यूपीः योगी को ‘दलित मित्र’ बताने वाले निर्मल को मिला ईनाम, बनाया गया एससी वित्त निगम का अध्यक्ष
यूपी सरकार ने हाल ही में सीएम योगी को दलित मित्र बताने वाले लालजी प्रसाद को एससी वित्त निगम का अध्यक्ष बनाया है। वहीं, प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल को एससी-एसटी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है।
अंबेडकर महासभा के अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल को सीएम योगी आदित्यनाथ को दलित मित्र की उपाधि देने का ईनाम देते हुए प्रदेश सरकार ने उन्हें उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम का नया अध्यक्ष बना दिया है। इसके अलावा, योगी सरकार ने राज्य के पूर्व डीजीपी बृजलाल को अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया है।
कभी एसपी-बीएसपी पर अपने चहेतों को रेवड़ियां बांटने का आरोप लगाने वाली बीजेपी आज खुद उसी नक्शे कदम पर चलती नजर आ रही है। अंबेडकर जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल को अंबेडकर महासभा द्वारा सीएम योगी को दलित मित्र के सम्मान से नवाजने के बाद से ही इसके राजनैतिक मायने निकाले जाने लगे थे और हुआ भी वही। अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के अध्यक्ष बनाए गए लालजी प्रसाद निर्मल सचिवालय सेवा में रहे हैं और 2012 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। लालजी निर्मल को हर सरकारी दफ्तर में बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगाए जाने का श्रेय दिया जाता है। पिछले दिनों राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अंबेडकर महासभा में हुए कार्यक्रम में लालजी निर्मल की जमकर तारीफ की थी। लालजी निर्मल ने अगले साल पीएम नरेंद्र मोदी को भी दलित मित्र से सम्मानित करने का एलान किया है।
इसके अलावा, योगी सरकार ने अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष पद पर राज्य के पूर्व डीजीपी बृजलाल को नियुक्त करने का फैसला लिया है। ईमानदार और साफ छवि के बृजलाल मायावती सरकार में प्रदेश के डीजीपी थे और मायावती के बेहद करीबी माने जाते थे। 2014 में सेवानिवृत्त हुए बृजलाल ने 2016 में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की थी। इससे पहले हाल ही में हुए राज्य सभा चुनाव में बृजलाल को बीजेपी से टिकट दिए जाने की चर्चा थी, लेकिन आखिरी वक्त में बात नहीं बन पाई थी।
हालांकि, योगी सरकार के इस फैसले को लेकर कैराना लोकसभा क्षेत्र के सचिन बताते हैं कि 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अन्य पिछड़ा वर्ग की सभी गैर-यादव जातियों और गैर-जाटव दलितों ने बीजेपी को वोट दिया था, लेकिन अब यह वोट आधार खिसकर रहा है। सचिन ने कहा, “निर्मल को मंत्री पद देकर बीजेपी नाराज दलितों को मनाने की कोशिश कर रही है। दलितों में बीजेपी का वोट बैंक किस तरह खिसक रहा है, इसको इसी से समझा जा सकता है कि भीम आर्मी के आंदोलन का केंद्र रहे सहारनपुर में हाल में ही कई दलित नेताओं ने बीजेपी छोड़ी है। कुछ दिनों पहले सहारनपुर में बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष रहे ब्रजेश धारूवाल ने भी पार्टी छोड़ दी है। अभी और भी कई लोग पार्टी छोड़ेंगे।” सचिन ने कहा कि बीजेपी नकली दलित नेता पैदा करने की कोशिश कर रही है, लेकिन वे लोग बूरी तरह विफल साबित होंगे क्योंकि दलित वास्तव में उनसे बहुत नाराज हैं।
सचिन ने आगे कहा, निर्मल और बृजलाल की नियुक्ति कैराना लोकसभा के उपचुनाव को ध्यान में रखते हुए लिया गया राजनीतिक फैसला है। कैराना के 15 लाख वोटरों में से 8 लाख दलित हैं। निर्मल कोई नेता नहीं हैं, वह एक नौकरशाह हैं जो योगी को सम्मानित करने की वजह से चर्चा में आए हैं।”
प्रदेश की योगी सरकार के इस फैसले को पार्टी द्वारा दलितों को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पिछले कुछ सालों के दौरान देश में बढ़ी दलित अत्याचार की घटनाओं और एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद बीजेपी के खिलाफ दलितों में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है। इन मुद्दों को लेकर यूपी के चार दलित सांसदों ने भी सीएम योगी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा था। ऐसे में सीएम योगी के इस फैसले से बीजेपी दलित समाज को साधने की कोशिश करेगी।
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