादक खालिद अनवर को नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू द्वारा एमएलसी का टिकट दे दिया गया और अब उनके एमएलसी बनने में सिर्फ औपचारिक ऐलान होना बाकी रह गया है।
कांन्फ्रेंस के मुख्य वक्ता और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना वली रहमानी के करीबी माने जाने वाले खालिद अनवर को अचानक एमएलसी का टिकट मिलने की बात ने कान्फ्रेंस पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। कान्फ्रेंस को मुख्यमंत्री द्वारा हाईजैक कर लेने के आरोप लग रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों के साथ ही कई समाजिक संस्थान भी इसके विरोध में आवाज बुलंद कर रहे हैं।
खालिद अनवर को टिकट दिए जाने पर बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि चर्चा थी कि मौलाना वली रहमानी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मिलने के लिए बुलाया है, लेकिन अब लगता है कि खालिद अनवर को बुलाया होगा। तिवारी ने कहा कि इस मामले में नीतीश कुमार एक्सपोज हुए हैं और मौलाना वली रहमानी के ऊपर पर भी इसका छींटा पड़ेगा। उन्होंने कहा, “इससे यही लगता है कि नीतीश कुमार इसके जरिये मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता है कि इससे कोई नतीजा निकलेगा। मजहब के नाम पर लोगों का जुटना और वोट के लिए किसी की बात मानना, दोनों अलग-अलग बातें हैं।” उन्होंने मौलाना वली रहमानी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि यह अजीब बात है कि कल आपने एक कांन्फ्रेंस बुलाया और आज उस कान्फ्रेंस के संयोजक, जो आपके खासम खास बताए जा रहे हैं, उन्हें एमएलसी का टिकट दे दिया जाता है। तिवारी ने कहा कि जिस तरह से इस कान्फ्रेंस को राजनीतिक तौर पर घसीटने की कोशिश हो रही है, उससे इमारत ए शरिया भी बदनाम होगा। लोगों को आगे बढ़कर इसका विरोध करना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम नीतीश कुमार की निंदा करते हैं कि उन्होंने इमारत ए शरिया जैसे प्रतिष्ठित संस्थान पर दाग लगाने का काम किया।”
आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता और विधायक शक्ति सिंह यादव ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि टिकट देने या न देने से कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर कोई व्यक्ति किसी समाज या संस्था को भरोसे में लेकर उसका इस्तेमाल करता है तो इससे उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठता है। उन्होंने कहा, “किसी व्यक्ति के हाइजैक करने से कोई समाज हाइजैक नहीं होता। इसी तरह किसी मंच का इस्तेमाल कर लेने भर से समाज पर कोई असर नहीं पड़ता।”
जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (से) के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ दानिश रिजवान ने कहा कि इस कार्यक्रम का आयोजन मुसलमानों और दलितों की बात को उठाने के लिए किया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे पूरी तरह से हाइजैक कर लिया। उन्होंने आरोप लगाया, “मुख्यमंत्री ने मुसलमानों के साथ छल किया है। उन्होंने एक ऐसे इंसान को मुसलमानों का नेता बनाने का काम किया है, जो मुसलमान के नाम पर धब्बा है।”कार्यक्रम को लेकर दानिश रिजवान ने कहा कि हम ऐसे लोगों की कड़ी निंदा करते हैं जो मजहब के नाम पर लोगों को आगे कर अपना सियासी फायदा हासिल करते हैं। उन्होंने कहा, “हम पैगंबर मोहम्मद साहब को मानने वाले हैं और मजहब के आगे कुछ नहीं देखते, लेकिन इन लोगों ने मजहब को आगे रखकर कुछ पाने की कोशिश की है। यह एक गलत परिपाटी की शुरुआत है।” उन्होंने कहा, “यह कांन्फ्रेंस पूरी तरह से जेडीयू-बीजेपी द्वारा प्रायोजित था। इस कार्यक्रम में जिस तरह से नीतीश कुमार के नाम का पर्चा बांटा गया, वह यह समझने के लिए काफी है।” उन्होंने कहा कि दीन बचाओ-देश बचाओ कार्यक्रम आयोजित हुआ तो इस्लाम की बात करते, लेकिन इसमें नीतीश कुमार का एजेंडा लागू कर दिया गया।
बिहार कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा कि कान्फ्रेंस के संयोजक खालिद अनवर को एमएलसी का टिकट दिए जाने में कोई हैरत की बात नहीं है। जिस तरह से कान्फ्रेंस में एक खास दल के लोगों की उपस्थिति थी, जिस तरह से पोस्टर और बैनर में उनके लोगों को दिखाया जा रहा था, उससे साफ पता चल रहा था कि कार्यक्रम को उनकी तरफ से आयोजित किया गया है। कौकब कादरी ने कहा, “दीन बचाओ-देश बचाओ कान्फ्रेंस के माध्यम से सूबे में हुए दंगे पर मुसलमानों की मरहम पट्टी करने की कोशिश की गई। जब दीन की बात थी तो खुला मंच होना चाहिए था। हर किसी को बोलने का हक मिलना चाहिए था। अगर राजनीतिक मंच था तो उसमें एक ही दल के लोग क्यों थे। ये अपने आप में ही बड़ा सवाल है।” कादरी ने कहा कि सही मायने में दीन को किसी से खतरा नहीं है। उसे क्या बचाना, उसे तो जिसने पैदा किया है वही बचाएगा। हां, देश को कुछ सांप्रदायिक ताकतों से खतरा जरूर है, संविधान को खतरा है। उन्होंने कहा, “आज एक दल इस तरह से कार्यक्रम के जरिये साबित करना चाह रहा है कि वह अल्पसंख्यक समाज के काफी करीब है, लेकिन दो नाव पर पैर रखकर सफर नहीं किया जा सकता। एक तरफ बीजेपी के साथ गलबहियांं कर रहे हैं, साथ में मिलकर सरकार चला रहे हैं। पहले यह निर्णय लें कि उनके साथ रहना है या नहीं रहना है।” उन्होंने कहा कि पहले इतने बड़े जनादेश का अपमान कर नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चले गए और अब मुसलमानों को अपने साथ लाना चाह रहे हैं, तो यह दोनों बातें नहीं चलेंगी।
दूसरी तरफ कई सामाजिक संस्थाएं भी इस आयोजन के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही हैं। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम मोर्चा के महासचिव महमूद आलम ने कहा, मौलाना वली रहमानी ने लाखों मुसलमानों की भीड़ को बेच कर अपने चहेते खालिद अनवर को एमएलसी बनवाने का काम किया है। खालिद अनवर वही शख्स हैं, जिन्होंने पटना के संदलपुर कब्रिस्तान की जमीन (वक्फ संख्या 2048) पर ‘हमारा समाज’ अखबार की इमारत खड़ी की हुई है।” महमूद आलम ने कहा कि यह रैली ‘दीन बचाओ देश बचाओ’ नहीं, बीजेपी बचाओ रैली थी। इसका मकसद नीतीश कुमार के कंधे पर मुसलमानों को बैठा कर बीजेपी की 2019 में फिर से वापसी कराना है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और बिहार सरकार ने मिलकर इस रैली का आयोजन किया।
पटना के समाजसेवी अली इमाम भारती ने कहा कि मौलाना वली रहमानी ने दीन बचाओ-देश बचाओ का नारा देकर मुसलमानों को धोखा देने का काम किया है। भारती ने कहा कि मौलाना वली रहमानी का पुतला फूंका जा रहा है। लोगों में आक्रोश पनपने लगा है। छात्र और नौजवान भी कान्फ्रेंस को लेकर ठगा महसूस कर रहे हैं।
इस मामले पर खालिद अनवर ने ज्यादा कुछ कहने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोगों को सवाल करने का हक है और यह जागरुकता के लिए जरूरी भी है। उन्होंने कहा कि सवाल उठाने वालों को कान्फ्रेंस के उद्देश्य की हत्या नहीं करनी चाहिए। ऐसा कान्फ्रेंस सदियों में होता है और जो लोग इसमें शामिल हुए वही आगे बदलाव लाएंगे।
दूसरी तरफ इमारते शरिया के महासचिव मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी का कहना है कि इस मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “लोगों को समझना चाहिए कि कान्फ्रेंस होते ही इसकी बरकत शुरु हो गई। और इसी बरकत से एक मुसलमान को एमएलसी का टिकट मिला है। यह कार्यक्रम इसीलिए ही हुआ था कि संविधान ने जो हक मुसलमानों को दिया है, वह मिलना चाहिए। इस बात को दूसरे अंदाज में नहीं लेना चाहिए।” उन्होंने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि मीडिया इस बात को क्यों तूल दे रहा है।
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