नरोदा पाटिया दंगा: पीड़ित ने कहा, माया कोडनानी निर्दोष तो क्या हमने अपने बच्चों को मारा?
गुजरात हाई कोर्ट के फैसले से नरोदा पाटिया दंगा पीड़ित निराश हैं। दंगा पीड़ित एक महिला ने कहा कि मेरे सामने परिवार के लोगों को मारा गया, अगर ये लोग निर्दोष हैं तो क्या हमने खुद अपने बच्चों को मारा?
2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में गुजरात हाई कोर्ट से माया कोडनानी के बरी होने से पीड़ित बेहद निराश हैं। पीड़ितों को यह समझ नहीं आ रहा कि जिस माया कोडनानी को निचली अदालत से 28 महीने की कारवास की सजा मिली थी, उसे हाई कोर्ट ने कैसे बरी कर दिया। हाई कोर्ट से फैसला आने के बाद एक दंगा पीड़ित महिला ने कहा, “हमारे परिवार के 8 लोगों को मेरी आंखों के सामने मार दिया गया। अगर ये लोग निर्दोष हैं तो क्या हमने खुद अपने बच्चों को मारा? अभी माया कोडनानी छूटी हैं, दो साल बाद बाबू बजरंगी भी छूट जाएंगे।”
गुजरात हाई कोर्ट ने नरोदा पाटिया पीड़ितों की उस याचिका को भी खारिज कर दिया है, जिसमें पीड़ितों ने मुआवजे की मांग की थी।
बता दें कि 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में पूर्व मंत्री माया कोडनानी को गुजरात हाई कोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने इस मामले में कोडनानी को बरी कर दिया है। माया कोडनानी समेत 32 में से 17 लोगों को आरोपों से बरी किया गया है। हालांकि बाबू बजरंगी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार है। बाबू बजरंगी समेत 12 लोगों की सजा को कोर्ट ने बरकरार रखा है।
28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में भयंकर नरसंहार हुआ था। एक दिन पहले यानी 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां जलाने की घटना के बाद अगले रोज गुजरात में दंगे भड़क उठे थे। इन दंगों में सबसे ज्यादा हिंसा नरोदा पाटिया में हुई थी। इस दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। वहीं इस दौरान 32 लोग घायल भी हुए थे।
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