इराक में मारे गए भारतीयों के लिए मुआवजे पर मंत्री वीके सिंह का बयान, नौकरी देना बिस्कुट बांटने वाला काम नहीं
इराक के मोसुल में मारे गए 38 भारतीयों के शव लेकर देश लौटे विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने विवादित बयान देते हुए कहा है कि नौकरी देना बिस्कुट बांटने का काम नहीं है और जेब में कोई पिटारा नहीं रखा है।
विदेशी धरती पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेटकी कैद में मारे गए 39 भारतीयों के परिजनों के प्रति संवेदनहीनता का परिचय देते हुए केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने विवादित बयान दिया है। इराक से भारतीयों के अवशेष लेकर लौटने पर उनके परिजनों को नौकरी दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर वीके सिंह ने कहा कि यह कोई फुटबॉल का खेल नहीं है। उन्होंने कहा, “किसी को नौकरी देना बिस्कुट बांटने वाला काम नहीं है। ये लोगों की जिंदगी से जुड़ा सवाल है, आ गई बात समझ में। मैं अभी ऐलान कहां से करूं, जेब में कोई पिटारा तो रखा हुआ नहीं है।”
साथ ही वीके सिंह ने कहा कि इराक में मारे गए 40 भारतीय नागरिकों का कोई भी रिकॉर्ड किसी दूतावास में मौजूद नहीं है। विदेश राज्यमंत्री ने बताया कि वे वहां ट्रैवल एजेंट के माध्यम से अवैध रूप से गए थे। उन्होंने कहा कि जब आप अवैध एजेंट के माध्यम से जाते हैं तो आप का पता लगाना कठिन हो जाता है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार के पास इन लोगों के बारे में कोई भी सूचना होती तो उन्हें बचाने का प्रयास किया जाता। वीके सिंह ने कहा कि हमने हर राज्य से कहा है कि अवैध एजेंटों को पकड़ना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
इस बीच मृतकों में शामिल बिहार के 5 लोगों के अवशेष बिहर पहुंचने पर उनके परिजनों ने अवशेष लेने से इनकार कर दिया है। परिजनों का कहना है कि उन्हें सरकार की तरफ से उचित मुआवजा और नौकरी दिया जाए, क्योंकि मृतक परिवार का इकलौता कमाने वाला था।
बता दें कि इराक में आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट द्वारा बंधक बनाए जाने के बाद मार दिए गए 39 भारतीयों में से 38 के अवशेष लेकर विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह 2 अप्रैल को अमृतसर पहुंचे। इन मृतकों में से 27 पंजाब और 4 हिमाचल प्रदेश के हैं। वहीं 5 मृतक बिहार के रहने वाले थे।
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