महाराष्ट्र में उड़ी संविधान की धज्जियों पर हरियाणा विधानसभा में बरपा हंगामा, कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा
संविधान दिवस पर बुलाए गए हरियाणा विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में महाराष्ट्र में उड़ी संविधान की धज्जियों पर जमकर हंगामा हुआ। सत्र के दौरान गलत तरीके से बीजेपी द्वारा कई राज्यों में बनाई गई सरकारों को लेकर भी गंभीर सवाल उठे।
भारतीय संविधान अंगीकार करने के 70 साल पूरे होने पर आयोजित हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में महाराष्ट्र के मसले पर जमकर हंगामा बरपा। विपक्ष की तरफ से जब यह मामला उठाया गया कि एक तरफ तो हम संविधान दिवस मना रहे हैं, दूसरी तरफ उसी संविधान के नाम पर महाराष्ट्र में अपने राजनीतिक आका को खुश करने के लिए जो किया गया वह कितना वाजिब है। विपक्ष के हमले से सत्ता पक्ष तिलमिला गया, जिसका माकूल जवाब विपक्ष के विधायकों ने दिया। इस दौरान जमकर हंगामा हुआ।
मंगलवार सुबह 11 बजे से आरंभ हुए विशेष सत्र में सबसे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सरकार की ओर से संकल्प पढ़ा, जिसके बाद चर्चा शुरू हो गई। हंगामा तब बरपा जब कांग्रेस की किरण चौधरी ने एक के बाद एक किस तरह संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, इसका उल्लेख करना शुरू किया। किरण चौधरी ने उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर जैसे राज्यों में बीजेपी ने जिस तरह संविधान के नाम पर सरकारें बनाने का खेल किया उस पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, असहिष्णुता और मॉब लिंचिंग की घटनाएं जिस तरह हो रही हैं वह संविधान की आत्मा पर चोट है।
इस दौरान बवाल तब हुआ जब उन्होंने महाराष्ट्र का नाम लिया। किरण चौधरी ने कहा कि संविधान के नाम पर राजनीतिक आका को खुश करने के लिए जो महाराष्ट्र में किया गया वह ठीक नहीं है। उनके यह कहते ही सत्ता पक्ष के लोग अपनी सीटों से खड़े हो गए। सत्ता पक्ष से सबसे मुखर गृह मंत्री अनिल विज थे। विपक्षी बेंच से गीता भुक्कल, आफताब अहमद, जगबीर मलिक समेत तकरीबन सभी विधायकों ने इसे लेकर सरकार पर जमकर हमला बोला। हंगामे के बीच नेता विरोधी दल भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि संविधान की भावना के मुताबिक सबको बोलने का अधिकार है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने महाराष्ट्र की घटनाओं को सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कानून सम्मत ठहराने की कोशिश की।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि बड़ी कुर्बानियां देने के बाद देश को यह संविधान मिला है। स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा संविधान की तीन मूल बातें हैं। संविधान में खूबसूरती से विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में संतुलन बनाया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान में मूल कर्तव्य जोड़े। हुड्डा ने कहा कि संविधान हमारा राष्ट्रीय धर्म है। आज स्थिति यह है कि बच्चों को यह भी नहीं पता कि देश आजाद कैसे हुआ। अभी बहुत सी ऐसी चीजें हैं, जिन्हें लागू करना शेष है। संविधान निर्माताओं का सपना पूरा करना हमारा धर्म है।
बता दें कि हरियाणा विधानसभा में भूपिंदर सिंह हुड्डा एकमात्र विधायक हैं, जिनके पिता रणबीर हुड्डा संविधान सभा के सदस्य थे। हुड्डा ने कहा कि किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बात पहली बार उनके पिता ने ही 23 नवंबर 1948 को संविधान सभा में उठाई थी। उन्होंने हरियाणा से संविधान सभा के सदस्य रहे दो और सदस्यों ठाकुर दास भार्गव और निहाल सिंह तक्षक का भी उल्लेख किया।
रोहतक से विधायक बीबी बत्रा ने कहा कि आज कार्यपालिका कमजोर हो चुकी है। बत्रा ने सीएम की ओर से पेश किए गए संकल्प पत्र में संविधान निर्माताओं के विजन का उल्लेख न होने पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने इस पर हैरानी जताई कि संकल्प पत्र में धर्म शब्द का उल्लेख किया गया है, जबकि हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है। यह गलत है। बत्रा ने कहा कि संकल्प पत्र में भीमराव अंबेडकर और जवाहर लाल नेहरू के योगदान का भी जिक्र नहीं है। साथ ही सवाल खड़ा किया कि विधायिका पंगु हो चुकी है। महेंद्रगढ़ से विधायक राव दान सिंह ने महाराष्ट्र का नाम न लेते हुए कहा कि एक गलती को दूसरे की गलती के आधार पर न्यायोचित ठहराना ठीक नहीं है।
बीजेपी विधायक कमल गुप्ता के ट्रेन में चाय बेचने वाले के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने का श्रेय संविधान को देने के दौरान भी हंगामा हुआ। हुड्डा समेत समूचे विपक्ष ने इस पर जब हमला बोल दिया तो मुख्यमंत्री भी कमल गुप्ता पर नाराज दिखे। विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि सत्ता पक्ष अपनी जिम्मेदारियों को समझे। संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कांग्रेस विधायक शमशेर गोगी ने कहा कि संविधान को खतरा जन प्रतिनिधियों से ही है। उन्होंने कहा कि हम संविधान निर्माताओं की तो प्रशंसा कर रहे हैं, लेकिन उसी संविधान के नाम पर हम क्या कर रहे हैं, जरूरत इसे देखने की है।
वहीं रादौर से विधायक बिशन लाल सैनी ने सत्ता पक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हारे हुए मंत्रियों को जीता हुआ बताया जा रहा है, यह संविधान में कहां लिखा है। विधानसभा के इस एक दिवसीय विशेष सत्र में पूरे दिन विपक्ष के हमलों से बचने के लिए सत्ता पक्ष सामंजस्य बनाता नजर आया।
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