उत्तर प्रदेश: पिलखुवा मॉब लिंचिंग के हत्यारोपी को 20 दिन में ही मिल गई जमानत
एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा द्वारा झारखंड में गोरक्षा के नाम पर अलीमुदीन की हत्या के आरोपियों का सम्मान किया गया थाऔर अब यूपी में मॉब लिंचिंग के लिए 307 और 302 जैसी गंभीर धाराओं में पकड़े गए आरोपी को महीने भर में ही जमानत दे दी गई।
एक आश्चर्यजनक फैसले में हापुड़ की एक सत्र अदालत ने कासिम की हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए बझेड़ा गांव के मुख्य आरोपी को सिर्फ 20 दिन में ही जमानत दे दी है। हापुड़ की सत्र न्यायाधीश रेणु अग्रवाल ने एक लाख रुपये के मुचलके पर मामले के आरोपी युधिष्ठिर पुत्र शिवदयाल को जमानत दे दी।
इस मामले में अभी भी गिरफ्तारी की कार्रवाई चल ही रही है और कासिम के परिजनों को अपना वकील तक खड़ा करने का मौका नहीं मिला। सरकारी वकील ने उनका पक्ष किस तरह रखा, इसकी भी उन्हें जानकारी नहीं है। स्थानीय पुलिस ने कासिम के परिजनों को यह भी नहीं बताया कि आरोपी पक्ष ने अदालत में जमानत अर्जी दाखिल कर दी है।
युधिष्ठिर को 6 जुलाई को जमानत मिली है और खास बात ये है कि कल ही इस घटना में घायल समीउद्दीन (67) को भी अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। मामले में युद्धिष्ठर को नामजद नहीं किया गया था, लेकिन घायल समीउद्दीन के द्वारा पुलिस को दिए बयान के आधार पर उसे आरोपी बनाया गया था। घटना से अगले दिन ही उसे दूसरे अभियुक्त राकेश के साथ गिरफ्तार किया गया था। सोमवार को राकेश की जमानत पर सुनवाई होनी है।
गौरतलब है कि ईद के दो दिन बाद 19 जून को पिलखुवा के बझेड़ा गांव में गाय काटने की अफवाह पर कासिम की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस दौरान कासिम को बचाने आए एक बुजुर्ग किसान समीउद्दीन की भी बुरी तरह पिटाई की गई थी।
एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा द्वारा झारखंड में एक साल पहले गोरक्षा के नाम पर की गई अलीमुदीन की हत्या के आरोपियों का माला पहनाकर सम्मान किया गया था। और अब हापुड़ में धारा 307 और 302 जैसे गंभीर अपराध के मामले में एक महीने से भी कम समय में आरोपी को जमानत दे दी गई।
फैसले के बाद मॉब लीचिंग में मारे गए कासिम के घर में एक बार फिर मातम का माहौल है। इस खबर के बाद स्थानीय स्तर पर एक बार फिर माहौल खराब हो गया है। इसके बाद कासिम के परिजन सदमे में हैं। कासिम के भाई सलीम ने कहा कि कभी-कभी शांति भंग करने के मामले में भी आरोपी एक महीने के बाद बाहर आता है, लेकिन यहां हत्या जैसे अपराध में 20 दिन में जमानत दे दी गई। उन्होंने कहा कि अब उन्हें इंसाफ की कोई उम्मीद नहीं है।
हापुड़ के वकील शाहिद इस पर आश्चर्य जताते हुए कहते हैं कि इस जमानत के विरुद्ध निरस्त कराने की कार्रवाई की जानी चाहिए। अभी इस मामले में सारे अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी नहीं हुई है।
ध्यान रहे चार साल पहले मुजफ्फरनगर के कवाल में मॉब लीचिंग में मारे गए गौरव सचिन की हत्या के आरोपियों की जमानत पर अब तक सुनवाई भी नहीं हुई है।
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